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झारखंड : यहां 10 साल से क्यों लागू है धारा 144

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अमित कुमार ने बताया कि कदमा मैदान में कोर्ट के आदेश पर निषेधाज्ञा की अवधि बढ़ाई जाती है.

लिहाजा, जब तक ये विवाद न्यायिक प्रक्रिया में है, हम सिर्फ उन आदेशों का पालन ही कर सकते हैं. अदालत ने अभी अंतिम आदेश नहीं दिया है.

जब वह आदेश मिलेगा, प्रशासन उसके मुताबिक काम करेगा.

By BBC News हिन्दी
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विवादित स्थल
Anup Mishra/BBC
विवादित स्थल

तारीख थी 9 मई, 2008. जमशेदपुर के कदमा स्थित गणेश पूजा मैदान में पहली बार निषेधाज्ञा लगाई गई.

दस साल से ज़्यादा वक़्त बीत जाने के बाद भी यहां से धारा 144 यानी निषेधाज्ञा नहीं हटाई गई है.

इस स्थिति का मतलब ये है कि यहां पांच या उससे अधिक लोग एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं. ऐसा होने पर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.

निषेधाज्ञा की अवधि अब तक 37 बार बढ़ाई जा चुकी है. झारखंड में ये पहला मामला है, जब किसी इलाके में इतने वक्त तक निषेधाज्ञा लगू है.

आमतौर पर निषेधाज्ञा 1-2 दिनों में हटा ली जाती है. कभी-कभी तो ये सिर्फ 1-2 घंटे के लिए लगाई जाती है.

विवादित स्मारक स्थल पर घास उग आई है
Anup Mishra/BBC
विवादित स्मारक स्थल पर घास उग आई है

आखिर क्यों लागू है धारा 144?

दरअसल, गणेश पूजा मैदान के एक हिस्से में झारखंड मुक्ति मोर्चा के दिवंगत सासंद सुनील महतो की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर दो गुटों मे विवाद हुआ था.

एक पक्ष यहां सुनील महतो की प्रतिमा स्थापित करना चाहता था. वहीं दूसरे पक्ष का कहना था कि ये गणेश पूजा मैदान है. यहां किसी की प्रतिमा स्थापित नही होनी चाहिए.

इस बात को लेकर हुई हिंसक झड़प के बाद तत्कालीन एसडीओ राकेश कुमार की पहल पर यहां पहली बार निषेधाज्ञा लगाई गई.

स्थानीय पत्रकार सरताज आलम ने बताया, "इसके बाद हाईकोर्ट में इसे लेकर दो रिट पिटीशन दायर कराए गए".

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 14 मई 2008 को उस मैदान में यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश दिया. तबसे यहां धारा-144 (यथास्थिति) लागू है.

कोर्ट में है मामला

जमशेदपुर की पूर्व सासंद सुमन महतो बताती हैं कि उनके दिवंगत पति सुनील महतो के स्मारक स्थापित करने को लेकर हुए इस विवाद के पीछे वैसे लोगों का हाथ है, जो नहीं चाहते कि किसी आदिवासी नेता को सम्मान मिले.

सुमन महतो ने बीबीसी से कहा, "सासंद रहते हुए मेरे पति स्वर्गीय सुनील महतो यहां रहा करते थे. गणेश पूजा मैदान के बगल में ही उऩका दफ्तर था. उनकी हत्या के बाद उनके शव को लोगों के दर्शनार्थ इसी मैदान में रखा गया."

"तब यह सहमति बनी कि यहां उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए. इसके बाद गणेश पूजा मैदान के एक हिस्से में स्मारक निर्माण का काम शुरू हो गया."

"तब किसी ने विरोध नही किया. एक साल बाद जब स्मारक की छत के लिए ढलाई की जाने लगी, तब विवाद पैदा कर स्मारक निर्माण रुकवा दिया गया. यहां निषेधाज्ञा लगा दी गई, ताकि हम उनकी प्रतिमा नहीं लगा सकें. तबसे यह मामला कोर्ट में है."


सुमन महतो
Sartaj Alam/BBC
सुमन महतो

कौन थे सुनील महतो?

सुनील महतो जमशेदपुर के सासंद थे. साल 2007 में 4 मार्च को होली के दिन नक्सलियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.

उस वक्त महतो घाटशिला इलाके के बाघड़िया के एक फुटबॉल मैच में बतौर मुख्य अतिथि भाग ले रहे थे.

नक्सलियों ने जब हमला किया तब सैंकड़ों लोग वहां मौजूद थे. इस हादसे में उनकी मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी.

उसके बाद हुए उपचुनाव में दिवंगत सुनील महतो की पत्नी सुमन महतो ने चुनाव लड़ा और जमशेदपुर की सांसद बनीं.

सुनील महतो
Justice for SUNIL MAHATO @Facebook
सुनील महतो

स्मारक बनेगा, तो मंदिर भी बने

कदमा मैदान में स्मारक निर्माण का विरोध करन वाली संस्था श्री बाल गणेश विलास के अध्यक्ष बी बापू ने बीबीसी से कहा कि अब इस विवाद का समाधान निकलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि गणेश पूजा मैदान की पहचान भगवान गणेश से है. यहां साल 1960 से गणेश पूजा होती आ रही है. लिहाजा, यहां भगवान गणेश का भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए.

बी बापू का कहना है, "विवाद के हल के उद्देश्य से हमलोगों ने कोर्ट की शरण ली थी, लेकिन अब हमें कोर्ट से कोई नोटिस नहीं मिलता."

"हमारी संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष केजे राव के नेतृत्व मे स्थानीय लोगों ने कदमा मैदान में स्मारक बनाए जाने का विरोध किया था."

"वे भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य होने के साथ ही कई हिंदू संस्थाओं से जुड़े हुए थे. अब हमारी संस्था को 100 साल पूरे हो रहे हैं."

"हम नही चाहते कि स्मारक के नाम पर लोग इस मैदान पर कब्ज़े की कोशिश करें."


बी बापू
Sartaj Alam/BBC
बी बापू

बेकार का विवाद है...

स्थानीय व्यावसायी अज़ीज़ अख़्तर मानते हैं कि ये बेकार का विवाद है.

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को आपसी समन्वय के साथ कोर्ट में जाकर इसका हल निकलवाना चाहिए.

बक़ौल अज़ीज़ अख़्तर, यहाँ धारा 144 लगे होने के कारण सार्वजनिक आयोजनों में परेशानी होती है. वो कहते हैं "अगर निषेधाज्ञा हटा ली जाए, तो पूरे मैदान का उपयोग कार्यक्रमों के लिए किया जा सकेगा."

"शहर के बीचों बीच इतनी बड़ी जगह होने के बाद भी इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. इस मामले में टाटा स्टील को पहल करनी चाहिए."

कदमा थाना
Anup Mishra/BBC
कदमा थाना

सरकार का तर्क

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अमित कुमार ने बताया कि कदमा मैदान में कोर्ट के आदेश पर निषेधाज्ञा की अवधि बढ़ाई जाती है.

लिहाजा, जब तक ये विवाद न्यायिक प्रक्रिया में है, हम सिर्फ उन आदेशों का पालन ही कर सकते हैं. अदालत ने अभी अंतिम आदेश नहीं दिया है.

जब वह आदेश मिलेगा, प्रशासन उसके मुताबिक काम करेगा.

स्पष्ट है कि कदमा मैदान में जारी निषेधाज्ञा अभी आगे भी जारी रहेगी.


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English summary
Jharkhand Why it is applicable for 10 years Section 144
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