चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ जा सकते हैं KCR,ऐसे मिल रहे हैं संकेत!
नई दिल्ली- खबरें हैं कि केरल के सीएम पिनराई विजयन से गैर-एनडीए,गैर-यूपीए गठबंधन पर बातचीत के बीच ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) कांग्रेस के लोगों से भी बैक-चैनल बातचीत में लगे हुए हैं। शायद केसीआर (KCR) त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति बनने की संभावना के मद्देनजर अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहते हैं।
दोनों दलों के नेताओं में हो चुकी है मुलाकात
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में केसीआर (KCR) बैक-चैनल से कांग्रेस के साथ काम करने की संभावनाएं तलाशने के लिए उससे बातचीत की कोशिश कर रहे हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं ने अखबार को पिछले महीने के अंत में दोनों दलों के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच मुलाकात की पुष्टि भी की है, हालांकि उन्होंने नाम नहीं बताने की गुजारिश की है। इस मुलाकात का हिस्सा रहे टीआरएस के एक सांसद ने कहा कि दोनों पार्टियों में काफी दूरियां हैं, लेकिन फिर भी संभावनाएं तलाशने की कोशिशें की गई हैं।
केसीआर ने क्यों बदला पैंतरा?
गौरतलब है कि टीआरएस पहले गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा फेडरल फ्रंट की बात कर रही थी, लेकिन अब वह कांग्रेस के साथ जाने की संभावनाएं भी ढूंढ़ रही है। इसकी एक वजह ये भी है कि अगर गठबंधन में कोई राष्ट्रीय पार्टी शामिल नहीं रहेगी, तो 1996 के राष्ट्रीय मोर्चा सरकार की तरह उसके नाकाम रहने की आशंका बढ़ सकती है। अबतक कांग्रेस नरेंद्र मोदी को हटाने के लिए जिन पार्टियों के साथ बातचीत कर रही थी, उसमें टीआरएस (TRS) हिस्सा नहीं थी। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस और टीआरएस के बीच बातचीत की ये बातें तब सामने आ रही हैं, जब टीडीपी (TDP) सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) ने खुद को पीएम की दावेदारी से पीछे हटा लिया है। गौरतलब है कि नायडू और राव आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक-दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाते हैं।
जगनमोहन से भी चल रही है बातचीत
उधर केसीआर (KCR) और वाई एस आर कांग्रेस (YSR Congress) के नेता वाई एस जगनमोहन रेड्डी (YS Jaganmohan Reddy) के बीच भी बैक-चैनल बातचीत चल रही है। अगर चंद्रबाबू पीएम के रेस से बाहर हो चुके हैं, तो उस विपक्षी गठबंधन को जगनमोहन रेड्डी भी साथ दे सकते हैं। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं और इस बार तेलंगाना में टीआरएस की स्थिति काफी अच्छी होने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषक नीरा चंढोके के मुताबिक केसीआर का गैर-कांग्रेस और गैर-बीजेपी फ्रंट काम नहीं करेगा। उनकी मानें तो 'अभी तक लग रहा था कि वे बीजेपी के साथ जाएंगे। लेकिन जो लोग बीजेपी के साथ गए हैं उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा।' इसके लिए वे मेहबूबा मुफ्ती और नीतीश कुमार का उदाहरण देती हैं। उनके मुताबिक शायद इसलिए केसीआर अपना मन बदल रहे हैं।