पत्रकार छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम दोषी करार, जानिए क्या था मामला
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नई दिल्ली। पत्रकार हत्या केस में गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया गया है। कोर्ट 17 जनवरी को सजा का ऐलान करेगी। कोर्ट ने राम रहीम के साथ ही तीन अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में सुनवाई के लिए गुरमीत राम रहीम शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश हुआ। राम रहीम पहले ही दो लड़कियों के रेप के आरोप में जेल में सजा काट रहे हैं। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड करीब 16 साल पुराना है और डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम इसमें आरोपी है। बता दें कि साल 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
बाबा के खिलाफ खबरें लिखते थे रामचंद्र
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर 2002 को गोली मारी गई थी और 21 नवंबर को अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हरियाणा के उस छोटे से अखबार 'पूरा सच' के संपादक थे जिसने डेरा सच्चा सौदा में हुए रेप मामले और प्रबंधन समिति के सदस्य रणजीत सिंह की हत्या की खबर को प्रमुखता से छापा था। दरअसल रामचंद्र छत्रपति कथित बाबा का फ्रॉड उजागर करने के लिए अलग-अलग समाचार पत्रों को चिट्ठी भेजा करते थे। लेकिन अखबार दवाबों के चलते बाबा के फ्रॉड की खबरों को नहीं छापते थे। जिसके बाद रामचंद्र ने अपना अखबार निकालने का फैसला किया।
बाबा का पर्दाफाश करने के लिए खुद निकलने लगे अखबार
साल 2002 में रामचंद्र ने हरियाणा के सिरसा से अपना अखबार 'पूरा सच' निकालना शुरू कर दिया। बाबा के फर्जीवाड़े के खिलाफ खुलकर खबरें छापने के चलते अखबार ने लोगों के बीच अपनी जगह बना ली। 13 मई 2002 को साध्वी ने एक गुमनाम पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था। इसकी एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई। इसके बाद 30 मई 2002 को पूरा सच अखबार में साध्वी से रेप मामले को प्रकाशित किया गया। 'डेरा में धर्म के नाम पर साध्वियों के जीवन किए जा रहे बर्बाद' शीर्षक से खबर छापी गई थी।
धमकियों के बीच छापते रहे सच
इसी बीच 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या हो गई। इसके साथ ही रामचंद्र को भी धमकियां मिलनी शुरू हो गई। रामचंद्र इस मामले पर डरे बगैर लिखते रहे, धमकियां मिलती रहीं। जब इससे बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ एससी-एसटी ऐक्ट के तहत केस भी दर्ज कराए गए। हालांकि बाद में कोर्ट ने पाया शिकायत में घटना के जिस दिन की चर्चा है उस दिन वह अपने परिवार के साथ पंजाब गए हुए थे इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। रामचंद्र ने एसपी को लिखित शिकायत भी दी लेकिन कोई खास एक्शन नहीं लिया गया।
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28 दिन मौत से लड़ते रहे रामचंद्र छत्रपति
इसी बीच 24 अक्टूबर 2002 को सिरसा के सांध्य दैनिक 'पूरा सच' के संपादक रामचंद्र छत्रपति पर जानलेवा हमला हुआ। उनके घऱ के बाहर मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने उनको 5 गोलियां मारी। रामचंद्र के घर के पास पुलिस पिकेट थी जिसने गोली मारकर भाग रहे एक आरोपी को पकड़ लिया और उसी की निशानदेही पर दूसरा आरोपी पकड़ा गया। 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा और घटना के 28 दिन बाद 21 नवंबर को रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी। रामचंद्र की हत्या के केस की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने हत्या की साज़िश रचने के मामले में डेरा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम को आरोपी बनाया।
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