JNU Violence: दिल्ली पुलिस नकाबपोश हमलावरों की ऐसे करेगी पहचान
नई दिल्ली। जेएनयू हिंसा मामले में नकाबपोश हमलावरों की पहचान और उनकी गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। नकाबपोश हमलावरों ने रविवार को जेएनयू कैंपस में घुसकर छात्रों और शिक्षकों की पिटाई की थी। इस हिंसा के मामले को लेकर एबीवीपी और लेफ्ट संगठन आमने-सामने हैं और दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। इस बीच नकाबपोश हमलावरों की पहचान के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। जानकारी के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की एक टीम जेएनयू पहुंची।
फेस रिकग्निशन तकनीक से होगी नकाबपोशों की पहचान
दिल्ली पुलिस ने छात्रों को जांच में शामिल होने और अपना बयान दर्ज कराने को कहा है। बताया जा रहा है कि एक हिंदू संगठन के उस बयान को भी रिकॉर्ड करने के लिए टीम गाजियाबाद जाएगी, जिसने जेएनयू में हमले की जिम्मेदारी ली है। जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में दावा किया गया है कि रविवार शाम को पीसीआर को हमले के संबंध में 100 से अधिक कॉल आए थे।
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दिल्ली पुलिस ने दर्ज की FIR
एफआईआर में लिखा गया है कि, रविवार शाम यूनिवर्सिटी परिसर में कई अज्ञात नकाबपोश घुस आए और उन्हें मारपीट-तोड़फोड़ की। हिंसा लगभग 3.45 बजे हुई जब छात्रों के दो समूह आपस में भिड़ गए। जिसके बाद संपत्ति के नुकसान की खबरें सामने आईं। पुलिस ने अपनी एफआईआर में कहा कि, जेएनयू के छात्र पिछले कुछ दिनों से हॉस्टल फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार, प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर के दायरे में किसी भी विरोध की अनुमति नहीं है।
जेएनयू में नकाबपोशों ने किया था हमला
इंस्पेक्टर की अगुआई में एक पुलिस दल 5 जनवरी को दोपहर बाद 3.45 बजे प्रशासनिक ब्लॉक में तैनात किया गया, कुछ छात्रों के बारे में सूचना मिली कि पेरियार हॉस्टल में इकट्ठा हुए हैं और उनके बीच लड़ाई हुई है और वे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस पर इंस्पेक्टर अन्य पुलिसकर्मियों के साथ पेरियार हॉस्टल पहुंचे जहां उन्होंने लगभग 50 लोगों को नकाब पहने और लाठियों से लैस पाया। भीड़ हॉस्टल में छात्रों को पीट रही थी और संपत्ति को नुकसान पहुंचा रही थी। लेकिन पुलिस को देखकर वे सभी भाग गए।