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JNU राजनीति का अखाड़ा बना, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 301वें स्थान पर फिसला

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बेंगलुरू। देश के अग्रणी विश्वविद्यालय में कभी शुमार रहा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय पिछले कुछ वर्षो से उपद्रियों और उदंडकारियों का अड्डा बनता जा रहा है। वर्ष 2016 में जेएनयू कैंपस में भारत विरोधी नारे लगाने वाले छात्र किस दिशा में बढ़ रहे हैं इसकी कहानी हाल ही में जारी हुए वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग की सूची बतलाती है। सुनकर आश्चर्य होगा कि टाइम्स वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जेएनयू का स्थान 301वां है।

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कहने का अर्थ है कि वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग की टॉप 300 यूनिवर्सिटीज में जेएनयू के लिए कोई जगह नहीं हैं। वहीं, QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2020 से इस बार जेएनयू को बाहर ही निकाल दिया गया है जबकि डीयू जो पिछले वर्ष 487 रैंक पर थी उसमें सुधार किया है और वह 474 रैंक पर हैं। यही नहीं, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की रैंकिंग भी बरकरार है, वहां अगर नहीं है तो सिर्फ जेएनयू।

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सवाल यह है कि आखिर क्या कारण है कि जेएनयू लगातर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में पिछड़ रही है। इसका सीधा सा जवाब एनयू का राजनीति का अखाड़ा बन जाने का कहा जा सकता है। वर्ष 2016 से लेकर लगातार शिक्षा से इतर कारणों से सुर्खियों में रहने वाली जेएनयू के छात्र एक विपक्षी दल की व्यवहार कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाला विभिन्न राजनीतिक टूल की तरह कर रही हैं। वर्ष 2016 में जेएनयू के छात्रों द्वारा लगाए गए नारे, 'भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाल्लाह, इंशाल्लाह' कौन भूला सकता है, जिससे पूरे विश्व में जेएनयू के साथ-साथ भारत की छवि को धक्का पहुंचा।

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मौजूदा दौर में जेएनयू के छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा हॉस्टल और मेस फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ पूरे जेएनयू को ठपकर रखा है। जेएनयू छात्रों के बवाल को देखते हुए सरकार के दखल के बाद बढ़े हुए फीस को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया, लेकिन छात्र अभी भी आंदोलनरत हैं और सोमवार को संसद मार्च शुरू कर दिया। हालांकि प्रशासन की सख्ती के चलते छात्र संसद तक नहीं पहुंच सके और उन्हें वहां पहुंचने से पहले दबोच लिया गया।

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उल्लेखनीय है जेएनयू प्रशासन ने एक सीटर कमरे वाले हॉस्टल का मासिक किराया 20 रुपए से बढ़कर 600 रुपए कर दिया था और दो लोगों के लिए कमरे का किराया 10 रुपए से बढ़कर 300 रुपए कर दिया था, लेकिन छात्रों ने हंगामा काट दिया। छात्रों के प्रदर्शन के बाद इसमें बदलाव किया गया और इसे क्रमश: 300 और 150 रुपए कर दिया गया। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि कमरों के किराए तीन दशक से नहीं बढ़े थे, बाकी ख़र्च एक दशक से लंबे समय से नहीं बढ़े थे, इसलिए ये कदम ज़रूरी था, लेकिन अपने मांगो के लेकर अड़े हुए हैं।

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देश के टॉप 10 यूनिवर्सिटी की सूची में तीसरे पायदान पर मौजदू जेएनयू का स्थान कभी देश का अग्रणी यूनिवर्सिटी हुआ करता था, लेकिन बीते कुछ दशकों में जेएनयू पढ़ाई से अधिक अन्य वजहों से सुर्खियों में ज्यादा रही है। यही कारण है कि जेएनयू की वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग ही नहीं, बल्कि नेशनल यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भी पतन हुआ है। राजनीति का अखाड़ा बन चुकी जेएनयू में वामपंथी दलों का बोलबाला है और छात्र दिनभर राजनीतिक गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।

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वर्ष 2010 की एक घटना याद आती है जब जेएनयू से एक सेक्स टेप वायरल हुआ था। कथित तौर पर जेएनयू के एक छात्र और छात्रा ने वहां के हॉस्टल में शारीरिक संबंध बनाए थे और उनका ये वीडियो कैंपस में वायरल हो गया। 2011 में मामला जब आगे बढ़ा तब छात्र को बर्खास्त किया गया और वो अपने राज्य बिहार चला गया। डरकर छात्रा पहले ही यूनिवर्सिटी छोड़कर जा चुकी थी।दोनों स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज और कंप्यूटर साइंस में पढ़ते थे।

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इसके बाद इंटरनेट पर 'जेएनयू सेक्स टेप' सर्च लिस्ट में ऊपर आने लगा। मतलब एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी, जहां से स्कॉलर निकलते हैं और जहां पर लोग पढ़ना चाहते हैं, वहां से ऐसा टेप सामने आने से लोगों के लिए आश्चर्य और घृणा की बात बन गई थी। ऐसे ही कई और कारण है, जो जेएनयू की छवि को धूमिल कर रहे हैं। इनमें भारत विरोधी नारे लगना प्रमुख है, जिससे अभिभावक भी अपने बच्चों को जेएनयू भेजने से एक बार कतराने लगे।

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एक ऐसा ही वाक्या याद आता है जब वर्ष 2014 में जेएनयू कैंपस में किस ऑफ लव नाम से एक कैंपने शुरू हुआ। जेएनयू के छात्र-छात्राओं ने इसमें बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया। केरल से शुरू हुआ यह कैंपेन जेएनयू में हिट हो चुका था। सड़कों पर जेएनयू के छात्र और छात्राएं एक दूसरे को चूमते नज़र आए। इस प्रदर्शन के खिलाफ कई सांस्कृतिक संगठनों ने भी मोर्चा खोला तो उच्छश्रृखंलता को निजी स्वतंत्रता में दखल से जोड़ दिया गया। इस घटना ने निःसंदेह जेएनयू की छवि को धूमिल किया।

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रही सही कसर मुक्त विचारधारा के लिए जाने वाले जेएनयू में संसद हमले के दोषी अफज़ल गुरु की फांसी की बरसी पर प्रदर्शन करके छात्रों द्वारा पूरी कर दी। मीडिया के कैमरे पर छात्र-छात्राएं बाकायदा देश विरोधी नारे लगाते हुए गिरफ्तार हुए और फिर छोड़ दिए गए। इसी वर्ष पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत दर्जनों छात्रों पर चार्जशीट दाखिल किया गया।

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इसी साल जेएनयू के 11 टीचरों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय: दि डेन ऑफ सेसेशनिसम एंड टेरोरिज़म नाम से दौ सौ पृष्ठों का एक डाक्यूमेंट तैयार की गई, जिसमें बताया गया था कि जेएनयू में सेक्स और ड्रग्स की भरमार है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर अमिता सिंह द्वारा बताया गया कि जेएनयू के मेस में सेक्स वर्कर्स का आना सामान्य बात है।

यह भी पढ़ें- जेएनयू विवाद पर स्वरा भास्कर ने किया ये ट्वीट, हो रहा है वायरल

Comments
English summary
The JNU campus of Jawaharlal University has now become a political arena for political parties, especially opposition leaders, where day-to-day university students participate in anti-government protests for political gains. In 2016, JNU students demonstrated in favor of Afzal Ansari, convicted of the Parliament attack. From then on, it seems that the rank of India's Rank One University JNU has started to decline.
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