JNU देशद्रोह मामला: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा- बिना मंजूरी के चार्जशीट क्यों की दायर?
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य पूर्व छात्रों पर लगे राष्ट्रद्रोह के मामले में पेश हुई चार्जशीट को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया है। दिल्ली हाईकोर्ट में जेएनयू मामले में 1200 पन्नों की दायर हुई चार्जशीट को लेकर कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि जब आपके पास कानून विभाग से मंजूरी ही नहीं है, तो आपने आरोप पत्र कैसे दायर कर दिया? बता दें कि तीन साल पहले जेएनयू कैंपस में संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु के समर्थन में और भारत विरोधी कथित रूप से नारे लगे थे, जिसके बाद लेफ्ट विंग के छात्रों को पुलिस ने निशाना बनाते उन्हें कठघरे में खड़ा किया था। उस वक्त कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे।
दिल्ली पुलिस ने पिछले सप्ताह साल 2016 के जेएनयू देशद्रोह मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया, जिसके बाद आज इसे कोर्ट के सामने रखा गया। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पूछा, 'आपके पास जब कानून विभाग से मंजूरी ही नहीं है तो फिर आपने बिना मंजूरी के ही आरोप पत्र क्यों दायर किया?' दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि 10 दिन के भीतर उन्हें मंजूरी मिल जाएगी।
बता दें कि जेएनयू देशद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा जिन लोगों के नाम चार्जशीट में दिए गए हैं उनमें- कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य के अलावा अकीब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल और बशीर भट के नाम शामिल हैं। इसके अलावा शैला राशिद और सीपीआई नेता डी राजा की बेटी अपराजिता राजा का नाम भी आरोप-पत्र में शामिल है
चार्जशीट में पटियाला हाउस कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने 2016 जेएनयू देशद्रोह मामले में 124A (देशद्रोह) 323, 465, 471,143, 149, 147, 120B सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की गई।