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न्यायिक नियुक्ति विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, संशोधन को बताया असंवैधानिक
नई
दिल्ली।
न्यायपालिका
में
सुधार
की
आहट
अब
नकारात्मक
मोड़
पर
जाती
दिख
रही
है।
नभाटा
के
राजेश
चौधरी
ने
खुलासा
किया
है
कि
इस
बिल
को
अब
नए
सिरे
से
पलटने
की
तैयारी
चल
रही
है।
क्या कहा गया है याचिका में-
-
न्यायिक
नियुक्ति
विधेयक
को
सुप्रीम
कोर्ट
में
चुनौती
दी
गई
है।
सरकार
की
ओर
से
लाए
इस
बिल
को
असंवैधानिक
घोषित
करने
की
गुहार
लगाई
गई
है
साथ
ही
याचिका
में
कहा
गया
है
कि
यह
बिल
संविधान
के
ख़िलाफ
है
व
इसे
रद्द
किया
जाना
चाहिए।
-
दरअसल
याचिका
दायर
करने
वाले
एडवोकेट
आरके
कपूर
ने
भारत
सरकार
और
तमाम
राज्यों
को
पार्टी
बनाया
है।
उन्होंने
अपने
पक्ष
में
कहा
है
कि
सरकार
द्वारा
लाया
गया
नैशनल
जुडिशल
अपॉइंटमेंट
कमिशन
व
कंस्टिट्यूशनल
अमेंडमेंट
बिल
असंवैधानिक
है।
पढ़ें- बिहार की दिशा
-
गौर
करने
वाली
बात
है
कि
सम्बंधित
बिल
दोनों
सदनों
में
पास
हो
चुका
है।
याचिकाकर्ता
ने
कहा
कि
1998
में
सरकार
की
सलाह
पर
राष्ट्रपति
ने
कॉलेजियम
सिस्टम
में
बदलाव
को
लेकर
सुप्रीम
कोर्ट
को
रेफरेंस
भेजा
था।
-
कपूर
की
याचिका
के
मुताबिक,
सरकार
ने
जो
बिल
पास
किया
है
उसके
पीछे
आधार
बताया
गया
है
कि
जजों
के
सेलेक्शन
के
लिए
मेरिट,
ट्रांसपरेंसी
और
अकाउंटिबिलटी
का
आधार
होगा।
कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो व्यवस्था दी है वह संविधान के आर्टिकल - 141 व 144 के तहत अधिकृत रूप से लागू होता है। ऐसे में सरकार इस तरह से कॉलेजियम सिस्टम को हटाने के लिए नया बिल नहीं ला सकती व संविधान में संशोधन नहीं कर सकती है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेता है।
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English summary
Judicial bill to be challenged unconstitutional in Supreme Court
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