आज भाजपा के हुए ज्योतिरादित्य लेकिन सिंधिया खानदान का BJP से पहले ही रहा है खास कनेक्शन
भोपाल। आखिरकार इंतजार हुआ खत्म और मध्य प्रदेश के 'महाराज' ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं, बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी मुख्यालय में सदस्यता ली, कांग्रेस पार्टी में कभी राहुल गांधी के बेहद करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अब भगवा चोला पहन लिया है, बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सिंधिया ने पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया। वैसे आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना का राजा कहा जाता है, पिता माधवराज सिंधिया के बाद वहां के लोग उन्हें अपने राजा की तरह ही पूजते हैं।
आइए एक नजर डालते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया के शाही परिवार पर जिनका भाजपा से पहले ही रहा है खास कनेक्शन
राणोजी सिंधिया
राणोजी सिंधिया पेशवा के रूप में मालवा की कमान संभाली थी, सरदार से वो सिंधिया राजवंश के महाराज बने थे, इसके बाद राजशाही के लोकशाही में बदलने के बाद राजपरिवार ने लोकतंत्र को अपनाया और अपने सियासी सफर को आगे बढ़ाया।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया
राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 1957 में कांग्रेस से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। वह गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गई थी। 10 साल तक राजमाता सिंधिया कांग्रेस में रही लेकिन साल 1967 में उन्होंने जनसंघ का दामन थाम लिया था।
दोनों बुआएं भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ीं
सिंधिया परिवार की दो बेटियां सियासत में बड़ा नाम है, वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी है और भाजपा की कद्दावर नेता हैं, तो वहीं यशोधरा राजे सिंधिया ने भारतीय जनता पार्टी (जनसंघ) के साथ अपने राजनीतिक पारी शुरू की और अब तक भाजपा के साथ बनी हुई हैं और 5 बार विधायक रह चुकी हैं।
माधवराव सिंधिया
26 साल की उम्र में संसद में कदम रखने वाले माधवराव सिंधिया ने जल्द ही जनसंघ को अलविदा कह दिया था, 1977 में आपातकाल के बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ पकड़ा, साल 1980 में वो कांग्रेस के टिकट पर चुनकर संसद पहुंचे और केंद्रीय मंत्री बने। बीच में नरसिंहराव के समय उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन कुछ साल बाद फिर से कांग्रेस ज्वाइन कर ली, सिंधिया को गांधी परिवार का बेहद करीबी माना जाता था। साल 2001 में एक विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सियासी दुनिया में कदम रखा, गुना सीट पर हुए उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए। 2002 में जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ वो लगातार 2019 तक चलता रहा। लेकिन 2019 गुना से मात मिली।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहना भगवा चोला
आज ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं, बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद सिंधिया ने कहा कि मैं पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने अपने परिवार में मुझे जगह दी, आज मैं बहुत दुखी भी हूं और व्यथित भी क्योंकि कांग्रेस अब वह पार्टी नहीं है, जिसकी स्थापना हुई थी, कांग्रेस पार्टी में रहकर मैंने 18-19 वर्षों में पूरी श्रद्धा के साथ देश-प्रदेश की सेवा करने की कोशिश की है। लेकिन मन दुखी है कि जो स्थिति आज उत्पन्न हुई है, मैं कह सकता हूं कि जनसेवा के लक्ष्य की पूर्ति उस संगठन से नहीं हो पा रही है।
यह है एमपी का गणित
दरअसल इस वक्त एमपी में 230 विधानसभा सीटें हैं लेकिन दो विधायकों के निधन हो जाने के चलते विधानसभा की मौजूदा सीट 228 हो गई है, किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए मैजिक नंबर 115 चाहिए होता है और जो तस्वीर इस वक्त विधानसभा में है उसके मुताबिक कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जिसमें से 4 निर्दलीय, 2 बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी विधायक का समर्थन उसको मिला हुआ है, यानी मौजूदा स्थिति में कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं।
कांग्रेस के पास महज 101 विधायकों का समर्थन!
ज्योतिरादित्य सिंधिया और 22 विधायकों के जाने के बाद कांग्रेस के पास महज 100 विधायकों का समर्थन रह जाएगा, जबकि सरकार चलाने के लिए जादुई आंकड़ा 104 हो जाएगा, ऐसे में बीजेपी 107 विधायकों के साथ आसानी से सरकार बना लेगी,यहां खास बात आपको यह बता दें कि सपा, बसपा और निर्दलीय पर दल बदल लागू कानून लागू नहीं होगा। कहा जा रहा है कांग्रेस के बागी विधायकों ने इस वक्त बेंगलुरु में डेरा जमाया हुआ है ।