किसान आंदोलन के बीच CAA पर BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय का बयान, जनवरी में लागू हो सकता है नागरिकता संशोधन कानून
किसान आंदोलन के बीच CAA पर BJP नेता कैलाश विजयवर्गीय का बयान, जनवरी में लागू हो सकता है नागरिकता संशोधन कानून
नई दिल्ली: Kailash Vijayvargiya on CAA: किसान आंदोलन के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर बड़ा बयान दिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार (5 दिसंबर) को कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून अगले साल के पहले महीने जनवरी में लागू हो सकता है। इसी के साथ कैलाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार शरणार्थियों के प्रति हमदर्दी नहीं रखती है। सीएए को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था।
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शनिवार (5 दिसंबर) को कैलाश विजयवर्गीय ने उत्तर 24 परगना जिले में ''अन्याय और नहीं'' अभियान के तहत मीडिया से बात करते हुए कहा है कि हमें उम्मीद है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया अगले महीने जनवरी से शुरू हो जाएगी।
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को ईमानदारी से पड़ोसी देशों से हमारे यहां आए उत्पीड़ित शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए पारित किया था।
तृणमूल कांग्रेस के नेता ने किया पलटवार
कैलाश विजयवर्गीय के सीएए के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्री फरहाद हाकिम ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल के लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने इस कानून की आलोचना भी की है।
फिरहाद हाकिम ने कहा, "भाजपा का नागरिकता से क्या मतलब है? अगर मतुआ ( Matuas) नागरिक नहीं हैं, तो वे साल-दर-साल कैसे विधानसभा और संसदीय चुनावों में मतदान करते हैं? भाजपा को पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करना चाहिए।"
मतुआ समुदाय का इतिहास
धार्मिक उत्पीड़न के कारण मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से मतुओं ने 1950 के दशक में पश्चिम बंगाल की ओर पलायन करना शुरू कर दिया था।
मतुआ समुदाय, राज्य में 30 लाख की अनुमानित आबादी के साथ, कम से कम चार लोकसभा सीटों और नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में 30-40 विधानसभा क्षेत्रों के परिणामों को प्रभावित करते हैं।
सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।