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सोशल मीडिया पोस्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की छवि पर उठे सवाल, जज ने बयां किया दर्ज

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नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अपनी छवि पर सवाल खड़ा होने पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने सफाई दी है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट में भूमी अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधान की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ का जस्टिस अरुण मिश्रा नेतृत्व कर रहे हैं। पोस्ट में जस्टिस मिश्रा पर पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है, इसके अलावा उन्हें मामले की सुनवाई से अलग करने करने की मांग की गई है। इस पर जस्टिस मिश्रा ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि, यह अदालत का अपमान है, मेरी इमानदारी ईश्वर जानता है, मैं नहीं हटने वाला।

Justice Arun Mishra said it was an attempt to malign the entire judiciary

गौरतलब है कि, वुरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने भी जस्टिस अरुण मिश्रा पर निशाना साधते हुए कहा था कि, अगर भूमी अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधान के मामले की सुनवाई जस्टिस मिश्रा कर रहे हैं तो इसमें कुछ गड़बड़ हो सकती है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, मेरा विकेक स्पष्ट है, मेरी इमानदारी ईश्वर जानता है और मैं इस मामले से नहीं हटूंगा। जस्टिस मिश्रा मामले की सुनाई कर रहे पांच जजों के संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे है। इस संविधान पीठ में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस एस रविंद्र भट शामिल हैं।

क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजे और पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास अधिनियम 2013 के सेक्शन 24 मामले की सुनावाई करते हुए दो परस्पर विरोधी फैसले दिए थे। इन दोनों ही फैसलों में से एक फैसला जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने दिया था। जिसमें जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर और जस्टिस एके गोयल भी शामिल थे। अब जस्टिस अरुण मिश्रा को इन फैसलों को सही करने का जिम्मा दिया गया है वहीं, दूसरा फैसला चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी लोकुर और कुरियन जोसेफ वाली तीन जजों की बेंच ने दिया था। बता दें, जस्टिस कुरियन जोसेफ अब सेवानिवृत हो चुके हैं।

सोशल मीडिया पर किया गया पोस्ट
सोशल मीडिया पर जस्टिस अरुण मिश्रा को लेकर किए गए पोस्ट में कहा गया कि, संविधान पीठ में जस्टिस मिश्रा पक्षपात कर सकते हैं उनकी मैजूदगी से मामले में कुछ गड़बड़ हो सकती है। इस पोस्ट में जस्टिस मिश्रा की मौजूदगी पर सवाल खड़ा किया गया है, सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के टॉप वकील भी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: अयोध्या केस: क्या होता है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ? जिसपर सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन हो सकती है सुनवाई

जस्टिस मिश्रा का छलका दर्द
सोशल मीडिया की पोस्ट पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि, क्या यह अदालत को बदनाम करना नहीं है? अगर आपने इस पर मुझसे बात की होती तो मैं फैसला लेता लेकिन सोशल मीडिया पर भारत के चीफ जस्टिस को बदनाम करने के लिए इसे उछालना सही नहीं है। क्या यह अदालत का वातावरण हो सकता है? ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता । एक भी जज ऐसा नहीं है जिसने इस मामले में अपनी राय न रखी हो, तो क्या इसका मतलब है कि हम सभी अयोग्य हो गए हैं।

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English summary
Justice Arun Mishra said it was an attempt to malign the entire judiciary
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