ज्योतिरादित्य के गढ़ में लग गई सेंध, लेकिन ऑपरेशन लोटस की नहीं लगी सिंधिया कोई भनक
Jyotiraditya Scindia's Stronghold in Infiltration, But Scindia did not Get Any clue of bjp's operation lotus. ज्योतिरादित्य के गढ़ में लग गई सेंध, लेकिन ऑपरेशन लोटस की नहीं लगी सिंधिया कोई भनक
बेंगलुरु। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार में आंतरिक कलह सार्वजनिक तो हो चुकी थी लेकिन बुधवार को एक नया विवाद खड़ा हो गया था। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह प्रदेश की कमलनाथ सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है। हालांकि बीजेपी ने इस आरोप को नकार दिया है।
इन्हीं आरोपों के बीच कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि यह भाजपा की पुरानी प्रथा है, लेकिन वे सफल नहीं होंगे, हम सभी एक साथ हैं। मध्य प्रदेश सरकार को कोई खतरा नहीं है। लेकिन आपको ये जान कर ताज्जुब होगा कि भाजपा ने आपरेशन लोटस से ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में सेंध मारी करने का प्रयास किया। जिसकी कांग्रेस के दिग्गज नेता सिंधिया को कानो कान भनक भी नहीं लगी।
भाजपा ने सिंधिया के गढ़ में लगाई सेंध
दरअसल मध्य प्रदेश का चंबल-ग्वालियर संभाग कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का मजबूत गढ़ माना जाता है और भाजपा ने आपरेशन के द्वारा सिंधिया के उसी गढ़ में घुसकर सेंध लगाने का प्रयास किया। भाजपा ने ऑपरेशन लोटस के जरिए जिन विधायकों साधने की कवायद की उनमें से अधिकांश सिंधिया के इलाके के ही है। हालांकि दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी की कोशिशों ने कमलनाथ सरकार के संकट को फिलहाल टाल दिया है और छह विधायकों को वापस लाने में कामयाब हो गए। लेकिन सिंधिया विधायकों को वापस मना कर लाने में सिंधिया पूरी तरह सीन से बाहर रही रहे। विधायकों के वापस लौटने के बाद सिधिंया अचानक आकर भाजपा के खिलाफ बयानबाजी करने लगे।
सिंधिया के गढ़ के इन विधायकों ने दिखाए बागी तेवर
बता दें इन दस विधायकों में कांग्रेस के चार, तीन निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का विधायक है। बगावती तेवर दिखाने वाले ज्यादातर विधायक चंबल-ग्वालियर संभाग से हैं, जिन्होंने कमलनाथ सरकार की नींद उड़ा दी। जिनमें भिंड से बसपा विधायक संजीव कुशवाह, सुमावली से कांग्रेस विधायक ऐंदल सिंह कंसाना, मुरैना से कांग्रेस विधायक रघुराज कंसाना, दिमनी से कांग्रेस विधायक गिर्राज दंडोतिया विधायक और गोहद से कांग्रेस विधायक रणवीर जाटव और बिजावर से सपा विधायक राजेश शुक्ला चंबल-ग्वालियर संभाग वाले इलाके से हैं। बुरहानपुर सीट से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा वहीं नेता हैं जो पहले सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग उठा चुके हैं और फिलहाल बीजेपी के साथ खड़े हैं. इसके अलावा पथरिया से बसपा के रमाबाई और अनूपपुर सीट से कांग्रेस विधायक बिसाहूलाल सिंह भी बागी तेवर दिखाए।
सिंधिया के समर्थक विधायकों के बागी तेवर ने कांग्रेस को किया बेचैन
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 114 विधायकों में लगभग 35 से भी ज्यादा विधायक पार्टी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी हैं। भजापा ने चंबल-ग्वालियर के इसी इलाके में ऑपरेशन लोटस को अमलीजामा पहनाने का प्रयास किया। गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री न बन पाना शुरुआत से चुभता आया हैं। उनके समर्थकों के बीच इसकी कसक साफ तौर पर देखी जा सकती है। सिंधिया ने हाल ही में कुछ बागी तेवर अख्तियार किया था जिसने कमलनाथ सरकार की बेचैनी बढ़ा दी थी । राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले जिस तरह से सिंधिया के इलाके के और समर्थक विधायकों ने बागी तेवर अख्तियार किया है, उसने कांग्रेस को बेचैन कर दिया है।
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चंबल इलाके के हैं ये चार विधाायक
बता दें बागी तेवर देखकर कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह मोर्चा संभाला और कांग्रेस छह विधायकों को वापस लाने में कामयाब रही, लेकिन जो चार विधायक अभी भी बीजेपी के कब्जे में हैं वो चंबल इलाके से ही आते हैं। जिसमें कांग्रेस विधायक बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, रघुराज सिंह कंसाना और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अभी भी पार्टी की पकड़ से दूर बीजेपी के कब्जे में हैं।
नाराज चल रहे विधायकों पर है भाजपा की नजर
गौरतलब है कि फिलहाल, जिन छह विधायकों के नाम सामने आए हैं। उनमें 3 कांग्रेस और 2 बसपा और एक निर्दलीय विधायक है। इनमें 3 दिग्विजय सिंह के करीबी हैं, बाकी के 2 विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से मुख्यमंत्री कमलनाथ से नाराज बताए जा रहे हैं। वहीं, एक विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया का करीबी है। पार्टी से जुड़े लोगों का कहना है कि कमलनाथ सरकार के कुल 14 विधायक नाराज चल रहे हैं, जिन पर भाजपा की नजर है।