पटना हाई कोर्ट के सीनियर जज ने मानी अदालत में भ्रष्टाचार की बात, चीफ जस्टिस ने सारे कार्य वापस लिए
नई दिल्ली- अदालत में जारी भ्रष्टाचार की बात मानना पटना हाई कोर्ट के वरिष्ठतम जस्टिस राकेश कुमार के लिए मुश्किलें पैदा कर गया है। पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने उनसे सारे न्यायिक कार्य वापस ले लिए हैं। जस्टिस राकेश कुमार ने अपने एक आदेश में न्यायपालिका में जारी भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल उठाते हुए एक निचली अदालत में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच के आदेश भी दिए थे। लेकिन, हाई कोर्ट के 11 जजों की पीठ ने उनके सभी आदेशों को सस्पेंड कर दिया है और उस आदेश पर ऐक्शन लेने पर रोक लगा दी है।
जस्टिस कुमार के आरोप गंभीर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस राकेश कुमार ने बुधवार को दिए अपने 20 पन्ने के आदेश में कहा था कि, 'इस हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार एक खुला रहस्य है....' इसके कुछ ही घंटे बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने उनसे सारे न्यायिक कार्य वापस लेते हुए कहा कि काम आवंटित होने तक वे चैंबर में इंतजार करें। जज के मुताबिक, 'जज के रूप में पदोन्नति मिलने के बाद मैंने नोटिस किया कि वरिष्ठ जज चीफ जस्टिस की चापलूसी कर रहे थे।' उनके अनुसार 'शुरुआत में मैंने सोचा कि वरिष्ठ जजों को ऐसा करना होता है, लेकिन कुछ समय बाद मुझे लगा कि यह अपनी जाति या चहेतों को जज बनाने या कुछ भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों का फेवर करने के लिए किया जा रहा था।' जस्टिस कुमार ने चार न्यायिक अधिकारियों का हवाला भी दिया जिनके खिलाफ आरोप थे, लेकिन सबको मामूली सजा देकर छोड़ दिया गया और वे न्यायपालिका में बने रहे, जबकि उन्हें सिस्टम के व्यापक हित में बर्खास्त कर देना चाहिए था। जस्टिस कुमार के अनुसार, 'अनुमान लगाया जा सकता है कि उन अधिकारियों को हाई कोर्ट का संरक्षण मिला हुआ था। अगर इन तथ्यों को नोटिस करने के बाद भी मैं चुपचाप दर्शक बना रहता तो निश्चित तौर पर मैं कभी भी खुद को माफ नहीं कर पाता......' उन्होंने अपने आदेश में बिहार की न्याय व्यवस्था में हर स्तर पर मौजूद भ्रष्टाचार के लिए भारत के मुख्य न्यायधीश और सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम से भी संज्ञान लेने की गुजारिश की।
जनता के पैसों के दुरुपयोग का आरोप
इतना ही नहीं जस्टिस कुमार ने हाई कोर्ट के जजों पर जनता के पैसों के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया था। उन्होंने हाईकोर्ट के जजों की इस बात को लेकर आलोचना की थी कि वे अपने लिए आवंटित सरकारी बंगलों के रिनोवेशन के नाम पर महीनों तक गेस्ट हाउस में रहना पसंद करते हैं, जो कि जनता के पैसों की बर्बादी है। खास बात ये है कि उन्होंने एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के नाम पर पटना सिविल कोर्ट कैंपस में जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई जांच के भी आदेश दिए थे। जस्टिस कुमार ने इस तरह के आदेश भ्रष्टाचार के मामले में एक पूर्व आईएएस को जमानत पर छोड़े जाने के तरीके से प्रभावित होकर दिए। उस मामले में विजिलेंस कोर्ट के जज एक दिन की छुट्टी पर थे और ड्यूटी जज ने उस पूर्व आईएएस को रेगुलर बेल दे दिया था। उन्होंने पटना के डिस्ट्रिक्ट जज को इस मामले में जांच करवाने का भी निर्देश दिया कि 'क्या जमानत दिए जाने वाले दिन, रेगुलर विजिलेंस कोर्ट के जज किसी जरूरी कारण से छुट्टी पर था या यह सब सोच समझकर किया गया था.....'
सभी न्यायिक काम वापस लिए गए
जस्टिस राकेश कुमार की अदालत से आदेश जारी होने के कुछ घंटों बाद ही पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एपी साही ने एक प्रसासनिक आदेश जारी करते हुए निर्देश दिया कि उनके कोर्ट से सभी मामले वापस लिए जाते हैं। उन्होंने यह जवाब भी मांगा है कि ये मामला जस्टिस कुमार की कोर्ट में कैसे पहुंच गया। गुरुवार को एक और प्रशासनिक आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि जस्टिस राकेश कुमार, 'काम मिलने तक चैंबर में इंतजार करें, जब तक दूसरा आदेश नहीं आता है... ' जस्टिस कुमार पटना हाई कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं। उनकी नियुक्ति 2009 में हुई और उनका कार्यकाल 2020 के दिसंबर में पूरा हो रहा है। वे चारा घोटाले में स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर भी रह चुके हैं।
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