जियो के लिए ग्रहण बना आईयूसी, Airtel-Vodafone से फिर हार गया रिलायंस
बेंगलुरू। लगातार तीन वर्ष टेलीकॉम इंडस्ट्री की सिरमौर बनी रही रिलायंस जियो के बुरे दिन शुरू हुए तो अब खत्म होने का नाम नहीं ले रहें हैं। रिलायंस जियो की तरक्की में ग्रहण बनकर आए आईयूसी यानी इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज की वैधता को फिलहाल भारतीय टेलीक़ॉम विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 1 जनवरी, 2021 तक बढ़ा दिया है, जिसे पहले ट्राई पहले 1, जनवरी, 2020 को खत्म करने वाली थी।
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कहते हैं जब किस्मत खराब हो तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता कांट लेता है। कुछ ऐसा ही रिलायंस जियो के साथ हो रहा है। रिलांयस इंफोकॉम ने महज तीन साल के छोटे अंतराल में 35.4 करोड़ ग्राहक बना लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था, लेकिन लगता है अब रिलायंस जियो के बुरे दिन आ गए हैं, क्योंकि जनवरी, 2021 तक आईयूसी नामक ग्रहण उसके सब्सक्राइबर बेस को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं।
गौरतलब है 8 सितंबर, 2016 में जियो की लांचिंग के बाद रिलायंस जियो ने तेजी से शीर्ष टेलीकॉम इंडस्ट्री में शुमार हो गई थी। महज तीन साल के सफ़र में देश की दूसरी बड़ी सब्सक्राइबर बेस वाली कंपनी बनकर उभरी रिलायंस जियो का सफ़र बिना अवरोध के चलता गया।
देश की शीर्ष टेलीकॉम कंपनी बनने की राह में रिलायंस जियो के लिए कोई रोड़ा था तो इंटरकनेक्ट यूजेज चार्जेज (आईयूसी) थे, लेकिन कंपनी ने ट्राई द्वारा जारी आईयूसी की वैधता के बावजूद अपने फ्री अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और लगभग मुफ्त डेटा टैरिफ की मदद से बाजार में अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रही।
दरअसल, रिलायंस जियो को भरोसा था कि जल्द ट्राई द्वारा आयूसी की वैधता को खत्म कर दिया जाएगा, लेकिन आईयूसी वैधता को शून्य करने के खिलाफ लामबंद एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की वजह से रिलायंस जियो का दांव फेल हो गया। चूंकि पिछले 20 वर्ष से भारत की शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों में शुमार रही एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया रिलायंस जियो की लांचिंग के बाद बर्बादी के कगार पर पहुंच चुकी थी।
इस बीच घाटे से बचने के लिए आइडिया को वोडाफोन में विलय करना पड़ा। कहा जाता है पिछले तीन वर्ष से रिलायंस जियो के चलते बर्बादी के कगार पर खड़ी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों ने आईयूसी की वैधता को शून्य करने के खिलाफ जमकर लॉबिंग की थी। यही कारण था कि आईयूसी की वैधता को खत्म नहीं किया जा सका।
उल्लेखनीय है वर्ष 2011 में ही तत्कालीन ट्राई चेयरमैन रहे जेएस सरमा ने अक्टूबर, 2011 को तत्कालीन शीर्ष टेलीकॉम ऑपरेटर्स को सूचित किया था कि 1 अप्रैल, 2014 से मोबाइल टर्मिनिशेन चार्ज जीरो कर दिया जाएगा और सभी ऑपरेटर्स को उनके व्यवसाय और नेटवर्क के हिसाब से इंटरकनेक्शन यूजेज चार्ज को समायोजित करने के लिए निर्देशित किया था।
लेकिन सहमति के बावजूद शीर्षस्थ सभी टेलीकॉम कंपनियों द्वारा तीन वर्ष के लंबे अंतराल भी कोई पहल नहीं की गई। यही कारण था कि रिलायंस जियो की लांचिंग के बाद दिन से रिलायंस इंफोकॉम को एयरटेल, वोडफोन और आइडिया कंपनियों को हर वर्ष 4500 करोड़ रुपए आईयूसी देने पड़े।
रिलायंस जियो को उम्मीद थी कि 1जनवरी, 2020 तक आईयूसी की वैधता शून्य हो जाएगी तो कंपनी मौजूदा सब्सक्राइबर बेस के आधार पर स्टैंड कर जाएगी, लेकिन ट्राई द्वारा आईयूसी की वैधता को एक साल और आगे बढ़ाने से रिलायंस जियो का भारी नुकसान तय माना जा रहा हैं।
एक ओर जहां उसके सब्सक्राइबर बेस घटने का अनुमान किया जा रहा है, दूसरे आईयूसी की वैधता जारी रहने से एय़रटेल और वोडाफोन-आइडिया की तुलना में अधिक पैसे चुकाने पड़ेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि रिलायंस जियो पूरी तरह से 4जी नेटवर्क पर बेस्ड है जबकि दोनों कंपनियां मसलन एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को यूजर बेस 2जी नेटवर्क पर भी हैं।
दिलचस्प बात यह है कि आईयूसी की वैधता से एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को कम नुकसान की वजह भारत में मौजूद अभी 58 फीसदी 2जी यूजर हैं, जिनमें एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की अधिक भागीदारी हैं। चूंकि ज्यादातर 2जी यूजर ग्रामीण हैं और जब 2जी यूजर (एयरटेल-वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल) जियो यूजर को फोन करते हैं तो ट्राई द्वारा निर्धारित किए 6 पैसे प्रति कॉल की दर से (आईयूसी) जियो को एयरटेल और वोडाफोन को चुकाने पड़ते हैं। यानी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया बगैर कुछ किए हर साल करोड़ों कमा रहीं हैं।
यही कारण हैं कि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनी आईयूसी की वैधता को लागू करने के लिए लामबंद रही हैं, क्योंकि इसके जरिए 'हरै लगे न फिटकरी और रंग चोखा आए' जैसे कहावत को चरित्रार्थ करते हुए दोनों कंपनियां मोटा पैसा कमा रहीं है, क्योंकि केवल 4जी नेटवर्क पर बेस्ड होने के चलते जियो को एयरटेल और वोडफोन-आइडिया को बहुत कम पैसा आईयूसी के नाम पर देने पड़ रहे हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रामीण और शहरी इलाकों के फीचर फोन यूज करने वाले 58 फीसदी ग्राहक 35.4 करोड़ सब्सक्राइबर बेस वाले जियो यूजर को कॉल लगाते है तो जियो को हर कॉल की कनेक्टीविटी के लिए 6 पैसे प्रति कॉल एयरटेल-वोडाफोन-आइडिया को चुकाने पड़ते हैं।
यही वजह थी कि 10 अक्टूबर, 2019 से रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉल के लिए 6 पैसे प्रति मिनट वसूलने शुरू कर दिए थे। अक्टूबर में ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉल के लिए आईयूसी वसूलने की घोषणा करते हुए रिलायंस जियो ने ट्राई द्वारा आईयूसी को 1 जनवरी, 2020 तक समाप्त नहीं करने के फैसल को न केवल प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए घातक बताया था, बल्कि यह टेलीकॉम ग्राहकों के खिलाफ भी करार दिया था।
रिलायंस इंफोकॉम का आरोप था कि ट्राई का उक्त फैसला एयरटेल व वोडाफोन-आइडिया जैसे पुराने ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचाने वाला है। रिलायंस जियो का कहना था कि आईयूसी की वैधता कुशल व नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाले ऑपरेटर को दंडित कर रहा है।
आईयूसी की वैधता से सबसे अधिक नुकसान रिलायंस जियो को इसलिए हो रहा है, क्योंकि उसका यूजर बेस्ड 4जी नेटवर्क है। चूंकि रिलायंस जियो के मुकाबले बाकी नेटवर्क्स पर दूसरे नेटवर्क से आने वाली इनकमिंग कॉल्स ज्यादा हैं। इस तरह जियो को बाकी कंपनियों को ज्यादा आईयूसी चार्ज देना पड़ रहा था।
यही वजह है कि अब जियो यूजर्स से आईयूसी चार्ज ले रहा है। इसे उदाहरण के जरिए समझ सकते हैं। मसलन अगर एयरटेल ग्राहक ने किसी जियो कस्टमर को कॉल किया है, तो एयरटेल जियो को इसके लिए आईयूसी चार्ज देगा, जो जियो के मामले में बहुत कम होता है।
वहीं, जियो यूजर की ओर से एयरटेल के नंबर पर आउटगोइंग कॉल की स्थिति में जियो को एयरटेल को आईयूसी चार्ज का भुगतान करेगा, जो कि बहुत ज्यादा है, क्योंकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर जियो की ओर से आने वाली इनकमिंग कॉल की संख्या बहुत ज्यादा है, जिससे जियो को नुकसान हो रहा है।
यह रिलांयस जियो के लिए बड़ा झटका इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि जियो को अब 1 जनवरी, 2021 तक अपने ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए आईयूसी के 6 पैसे प्रति मिनट वसूलने होंगे जबकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने पहले ही अपने ग्राहकों से आईयूसी नहीं वसूलने की घोषणा की हैं।
ऐसी स्थिति में रिलांयस जियो को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए ग्राहकों से आईयूसी वसूलने का विचार त्यागना पड़ सकता है और अगर वह ऐसा करती है तो उसे प्रति वर्ष 45000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा, जैसा कंपनी ने पिछले 3 वर्ष झेला था और अगर कंपनी जियो ग्राहकों से आईयूसी वसूलना जारी रखती है, तो उसका सब्सक्राइबर बेस पर खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि ग्राहक किसी के सगे नहीं होते और जहां सस्ता टैरिफ होगा वो उसी ओर रूख कर जाएंगे।
हालांकि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रिलायंस इंफोकॉम ने दिवाली के मौके पर 2जी यूजर को 4जी नेटवर्क पर स्विच कराने के लिए रिलायंस फीचर फोन 666 रुपए में बेंच रही थी, लेकिन उसकी यह कवायद ज्यादा सफल नहीं हुईं जबकि नंबर पोर्टबिलिटी सुविधा भी भारत में मौजूद हैं।
माना जाता है कि ग्रामीण यूजर अभी भी 2जी नेटवर्क में चिपके हुए हैं। इसका एक कारण रिलायंस जियो का ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की उपलब्धता भी हो सकती है और दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि लोगों के नजर में एयरटेल और वोडाफोन कंपनियां एलीट श्रेणी की हैं वरना 10 अक्टूबर, 2019 से पूर्व 4जी नेटवर्क पर लगातार तीन वर्ष अनलिमिटेड फ्री वॉयस कॉलिंग और हर रोज 1.5जीबी फ्री इंटरनेट रिलायंस जियो मुहैया करवा रही थी। इनमें एक वर्ष तो ग्राहकों से कंपनी ने ग्राहकों से पैसे तक नहीं लिए।
यह खबर रिलायंस जियो के लिए बेहद निराशाजनक थी जब मंगललार को ट्राई ने इंटर-नेटवर्क कॉलिंग पर लगने वाले इंटरकनेक्ट यूजेज चार्जेस (आईयूसी) को जनवरी, 2020 से खत्म करने का फैसला टाल दिया है। अपने बयान में ट्राई ने कहा कि वायरलेस से वायरलेस डोमेस्टिक कॉस्ट के लिए टर्मिनेशन चार्ज 31 दिसंबर, 2020 तक पहले की तरह 6 पैसे प्रति मिनट लागू रहेंगे।
1 जनवरी, 2021 से वायरलेस टू वायरलेस डोमेस्टिक कॉल्स के लिए जीरो हो जाना चाहिए। जियो चाहता था कि आईयूसी की वैधता को खत्म किया जाए, लेकिन 2जी और 4जी दोनों नेटवर्क पर मौजूद भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया आईयूसी जारी रखने की अपील की थी।
निः संदेह वोडाफोन और भारती एयरटेल के लिए आईयूसी चार्ज जारी रहना अच्छी खबर है, क्योंकि दोनों ही कंपनियां चाहती थीं कि इन्हें जारी रखा जाए, क्योंकि रिलायंस जियो के मुकाबले बाकी नेटवर्क्स यानी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर दूसरे नेटवर्क से आने वाली इनकमिंग कॉल्स ज्यादा हैं।
इसलिए जियो को बाकी कंपनियों को ज्यादा आईयूसी चार्ज देना पड़ रहा था, लेकिन एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया यूजर के आउटगोइंग कॉल की संख्या जियो नेटवर्क पर तुलनात्मक रूप से बेहद कम है। यही वजह है कि अब रिलायंस जियो को अपने यूजर्स से आईयूसी चार्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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आईयूसी क्या है?
इंटरकनेक्ट यूजेस चार्ज या आईयूसी ही जियो की कॉलिंग सभी नेटवर्क्स के साथ फ्री न रहने की वजह बनी है। दरअसल, एक टेलिकॉम नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए ट्राई की ओर से तय किए गए एक शुल्क का भुगतान कंपनियों को करना पड़ता है। जिस नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर आउटगोइंग कॉल की जाती है, उसे दूसरे नेटवर्क को यह आईयूसी फीस देनी पड़ती है। उदाहरण के लिए अगर एयरटेल कस्टमर ने किसी जियो कस्टमर को कॉल किया है, तो एयरटेल जियो को इसके लिए आईयूसी चार्ज देगा। वहीं, जियो यूजर की ओर से एयरटेल के नंबर पर आउटगोइंग कॉल की स्थिति में जियो भी एयरटेल को आईयूसी चार्ज का भुगतान करेगा।
ट्राई ने 1 जनवरी, 2021 तक बढ़ा दी है आईयूसी की वैधता
भारतीय टेलीकॉम विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आईयूसी यानी इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज की वैधता को ट्राई ने 1 जनवरी, 2021 तक बढ़ा दी है, जिसे ट्राई पहले 1, जनवरी, 2020 को खत्म करने वाली थी। ट्राई की यह घोषणा महज तीन साल के छोटे अंतराल में 35.4 करोड़ ग्राहक बनाने वाली रिलांयस इंफोकॉम के लिए घातक साबित हो सकती हैं, क्योंकि आईयूसी नामक ग्रहण उसके सब्सक्राइबर बेस को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं।
जियो की तरक्की में रोड़ा बन सकती है आईयूसी वैधता
देश की शीर्ष टेलीकॉम कंपनी बनने की राह में रिलायंस जियो के लिए कोई रोड़ा था तो इंटरकनेक्ट यूजेज चार्जेज (आईयूसी) थे, लेकिन कंपनी ने ट्राई द्वारा जारी आईयूसी की वैधता के बावजूद अपने फ्री अनलिमिटेड वॉयस कॉलिंग और लगभग मुफ्त डेटा टैरिफ की मदद से बाजार में अपनी पकड़ बनाने में कामयाब रही।
आईयूसी वैधता को शून्य करने के खिलाफ थे एयरटेल और वोडाफोन
आईयूसी वैधता को शून्य करने के खिलाफ लामबंद एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की वजह से रिलायंस जियो का दांव फेल हो गया। चूंकि पिछले 20 वर्ष से भारत की शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों में शुमार रही एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया रिलायंस जियो की लांचिंग के बाद बर्बादी के कगार पर पहुंच चुकी थी। कहा जाता है पिछले तीन वर्ष से रिलायंस जियो के चलते बर्बादी के कगार पर खड़ी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों ने आईयूसी की वैधता को शून्य करने के खिलाफ जमकर लॉबिंग की थी। यही कारण था कि आईयूसी की वैधता को खत्म नहीं किया जा सका।
पूर्व ट्राई चेयरमैन जेएस सरमा ने IUC वैधता को शून्य करने को कहा
वर्ष 2011 में ही तत्कालीन ट्राई चेयरमैन रहे जेएस सरमा ने अक्टूबर, 2011 को तत्कालीन शीर्ष टेलीकॉम ऑपरेटर्स को सूचित किया था कि 1 अप्रैल, 2014 से मोबाइल टर्मिनिशेन चार्ज जीरो कर दिया जाएगा और सभी ऑपरेटर्स को उनके व्यवसाय और नेटवर्क के हिसाब से इंटरकनेक्शन यूजेज चार्ज को समायोजित करने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन सहमति के बावजूद शीर्षस्थ सभी टेलीकॉम कंपनियों द्वारा तीन वर्ष के लंबे अंतराल भी कोई पहल नहीं की गई। यही कारण था कि रिलायंस जियो की लांचिंग के बाद दिन से रिलायंस इंफोकॉम को एयरटेल, वोडफोन और आइडिया कंपनियों को हर वर्ष 4500 करोड़ रुपए आईयूसी देने पड़े।
1 जनवरी, 2020 को शून्य होनी थी आईयूसी की वैधता
रिलायंस जियो को उम्मीद थी कि 1 जनवरी, 2020 तक आईयूसी की वैधता शून्य हो जाएगी, लेकिन ट्राई द्वारा आईयूसी की वैधता को एक साल और आगे बढ़ाने से रिलायंस जियो का भारी नुकसान तय माना जा रहा हैं। एक ओर जहां उसके सब्सक्राइबर बेस घटने का अनुमान किया जा रहा है, दूसरे आईयूसी की वैधता जारी रहने से एय़रटेल और वोडाफोन-आइडिया की तुलना में अधिक पैसे चुकाने पड़ेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि रिलायंस जियो पूरी तरह से 4जी नेटवर्क पर बेस्ड है जबकि दोनों कंपनियां मसलन एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को यूजर बेस 2जी नेटवर्क पर भी हैं।
IUC की वैधता से एयरटेल और वोडाफोन को है कम नुकसान
दिलचस्प बात यह है कि आईयूसी की वैधता से एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को कम नुकसान की वजह भारत में मौजूद अभी 58 फीसदी 2जी यूजर हैं, जिनमें एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की अधिक भागीदारी हैं। चूंकि ज्यादातर 2जी यूजर ग्रामीण हैं और जब 2जी यूजर (एयरटेल-वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल) जियो यूजर को फोन करते हैं तो ट्राई द्वारा निर्धारित किए 6 पैसे प्रति कॉल की दर से इंटनकनेक्ट यूजेज चार्जेज (आईयूसी) जियो को एयरटेल और वोडाफोन को चुकाने पड़ते हैं। यानी एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया बगैर कुछ किए हर साल जियो से आईयूसी की वैधता के चलते 45000 करोड़ रुपए कमा रहीं हैं।
'हर्रे लगे न फिटकरी और रंग चोखा आए' मोड में एय़रटेल-वोडाफोन
एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनी आईयूसी की वैधता को लागू करने के लिए लामबंद रही हैं, क्योंकि इसके जरिए 'हरै लगे न फिटकरी और रंग चोखा आए' जैसे कहावत को चरित्रार्थ करते हुए दोनों कंपनियां मोटा पैसा कमा रहीं है, क्योंकि केवल 4जी नेटवर्क पर बेस्ड होने के चलते जियो को एयरटेल और वोडफोन-आइडिया को बहुत कम पैसा आईयूसी के नाम पर देने पड़ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रामीण और शहरी इलाकों के फीचर फोन यूज करने वाले 58 फीसदी ग्राहक 35.4 करोड़ सब्सक्राइबर बेस वाले जियो यूजर को कॉल लगाते है तो जियो को हर कॉल की कनेक्टीविटी के लिए 6 पैसे प्रति कॉल एयरटेल-वोडाफोन-आइडिया को चुकाने पड़ते हैं।
ट्राई के फैसले को जियो ने टेलीकॉम ग्राहकों के खिलाफ करार दिया
10 अक्टूबर, 2019 से रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉल के लिए 6 पैसे प्रति मिनट वसूलने शुरू कर दिए थे। अक्टूबर में ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉल के लिए आईयूसी वसूलने की घोषणा करते हुए रिलायंस जियो ने ट्राई द्वारा आईयूसी को 1 जनवरी, 2020 तक समाप्त नहीं करने के फैसले को न केवल प्रतिस्पर्धी टेलीकॉम इंडस्ट्री के ग्रोथ के लिए घातक बताया था, बल्कि यह टेलीकॉम ग्राहकों के खिलाफ भी करार दिया था। रिलायंस का आरोप था कि ट्राई का उक्त फैसला एयरटेल व वोडाफोन-आइडिया जैसे पुराने ऑपरेटर्स को लाभ पहुंचाने वाला है। रिलायंस जियो का कहना था कि आईयूसी की वैधता कुशल व नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाले ऑपरेटर को दंडित कर रहा है।
रिलायंस जियो को आईयूसी की वैधता से सबसे अधिक नुकसान
आईयूसी की वैधता से सबसे अधिक नुकसान रिलायंस जियो को इसलिए हो रहा है, क्योंकि उसका यूजर बेस्ड 4जी नेटवर्क है। चूंकि रिलायंस जियो के मुकाबले बाकी नेटवर्क्स पर दूसरे नेटवर्क से आने वाली इनकमिंग कॉल्स ज्यादा हैं। इस तरह जियो को बाकी कंपनियों को ज्यादा आईयूसी चार्ज देना पड़ रहा था। यही वजह है कि अब जियो यूजर्स से आईयूसी चार्ज ले रहा है, क्योंकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर जियो की ओर से आने वाली इनकमिंग कॉल की संख्या बहुत ज्यादा है, जिससे जियो को नुकसान हो रहा है।
आईयूसी वैधता 2021 तक बढ़ने से जियो का लगा डबल झटका
यह रिलांयस जियो के लिए बड़ा झटका इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि जियो को अब 1 जनवरी, 2021 तक अपने ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉलिंग के लिए आईयूसी के 6 पैसे प्रति मिनट वसूलने होंगे जबकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने पहले ही अपने ग्राहकों से आईयूसी नहीं वसूलने की घोषणा की हैं। ऐसी स्थिति में रिलांयस जियो को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए ग्राहकों से आईयूसी वसूलने का विचार त्यागना पड़ सकता है और अगर वह ऐसा करती है तो उसे प्रति वर्ष 45000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा, जैसा कंपनी ने पिछले 3 वर्ष झेला था और अगर कंपनी जियो ग्राहकों से आईयूसी वसूलना जारी रखती है, तो उसका सब्सक्राइबर बेस पर खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि ग्राहक किसी के सगे नहीं होते और जहां सस्ता टैरिफ होगा वो उसी ओर रूख कर जाएंगे।