रेप केस के आरोपी चिन्मयानंद को जमानत देने वाले जज को मिला प्रमोशन
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज राहुल चतुर्वेदी को हाई कोर्ट के स्थाई जज के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश की है। कॉलेजियम का ये फैसला जस्टिस चतुर्वेदी की पदोन्नति टालने के 5 महीने बाद आया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए कॉलेजियम के प्रस्ताव में इसकी कोई वजह नहीं बताई गई है। जस्टिस चतुर्वेदी उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने यूपी के शाहजहांपुर के लॉ कॉलेज की छात्रा के यौन उत्पीड़न के केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता चिन्मयानंद को जमानत दी थी।
स्थाई जज के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश
जज ने शिकायतकर्ता के आचरण को 'आश्चर्यजनक' बताया था और कहा था कि उसने 'फिरौती के लिए आरोपी को ब्लैकमेल करने की कोशिश की।' उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि 'एक लड़की जिसका कौमार्य दांव पर है, अपने माता-पिता या कोर्ट के सामने कथित घटना के संबंध में एक शब्द नहीं बोल रही है, ये हैरान करने वाला है।' जस्टिस चतुर्वेदी को सितंबर 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
जस्टिस चतुर्वेदी ने दी थी चिन्मयानंद को जमानत
इसके अलावा कॉलेजियम ने नौ अतिरिक्त जजों को स्थाई जज नियुक्त करने के मद्रास हाई कोर्ट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने जस्टिस पीटी आशा, एम निर्मल कुमार, सुब्रमोनियम प्रसाद, एन आनंद वेंकटेश, जी के इलांथिरायन, कृष्णन रामासामी, सी सरवनन, बी पुगालेंदी, और सेंथिलकुमार राममूर्ति हैं को स्थाई जज नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा कॉलेजियम ने चार जजों को पदोन्नति देकर गुजरात हाई कोर्ट में नियुक्त करने का प्रस्ताव भी मंजूर कर लिया है।
लॉ कॉलेज की छात्रा ने लगाया है चिन्मयानंद पर आरोप
बता दें कि यौन शोषण के आरोप में शाहजहांपुर जेल में बंद पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। चिन्मयानंद पर उनके ही कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसका वीडियो वायरल होने के बाद छात्रा लापता हो गई थी। बाद में पुलिस ने राजस्थान से उसे उसके एक दोस्त के साथ बरामद किया था। पूरे मामले की जांच एसआईटी कर रही है। वहीं, जेल से रिहा होते ही चिन्मयानंद का फूल-मालाओं से भी स्वागत किया गया था।