झारखंड विधानसभा चुनाव: घर से लेकर खेतों तक पानी पहुंचाने के रघुबर के दावों में कितना दम?
नई दिल्ली- झारखंड की रघुबर दास सरकार पिछले पांच साल में राज्य में पेयजल से लेकर सिंचाई के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने का दावा कर रही है। दावे के मुताबिक उसने वर्षों से बेकार पड़ी अनकों सिंचाई परियोजनाओं को न सिर्फ फिर से पटरी पर लाने का काम किया है, बल्कि कई नई परियोजनाओं में भी हाथ लगाकर सूखे खेतों तक पानी पहुंचाने का काम किया है। राज्य सरकार के मुताबिक इस कार्य में उसे केंद्रीय योजनाओं की भी मदद मिल रही है।
सिंचाई के क्षेत्र में कितना इजाफा?
मार्च
2015
तक
बड़ी
और
मध्यम
सिंचाई
परिक्षेत्र
में
कुल
वास्तविक
सिंचाई
की
पहुंच
91,323
हेक्टेयर
तक
थी,
जो
मार्च
2019
में
बढ़कर
2,10,720
हेक्टेयर
हो
गयी।
पांच
साल
के
कार्यकाल
में
राज्य
में
पुरानी
सिंचाई
परियोजनाओं
का
भी
जीर्णोद्धार
हुआ
है।
पुरानी
बड़ी
और
मध्यम
सिंचाई
योजनाओं
के
रख-रखाव
और
उसे
बेहतर
नहीं
किए
जाने
की
वजह
से
उनसे
सिंचित
होने
वाले
क्षेत्र
का
दायरा
काफी
कम
हो
गया
था।
मौजूदा
बीजेपी
सरकार
गठन
के
बाद
अब
तक
कुल
71
पुरानी
बड़ी
सिंचाई
परियोजनाओं
को
और
बेहतर
करने
के
लिए
कुल
2,056
करोड़
रुपये
की
राशि
मंजूर
की
गई
है।
इससे
लगभग
89,000
हेक्टेयर
भूमि
तक
सिंचाई
सुविधा
फिर
से
पहुंच
सकेगी।
इनमें
से
16
योजनाओं
को
293.25
करोड़
रुपये
की
लागत
से
फिर
से
शुरू
किया
गया
है।
इसके
तहत
लगभग
258
किलो
मीटर
नहर
का
पक्कीकरण
कर
18,957
हेक्टेयर
क्षेत्र
में
सिंचाई
की
फिर
से
व्यवस्था
की
गयी
है।
वर्ष
2019-20
में
लाइनिंग
का
काम
तेजी
से
कराया
जा
रहा
है।
सिंचित
क्षेत्र
का
दायरा
वर्ष
2014-15
के
91,323
हेक्टेयर
से
बढ़कर
वर्ष
2018-19
में
2,10,720
हेक्टेयर
हो
चुका
है।
मौजूदा
वित्त
वर्ष
2019-20
के
लिए
2,68,962
हेक्टेयर
क्षेत्र
में
सिंचाई
का
लक्ष्य
निर्धारित
किया
गया
है।
बाकी 55 सिंचाई परियोजनाओं का काम भी प्रगति पर है, इससे लगभग 70,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा फिर से बहाल हो सकेगी। वर्तमान में सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना का कार्य केन्द्र प्रायोजित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत कराया जा रहा है। योजना को वर्ष 2011-12 में एआईबीपी में शामिल किया गया। सरकार गठन के बाद इस योजना को लागू करने के कार्य में खासा इजाफा हुआ है और भारत सरकार से प्राप्त केन्द्रीय अनुदान जो वर्ष 2011-12 से 2014-15 तक 851.26 करोड़ रुपये था, वह वर्ष 2015-16 से 2018-19 के बीच बढ़कर 1037.60 करोड़ रुपये हो गया।
सिंचाई की निर्माणाधीन योजनाएं
राज्य में सरकार गठन के बाद निर्माणाधीन बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं की सघन मॉनिटरिंग कर इनकी उन्हीं आवश्यकताओं पर ही रकम खर्च की गई, जिनसे इनके एक हिस्से को पूरा कर किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी जा सके। इसी रणनीति के तहत मार्च 2019 तक इन अधूरी योजनाओं के लगभग 100 किलो मीटर नहर में पटवन हेतु पानी उपलब्ध कराया गया। इससे 80,770 हेक्टेयर को सिंचाई के दायरे में लाया गया। मौजूदा वक्त में बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं से 3,81,040 हेक्टर क्षेत्र सिंचाई के दायरे में आ चुका है।
सुवर्णरेखा परियोजना अन्तर्गत चांडिल नहर के अंतिम छोर पर मौजूद मानुषमुड़िया और बहरागोड़ा वितरणी में पानी पहुंच चुका है। सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के अन्तर्गत खरकई बैराज का कार्य पूर्ण हो चुका है। बैराज में जल भंडारण का काम शुरू हो चुका है। एफलक्स बांध का कार्य प्रगति पर है। अजय बैराज योजना का कार्य इस वर्ष पूर्ण कराया गया, इससे 40,510 हेक्टेयर में (खरीफ 36,460 हेक्टेयर और रबी 4,050 हेक्टेयर) सिंचाई की सुविधा पहुंची है। वर्ष 2018-19 में 34,182 हेक्टेयर के दायरे में खरीफ फसलों तक सिंचाई की सुविधा पहुंचाई गई है।
कोनार सिंचाई परियोजना के अन्तर्गत 4.3 किमी सुरंग समेत 9 किमी मुख्य नहर, 6 किमी बायीं शाखा नहर, 17 किमी दायीं शाखा नहर और 17 किमी बगोदर शाखा नहर का कार्य पूर्ण हो चुका है और सिंचाई शुरू हो चुकी है। बाकी कार्यों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 5 जनवरी, 2019 को शिलान्यास किया गया है। इसके पूर्ण होने से झारखंड के सूखाग्रस्त पलामू और गढ़वा जिले में कुल 19,604 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
देवघर जिले में निर्माणाधीन पुनासी जलाशय योजना का रिवर क्लोजर कार्य पूर्ण हो चुका है और जलाशय में जल भंडारण का काम भी शुरू है। 72 किमी लंबी पुनासी मुख्य नहर में 50 किमी तक का कार्य पूर्ण हो चुका है।
कमांड
क्षेत्र
का
विकास
उपलब्ध
जल
के
सुनियोजित
प्रबंधन
के
लिए
मयुराक्षी
दायां
मुख्य
नहर
के
कमांड
क्षेत्र
के
विकास
के
लिए
69.77
करोड़
रुपये
की
मंजूरी
दी
गयी
है,
जिस
पर
तेजी
से
काम
जारी
है,
ताकि
हर
खेत
में
पानी
पहुंचना
सुनिश्चित
हो
सके।
इसी
तरह
नहर
प्रणाली
की
कमियों
को
दूर
करते
हुए
उपलब्ध
जल
को
कृषि
क्षेत्र
के
हर
खेत
तक
पहुंचाने
के
लिए
कांची
सिंचाई
योजना
के
कमांड
क्षेत्र
के
विकास
पर
93.67
करोड़
रुपये
की
लागत
से
कार्य
प्रगति
पर
है।
नयी योजनाओं पर काम जारी
7 नई योजनाएं जैसे- तिलैया नहर, डोमनी नाला बैराज, दाहरबाटी जलाशय, दुगनी बैराज, तरडीहा वीयर, बुढ़ई जलाशय और सैदापुर बैराज योजनाओं के लिए 1796.12 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी है। इन योजनाओं से 41,355 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। इनमें से दुगनी बैराज योजना, सैदापुर बैराज योजना और तरडीहा वियर योजना का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
सोन और कनहर नदी से पाइप लाइन के माध्यम से गढ़वा जिले के पूर्व निर्मित जलाशयों को भरकर सिंचाई और पेयजल की व्यवस्था के लिए 1,272. 52 करोड़ रुपये का कार्य आवंटित कर दिया गया है, जिसपर काम चल रहा है।
लघु सिंचाई प्रक्षेत्र के तहत वर्ष 2015-16 में 6 योजनाओं, वर्ष 2016-17 में 371 योजनाओं, वर्ष 2017-18 में 344 योजनाओं और वर्ष 2018-19 में 585 चेक डैम योजनाओं का कार्य पूर्ण कराया गया। लघु सिंचाई प्रक्षेत्र तहत वर्ष 2015-16 में 239, वर्ष 2016-17 में 119, वर्ष 2017-18 में 83 और वर्ष 2018-19 में 369 मध्यम सिंचाई योजनाओं/आहर/तालाब आदि का कार्य पूर्ण कराया गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 में लघु सिंचाई प्रक्षेत्र में 43 चेकडैम का निर्माण कार्य कराया गया है, जिससे 2,379 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का सृजन हुआ है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 122 मध्यम सिंचाई योजना का जीर्णोद्धार कार्य कराया जा चुका है, जिससे 6,913 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा फिर से बहाल हो सकी है।