अब Jio DTH को झटका, लॉन्चिंग से पहले Airtel-Dish TV मिलकर बिगाड़ेंगे खेल!
बेंगलुरू। भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में महज 3 वर्ष से शीर्ष पर काबिज हो चुकी रिलांयस इंफोकॉम पिछले कुछ महीनों से लगातार झटके खा रही है। जियो इंफोकॉम का ताजा झटका उसके प्रस्तावित जियो डीटीएच को लगा है, जिसे कंपनी जल्द लांच करने की योजना तैयार कर रही हैं।
दरअसल, टेलीकॉम इंडस्ट्री के बाद जियो को डीटीएच इंडस्ट्री में झटका लगना तय हैं, क्योंकि डिश टीवी और एयरटेल डीटीएच का विलय होने जा रहा है दोनों कंपनियों के विलय का सीधा नुकसान जियो डीटीएच की लांचिंग पर पड़ेगा, क्योंकि विलय के बाद डिश टीवी और एयरटेल देश की सबसे बड़ी डीटीएच कंपनी बन जाएंगी। हालांकि अबी टाटा स्काई देश की सबसे बड़ी डीटीएच कंपनी है।
दरअसल, भारती एयरटेल की डायरेक्ट-टु-होम यूनिट एयरटेल डिजिटल टीवी, प्राइवेट इक्विटी फर्म वॉरबर्ग पिंकस और एस्सेल ग्रुप की डिश टीवी तीनों कंपनियां विलय के लिए राजी हो गई हैं। हालांकि विलय की रकम का अभी खुलासा नहीं हुआ है। विलय में शामिल तीसरी कंपनी वॉरबर्ग पिंकस को एयरटेल ने वर्ष 2017 में भारती टेलीमीडिया में 20 फीसदी शेयर 350 डॉलर यानी 34 करोड़ डॉलर बेचा था, लेकिन अब तीनों कंपनियों ने जियो डीटीएच से मोर्चा लेने के लिए विलय करने जा रही हैं।
इसका सीधे-सीधे नुकसान लांचिंग से पहले जियो डीटीएच माना जा रहा है। एयरटेल डिजिटल टीवी और डिश टीवी के मर्जर की चर्चा इसी साल मार्च में शुरू हुई थी जब रिलायंस जियो ने हाल में देश की दो सबसे बड़ी केबल टीवी कंपनियां- डेन केबल नेटवर्क और हैथवे केबल एंड डाटाकॉम में प्रमुख हिस्सेदारी खरीदी थी।
तीनों डीटीएच कंपनियों के इस विलय के पीछे की रणनीति यह है कि विलय के बाद रिलायंस जियो को कड़ी टक्कर दी जा सके, क्योंकि यह तय माना जा रहा है कि जियो डीटीएच मार्केट में सस्ते दर में डीटीएच सेवा उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाकर डीटीएच इंडस्ट्री में भी तहलका मचा सकती हैं।
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पोस्टपोन हुआ आईयूसी वैधता को शून्य करने का प्रस्ताव
रिलायंस जियो के झटके खाने की शुरूआत अक्टूबर, 2019 में हुई जब आईयूसी के नाम पर कंपनी ने जियो ग्राहकों से 6 पैसे प्रति मिनट वसूलने की घोषणा की। रिलायंस इंफोकॉम को आईयूसी के 6 पैसे प्रति कॉल इसलिए थोपने पड़ गए, क्योंकि लगातार 20 वर्ष तक भारत की शीर्ष कंपनियों में शुमार रहीं एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया की लॉबिंक के चलते टेलीकॉम रेग्युलेटरी ऑफ इंडिया यानी ट्राई ने पूर्व प्रस्तावित आईयूसी वैधता को शून्य करने की योजना को पोस्टपोन कर दिया।
आईयूसी वैधता शून्य नहीं होने से बिगड़ा जिया का गणित
ट्राई द्वारा आईयूसी की वैधता के चलते रिलायंस जियो को एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को हर वर्ष 4500 करोड़ रुपए चुकाने पड़ रहे थे। जियो इंफोकॉम ने ग्राहकों को खोने के डर से वर्ष 2016 से 2019 के बीच करीब 13500 करोड़ रुपए एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को चुकाए, लेकिन जब ट्राई ने आईयूसी की वैधता को शून्य करने करने के प्रस्ताव को दवाब में खटाई में डाल दिया तो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मालिक मुकेश अंबानी को आईयूसी के लिए ट्राई द्वारा निर्धारित 6 पैसे प्रति कॉल वसूलने के मजबूर होना पड़ा। जियो इंफोकॉम ने अपने ग्राहकों से दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए 6 पैसे प्रति कॉल वसूलना शुरू कर दिया।
4जी नेटवर्क पर जियो की विवशता से हुआ कंंपनी को नुकसान
यह पहला मौका था जब 3 वर्ष के स्वर्णिम यात्रा के बाद मुकेश अंबानी की टेलीकॉम नेंटर जियो इंफोकॉम को एयरटेल और वोडाफोन के आगे शिकस्त का सामना करना पड़ा, क्योंकि आईयूसी का नुकसान एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया कंपनी को कम हो रहा था, क्योंकि ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में अभी भी ज्यादातर ग्राहक 2 जी पर बेस्ड हैं और 2 जी यूजर के कॉल्स की जियो नंबर पर कनेक्टविटी के लिए जियो को ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि जियो पूरी तरह से 4 जी नेटवर्क बेस्ड है। यही कारण था कि मुकेश अंबानी ने 2जी यूजर्स को 4 जी नेटवर्क पर स्विच कराने के लिए सस्ती दरों में 4जी फीचर फोन भी बेंचे, लेकिन जियो उसमें आंशिक सफलता ही मिली।
AGR के दवाब में जियो ने टैरिफ में करनी पड़ी 40 फीसदी वृद्धि
वर्तमान में 35.4 करोड़ यूजर्स के साथ देश की दूसरी बड़ी टेलीकॉम कंपनी में शुमार हो चुकी रिलायंस जियो को दूसरा झटका तब लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने दूर संचार विभाग को तीन महीने के अंदर सभी कंपनियों से एजीआर वसूलने का आदेश दे दिया और उपभोक्ता को सबसे आगे रखने वाली कंपनी रिलायंस जियो ने टैरिफ दरों में 40 फीसदी बढ़ोत्तरी की घोषणा कर दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एयरटेल और वोडफान कंपनियां दीवालिया होने के कगार पर पहुंच चुकी थी, क्योंकि उन दोनों कंपनियों पर सर्वाधिक बकाया था, लेकिन रिलायंस जियो पर उतना दवाब नहीं था।
पहली बार जियो उपभोक्ताओं के बीच बिगड़ी रिलांयस की छवि
टैरिफ में वृद्धि की घोषणा सबसे पहले भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों ने की और दोनों कंपनियों ने टैरिफ में क्रमशः 40 और 50 फीसदी वृद्धि की घोषणा कर दी थी। यह अलग बात है कि सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए एजीआर चुकाने के लिए समयावधि को 2 वर्ष के लिए बढ़ा दिया, लेकिन कंपनियों ने फिर भी बढ़ी दरें नहीं घटाईं। इस कवायद में रिलायंस जियो की छवि जियो उपभोक्ताओं के बीच बिगड़ चुकी थी। क्योंकि जियो चाहती तो प्रतिस्पर्धा में बनी रहने के लिए जियो की टैरिफ में 40 वृद्धि को टाल सकती है, इससे वह एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया का खेल बिगाड़ सकती थी। जियो इससे आईयूसी वैधता की लॉबिंग का भी बदला ले सकती थी।
जियो टैरिफ में 40% वृद्धि और IUC ने यूजर्स की बढ़ा दी है मुश्किल
जियो का तीसरा झटका तब लगा जब एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों ने आईयूसी चार्ज नहीं लेने और दूसरे नेटवर्क पर भी अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा अपने ग्राहकों के लिए जारी रखी। जबकि जियो अभी भी दूसरे नेटवर्क पर अपने ग्राहकों से आईयूसी के 6 पैसे वसूल रही हैं। चूंकि अभी भी देश में 58 फीसदी यूजर 2जी नेटवर्क पर मौजूद हैं इसलिए सिर्फ 4जी नेटवर्क पर सेवा उपलब्ध करवा रही जियो आईयूसी का नुकसान सबसे अधिक हो रहा था जबकि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को अपने यूजर के फोन को जियो नेटवर्क पर कनेक्टीविटी के लिए कम आईयूसी चुकाने पड़ रहे थे।
IUC के चलते एयरटेल -वोडाफोन में स्विच कर सकते हैं JIO यूजर
मौजूदा दौर में जियो की तुलना में एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया यूजर अधिक फायदेमंद दिख रहे हैं, जिन्हें दूसरे नेटवर्क पर भी कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं चुकाने पड़ रहे हैं जबकि जियो उपभोक्ताओं से जियो इंफोकॉम को आईयूसी के 6 पैसे प्रति कॉल वसूल करना अब मजबूरी बन गई हैं। अब जियो इंफोकॉम के सामने खतरा यह है कि वो यूजर्स जिन्होंने तीन वर्ष पहले एलीट क्लास में शुमार टेलीकॉम कंपनी एयरटेल और वोडाफोन को छोड़कर सस्ते जियो की ओर स्विच कर गए थे, वो अब दोबारा एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की ओर रूख कर सकते हैं। यह अब और आसान इसलिए भी हैं कि मोबाइल पोर्टेबलिटी सेवा उनकी मदद करेगी, जहां बिना नंबर यूजर जियो छोड़कर एयरटेल और वोडाफोन में जा सकते हैं।
लांचिंग के 3 वर्ष बाद जियो बन गई देश की शीर्ष टेलीकॉम कंपनी
तीन वर्ष पूर्व सितंबर, 2016 में जब रिलायंस इंफोकॉम ने भारत में अपनी सेवा शुरू की थी, तो वॉयस कॉल और डेटा टैरिफ के कीमतें बेहद महंगी थी, लेकिन रिलायंस के पर्दापण के बाद मोबाइल रिचार्ज की दुकानें ठप पड़ गई, क्योंकि वॉयस कॉल मुफ्त हो गईं और वो भी अनलिमिटेड समय तक। वहीं डेटा भी 5 रुपए प्रति जीबी तक गिर गई जबकि रिलायंस जियो से पहले उपभोक्ताओं को 1 जीबी डेटा के लिए 255 रुपए चुकाने पड़ते थे। रिलायंस जियो ने वॉयस कॉल और डेटा टैरिफ को 4जी नेटवर्क पर लगभग मुफ्त उपलब्ध करवाकर शीर्ष टेलीकॉम कंपनियो का भट्ठा बिठा दिया था। यही कारण था कि रिलायंस ने महज तीन साल में जीरो से 35.4 करोड़ यूजर बना लिए।
धीरूभाई अंबानी ने आम आदमी तक पहुंचाया मोबाइल फोन
रिलायंस कम्यूनिकेशन ने उस दौरान सस्ती दरों में आउटगोइंग कॉल की सुविधा के साथ ही सस्ते मोबाइल फोन भी अपने उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए थे, क्योंकि उस वक्त 4000-500 रुपए में फीचर फोन्स आते थे, लेकिन रिलायंस ने उपभोक्ताओं को 600 रुपए में फीचर मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के हाथों में थमाए। रिलायंस ने 15 पैसे प्रति मिनट की दर से आउटगोइंग कॉल और 600 रुपए से कम कीमत के मोबाइल फोन का कमाल था कि देखते ही देखते मोबाइल फोन आम आदमी के हाथों में पहुंच गया था।
'कर लो दुनिया मुट्ठी' में स्लोगन के साथ आरकॉम ने रखा कदम
'कर लो दुनिया मुठ्ठी में' के स्लोगन के साथ टेलीकॉम इंडस्ट्री में कदम रखने वाली धीरूभाई अंबानी द्वारा स्थापित टेलीकॉम कंपनी ऑरकॉम ने जब भारत में कदम रखा था तो उस समय भारत में मौजूद शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों की जड़ें हिल गईं थी। आरकॉम की सस्ती दरों वाले आउटगोइंग कॉल्स और आम आदमी को उसके बजट में मुहैया कराए मोबाइल फोन ने बाजार में तहलका मचा दिया था। मोबाइल फोन्स लोगों के हाथों में पहुंच गए थे। यह दूरदर्शी धीरूभाई की ही जीवटता थी कि उस दौर में भी मोबाइल फोन आम आदमी तक पहुंचा दिया जब मोबाइल फोन खरीद पाना और उसके महंगे खर्चे संभाल पाना आम आदमी के बस की बात नहीं हुआ करती थी।