झारखंड चुनाव: स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में अब बीमारू नहीं रहा प्रदेश, रघुबर सरकार का दावा
नई दिल्ली- अगर आंकड़ों और तथ्यों पर बात करें तो पिछले पांच वर्षों में झारखंड ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बेहतरीन सुधार किए हैं। यही वजह है कि नीति आयोग ने झारखंड को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए देश में पहले स्थान पर रखा है। आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत राज्य के 68 लाख परिवारों में से 57 लाख गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त में हो रहा है। यह आंकड़ा प्रदेश के कुल परिवारों का करीब 84% है। राज्य में गरीबों का गोल्डन कार्ड भी मुफ्त बनाया जा रहा है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत झारखंड में अबतक 3.28 लाख मरीज लाभांवित हो चुके हैं। इस योजना के कारण प्रदेश के गरीब मरीजों को 292 करोड़ रुपये की बचत हुई है। प्रदेश में 108 एंबुलेंस सेवा के तहत कुल 329 वाहन कार्यरत हैं। दुर्घटना या आपातकालीन परिस्थितियों में अब तक 2.60 लाख लोगों को इस सेवा का लाभ मिला है।
इसके अलावा मुख्यमंत्री आरोग्य कुंजी योजना के तहत सहिया बहनों को एक किट उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें फर्स्ट एड और प्राथमिक उपचार की दवाएं उपलब्ध होती हैं।
2014 से पहले राज्य में केवल तीन मेडिकल कॉलेज थे, पिछले पांच साल में एम्स समेत 7 नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो रहे हैं। यही नहीं राज्य में मेडिकल सीटों की संख्या भी 280 से बढ़ाकर 580 की गयी है। रांची में टाटा मेमोरियल के साथ मिलकर कैंसर अस्पताल की स्थापना की जा रही है। रांची स्थित रिम्स में पहले डेंटल कॉलेज की स्थापना की जा चुकी है। इसके अलावा विभिन्न शहरों में 100 अटल क्लिनिक की शुरुआत की गयी है, जिसके कारण मरीजों को प्राथमिक उपचार या छोटी-मोटी बीमारियों के लिए बड़े अस्पतालों में नहीं जाना पड़ रहा है। 2014 में जहां राज्य में केवल 12 जिला अस्पताल थे, वे अब बढ़कर 23 हो चुके हैं। ब्लक बैंक की संख्या भी 18 से बढ़ाकर 26 की गयी है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का असर प्रदेश में शिशु मृत्यु दर में भी देखा जा सकता है, जिसमें 2014 के मुकाबले सुधार हुआ है। मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत लगभग 2.50 लाख महिलाओं और 1 लाख से ज्यादा नवजात शिशुओं को टीके लगाए गए हैं। इसके अलावा 11 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए 22.55 लाख से ज्यादा नवजात शिशुओं का टीकाकरण किया गया है।