कैराना उपचुनाव: जिन्ना नहीं गन्ना है कैराना के किसानों का अहम मुद्दा, योगी सरकार को याद दिलाया चुनावी वायदा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए तैयारियां शुरू हो गई है। 28 मई को यहां होने वाले चुनाव का मुख्य मुद्दा गन्ना किसान हैं। यहां भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद सीट खाली हो गई है, जिसके बाद यहां फिर से उपचुनाव होने जा रहे हैं। आपको बता दें कि कैरानान में कुल छह सुगर मिल हैं, जिसमे से चार प्राइवेट हैं जबकि दो को-ऑपरेटिव की हैं। ऐसे में यहा होने वाले चुनाव में गन्ना एक अहम मुद्दा रहने वाला है।
गन्ना मूल्य का भुगतान
वर्ष 2017-18 के सत्र में 18 मई तक मिल कंपनियों ने कुल 1778.49 करकोड़ रुपए के गन्ना की खरीद की है। यह गन्ना यूपी सरकार द्वारा स्टेट एडवाइज्ड प्राइस 315-325 रुपए प्रति कुंटल के दाम से खरीदा गया है। इसके एवज में किसानों को इन मिल कंपनियों द्वारा 1695.25 करोड़ रुपए का भुगतान अगले 14 दिन के भीतर करना है, लेकिन अभी तक इन मिल्स की ओर से सिर्फ 888.03 रुपए का ही भुगतान किया गया है।
भाजपा सरकार को याद दिलाया वायदा
शामली के किसान जितेंद्र हुडा का कहना है कि आखिर यह कैसे मुद्दा हो सकता है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की फोटो है या नहीं, हमारा एक ही मुद्दा है कि गन्ने का भुगतान। उनका कहना है कि उठ गया गन्ना, दब गया जिन्ना। हुडा के पास यहां 48 बीघा जमीन है और उनके लिए गन्ने की कीमत का भुगतान सबसे अहम मुद्दा है। हुडा शामली की फैक्ट्री में गन्ना की सप्लाई करते हैं, यहां अकेले कुल 190.33 करोड़ रुपए के गन्ने का भुगतान बाकी है। जबकि बाकी की सुगर मिल्स में अलग-अलग राशि भुगतान के लिए बकाया है।
पाकिस्तान से आयात हो रही है चीनी
वहीं एक और किसान ब्रह्मपाल सिंह जिनके पास 45 बीघा जमीन है और वह 34 बीघा में गन्ने की खेती करते हैं, वह शामली के उन तहसील के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि भाजपा के घोषणा पत्र में यह कहा गया था कि हम 14 दिन के भीतर गन्ने की कीमत का भुगतान कराएंगे। थाना भवन से भाजपा के विधायक सुरेश राणा खुद सरकार में मंत्री हैं, लेकिन इसके बाद भी 31 दिसंबर से गन्ने का भुगतान नहीं हुआ है। बल्कि सरकार पाकिस्तान से चीनी आयात कर रही है।
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