JNU देशद्रोह केस: दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना भी कन्हैया और अन्य आरोपियों के खिलाफ कोर्ट करेगा सुनवाई
नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने गुरुवार को जेएनयू राजद्रोह केस में बड़ी बात कही। कोर्ट ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य आरोपियों के खिलाफ साल 2016 के राजद्रोह मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देती है तो भी वह इसकी सुनवाई की दिशा में आगे बढ़ेगी। कोर्ट ने इस मामले की आगे की सुनवाई 11 मार्च को करेगी।
इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत से कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस को अब तक मंजूरी नहीं दी है और न ही उसने कोई जवाब दिया है। दिल्ली पुलिस ने 9 फरवरी 2016 को संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारे लगाने को लेकर कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य और अन्य के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज दिया था। यह कार्यक्रम जेएनयू प्रशासन द्वारा मंजूरी रद्द किए जाने के बावजूद किया गया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत पर जेएनयू प्रशासन ने इस कार्यक्रम की मंजूरी रद्द कर दी थी। एबीवीपी ने इस कार्यक्रम को राष्ट्रविरोधी बताया था।
दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह का केस दर्ज किया
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार और उमर ख़ालिद को राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में जानबूझकर क्षति पहुंचाना, धोखाधड़ी, दस्तावेज़ों की जालसाज़ी, अवैध तौर पर जनसभा करना, बलवा और आपराधिक साज़िश को अंज़ाम देने जैसे आरोप इन पर लगाए हैं। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के अलावा सीपीआई नेता डी राजा की बेटी अपराजिता और जेएनयू छात्रसंघ नेता शहला राशिद का नाम भी शामिल किया गया है।