डॉक्टर कफील और शर्जील इमाम की रिहाई को लेकर JNU छात्रों का प्रदर्शन
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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष आइशी घोष और तमाम छात्रों ने हिस्सा लिया। इन तमाम छात्रों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर सीएए, एनआरसी और सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। तमाम छात्रों ने ना सिर्फ सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया बल्कि शर्जील इमाम और डॉक्टर कफील खान को रिहा किए जाने की भी मांग की।
इससे
पहले
ऑल
इंडिया
मजलिस-ए-इत्तेहादुल
मुस्लिमीन
के
प्रमुख
असदुद्दीन
ओवैसी
ने
डॉक्टर
कफील
खान
का
समर्थन
करते
हुए
यूपी
सरकार
पर
निशाना
साधा
था।
उन्होंने
खान
पर
लगाए
गए
रासुका
की
निंदा
की
और
ट्वीट
करते
हुए
कहा
कि
राष्ट्रीय
सुरक्षा
के
लिए
एक
डॉक्टर
नहीं,
बल्कि
'ठोक
देंगे'
जैसे
बयान
देने
वाले
खतरा
हैं।
ओवैसी
ने
अपने
ट्वीट
में
उत्तर
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
पर
भी
निशाना
साधा।
उन्होंने
अपने
ट्वीट
में
कहा,
'उत्तर
प्रदेश
में
योगी
सरकार
लगातार
दलितों,
मुस्लिमों
और
विरोधियों
को
परेशान
करने
के
लिए
उनके
खिलाफ
रासुका
का
इस्तेमाल
कर
रही
है।
राष्ट्रीय
सुरक्षा
के
लिए
एक
डॉक्टर
खतरा
नहीं
है।
एक
मुख्यमंत्री
जो
'ठोक
देंगे'
और
'बोली
नहीं
तो
गोली'
जैसे
बयान
देता
है,
वह
पक्का
राष्ट्रीय
सुरक्षा
के
लिए
खतरा
है।'
बता दें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रदर्शन हो रहा था। इसी दौरान कथित तौर पर डॉक्टर कफील खान ने भड़काऊ भाषण दिया था। अब मथुरा जिला कारागार में कैद डॉ कफील खान की जमानत पर शुक्रवार को रिहाई से पहले ही उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा दिया गया है। खान को मुंबई हवाई अड्डे से उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 29 जनवरी को गिरफ्तार किया था। खान पर मथुरा के जिला कारागार से शुक्रवार को रिहा होने से पहले ही उनपर रासुका लगा दिया गया है। इससे पहले 10 फरवरी को अलीगढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उन्हें जमानत पर रिहा किए जाने के लिए आदेश दिया था। बता दें डॉक्टर कफील खान के खिलाफ सीएए के प्रदर्शन के दौरान बीते साल 12 दिसंबर को कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के सिलसिले में अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज किया गया था।
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