JNUSU Elections 2018: JNU में लेफ्ट गठबंधन जीत के ये 4 कारण
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में 2018 छात्रसंघ चुनाव में एक बार फिर लेफ्ट के धड़े ने मध्यमपंथी कहे जाने वाले एनएसयूआई और दक्षिणपंथी स्टूटेंट विंग एबीवीपी को हजारों वोटों से हराकर कैंपस पर लाल झंडे का परचम लहरा दिया है। जेएनयू चुनाव में लेफ्ट गठबंधन ने सभी बड़े पदों पर कब्जा जमाते हुए मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी एबीवीपी को हजारों वोटों से हराया। पिछले साल के चुनावों से अलग इस बार एआईएसएफ (All India Students Federation) ने लेफ्ट से हाथ मिलाया, जिसका लेफ्ट गठबंधन का फायदा हुआ मिला। एक नजर डालते हैं कि लेफ्ट की जीत की वजह की क्या रही...
PIC Credit: JNU Voice/Twitter
1. चुनाव में जीत से पहले जेएनयू प्रेसिडेंट पद के लिए लेफ्ट गठबंधन से खड़े हुए एन साई बालाजी ने कहा था कि अगर वे जीतते हैं तो यूनिवर्सिटी में फंडिंग और सीटों की कटौती के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे। बालाजी ने कहा कि जो लोग राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को बरबाद करने के लिए जेएनयू पर आरोप लगाते हैं, वे खुद देश के खिलाफ काम कर रहे हैं।
2. लेफ्ट ने कहा था कि वे चुनाव जीतने के बाद छात्रों के केंद्रित मुद्दों और युवाओं के सुधार पर अधिक फोकस करेंगे। इसके अलावा लेफ्ट ने यूनिवर्सिटी में आरक्षण कटौती के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की बात कह है।
3. लेफ्ट ने चुनाव जीतने से पहले हमेशा की तरह एक बार फिर अपने एजेंडे में देश के उत्तर पश्चिमी राज्यों को शामिल करते हुए कहा था कि वे नॉर्थ ईस्ट और रीजनल स्टूडेंट्स का सपोर्ट करेंगे।
4. लोकसभा चुनाव 2019 को मद्देनजर रखते हुए वामपंथी गठबंधन ने जेएनयूएसयू चुनाव को एक सेमीफाइनल के रूप में लिया और जेएनयूएसयू चुनावों के माध्यम से वामपंथी दलों के लिए गति हासिल करने के कई प्रयास किया है।करने के कई प्रयास किए।
यह भी पढ़ें: JNU में लाल सलाम: सभी सीटों पर वामपंथियों का कब्जा, ABVP साफ, यहां देखिए पूरा रिजल्ट