JNU हिंसा: ABVP से जुड़े छात्र ने कैमरे पर बताया- हमलावरों की मदद के लिए पुलिस ने बंद की थी लाइट
नई दिल्ली। बीते 5 जनवरी की राज जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हिंसा हुई थी। कैंपस के अंदर कुछ नकाबपोश घुसे थे और उन्होंने तीन घंटे तक कहर मचाया था। नकाबपोशों ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष आइशी घोष सहित कई अन्य छात्रों और शिक्षकों पर जानलेवा हमला किया था। देश जानना चाहता था कि वो नकाबपोश कौन थे। लेकिन दिल्ली पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था। उसे उनका पता लागने के लिए और समय चाहिए। लेकिन इंडिया टूडे ने एक स्टिंग ऑपरेशन करके उन चेहरों से नकाब उठा दिया है। इतना ही नहीं इस स्टिंग ऑपरेशन में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली पुलिस ने किस तरह हमलावरों की मदद की थी। जेएनयू में बीए फ्रेंच के फर्स्ट इयर के छात्र अक्षत अवस्थी ने इंडिया टूडे के अंडरकवर रिपोर्टर को सबकुछ बताया है वो भी खुफिया कैमरे के सामने। जेएनयू के ऑनलाइन रिकॉर्ड के मुताबिक, अक्षत अवस्थी जेएनयू के कावेरी हॉस्टल में रहते हैं।
पुलिस ने बंद की लाइट ताकि हिंसा दिख न सके
इंडिया टुडे के रिपोर्टर के सामने अक्षत अवस्थी ने रविवार को हुए हमले में खुद की पहचान की। अवस्थी को यह वीडियो दिखाया गया। इस वीडियो में उसे हॉस्टल कॉरिडोर में बेहद गुस्से में देखा जा सकता है। अक्षत के हाथों में डंडा था और उसका चेहरा हेलमेट से ढका हुआ था। जब अंडर कवर रिपोर्टर ने अक्षत से पूछा कि उसके हाथों में क्या है? इस पर अक्षत कहता है कि यह डंडा है और उसने इसे पेरियार हॉस्टल के नजदीक एक झंडे से निकाला था। जब रिपोर्टर ने अक्षत ने पूछा कि स्ट्रीट लाइट किसने बंद की थी? इस सवाल के जवाब में अक्षत ने कहा- पुलिस ने। फिर जब रिपोर्टर ने पूछा कि पुलिस ऐसा क्यों करेगी। इसपर अक्षत ने बताया ताकि भीड छिप सके और हिंसा किसी को दिखाई न दे।
और क्या बताया अक्षत ने
अक्षत ने बताया ''मैंने डंडा लिया हुआ था। पेरियार हॉस्टल के नजदीक कई झंडे थे। वही से डंडा लिया था। एक लड़का दाढ़ी रखे हुए था। कश्मीरी जैसा लग रहा था। मैंने उसे मारा। उसके बाद गेट तोड़ा। मैं कानपुर से आता हूं जहां गुंडई खून में है। पेरियार में सबसे पहले हमला हुआ। यह एक्शन का रिएक्शन था। मेरे एक दोस्त हैं वह ABVP के आर्गेनाइजेशनल सेक्रेटरी हैं। मैंने उन्हें बताया कि लेफ्ट-विंग के बच्चे साबरमती हॉस्टल में मीटिंग कर रहे हैं। इसलिए साबरमती पर हमला किया गया था। मैंने ही भीड़ जमा किया था। सेनापति की तरह। 20 लोग जेएनयू के थे और 20 बाहर से बुलाए थे। लेफ्ट छात्रों को अंदाजा भी नहीं था कि एबीवीपी इस तरह पलटवार करेगा।''
पुलिस को लेकर अक्षत ने किए ये खुलासे
अपने कबूलनामे में अक्षत ने दावा किया कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी ने भीड़ को लेफ्ट के छात्रों को पीटने के लिए प्रात्साहित किया। अक्षत ने दावा किया, "वे (पुलिस) कैंपस के बाहर नहीं, बल्कि अंदर थे। पेरियार हॉस्टल में (पहले की झड़प में) एक लड़के को चोट लगी थी, उसके बाद मैंने खुद पुलिस को बुलाया था। वह मनीष (एक छात्र) से मिले और कहा, ‘उन्हें मारो, उन्हें मारो'।" भीड़ ने अपना चेहरा क्यों ढंका था, यह पूछने पर इस छात्र ने कहा कि यह तरीका लेफ्ट के हमला करने के तरीके की ही नकल था। "हमने उनकी नकल की. लेफ्ट के लोग चेहरा ढंक कर आए थे. इसलिए हमने कहा कि हम भी चेहरा ढंक लेते हैं।"