एन साई बालाजी: JNU का नया प्रेसिडेंट जो कहता है- इस सरकार ने जुमला और हमला के अलावा कुछ नहीं किया
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ चुनाव में वामपंथियों ने एक बार फिर अपना परचम लहराया है। जेएनयू में इस बार मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी एबीवीपी को हराने के लिए पूरे लेफ्ट के धड़े को एक साथ होकर चुनाव लड़ना पड़ा। वामपंथी और आइसा ( All India Students' Association) एक्टिविस्ट एन साई बालाजी ने एबीवीपी के उम्मीदवार को एक हजार से भी ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर जेएनयू छात्रसंघ के नए अध्यक्ष बन गए हैं। हैदराबाद से आने वाले और जेएनयू के नए अध्यक्ष बालाजी पर एक नजर डालते हैं...
पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके हैं बालाजी
निजामों के शहर हैदराबाद से ताल्लुक रखने वाले बालाजी की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से पता चलता है कि वह पिछले कई सालों से दिल्ली में रहकर पढ़ाई करे रहे हैं। बालाजी वर्तमान में जेएनयू में स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज के स्टूंडेंट हैं। हालांकि शुरुआती पढ़ाई उन्होंने पी ओबुल रेड्डी पब्लिक स्कूल हैदराबाद से ही की है। उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल्स के मुताबिक, बालाजी जेएनयू के स्टूडेंट बनने से पहले आईएमएस (नोएडा) से जनर्लिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई कर चुके हैं।
वामपंथी एक्टिविस्ट हैं बालाजी
पत्रकारिता
की
पढ़ाई
करने
के
बाद,
पढ़ाई
के
साथ-साथ
वह
समाचार
एजेंसी
आईएएनएस
और
भारत
फाइनेंशियन
इंक्लुशन
में
इंटर्नशिप
भी
कर
चुके
हैं।
सोशल
मीडिया
फेसबुक
पर
बालाजी
के
2
हजार
से
ज्यादा
फॉलोअर्स
है।
जेएनयू
में
बालाजी
एक
वामपंथी
एक्टिविस्ट
के
रूप
में
काम
कर
रहे
हैं।
इस
बार
लेफ्ट
विंग
ने
उन्हें
अध्यक्ष
पद
के
लिए
खड़ा
किया
था,
जिन्होंने
2,161
वोटों
के
साथ
धमाकेदार
जीत
दर्ज
की
हैं।
जो JNU के खिलाफ वह देश के खिलाफ
चुनाव (JNUSU) से पहले और चुनाव प्रचार के दौरान बालाजी कई बार बीजेपी और संघ पर अटैक कर चुके हैं। चुनाव में जीत से पहले जेएनयू प्रेसिडेंट पद के लिए लेफ्ट गठबंधन से खड़े हुए एन साई बालाजी ने कहा था कि अगर वे जीतते हैं तो यूनिवर्सिटी में फंडिंग और सीटों की कटौती के खिलाफ आवाज उठाएंगे। बालाजी ने कहा कि जो लोग राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को बरबाद करने के लिए जेएनयू पर आरोप लगाते हैं, वे खुद देश के खिलाफ काम कर रहे हैं।
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