झारखंड विधानसभा चुनाव: उज्ज्वला के तहत दूसरी रिफिल भी मुफ्त देने के रघुबर के दावे का कितना असर?
नई दिल्ली- झारखंड में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत 19 अक्टूबर, 2016 को दुमका से की गई। उस समय तक झारखंड स्वच्छ ईंधन के मामले में देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक था। लेकिन, रघुबर सरकार के दावों के मुताबिक इस योजना के चलते आज न केवल राज्य के घर-घर में एलपीजी कनेक्शन पहुंच चुके हैं। इसकी वजह से जंगलों से पेड़ों की कटाई में भी कमी आई है और महिलाए-बच्चों को होने वाली बीमारियां भी कम हो रही हैं।
झारखंड में पहले क्या स्थिति थी?
रघुबर सरकार के मुताबिक झारखंड में जल, जंगल, जमीन का नारा देने वाली पहले की सरकारों ने पहले मात्र 16.40 लाख परिवारों को ही स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराया था। राज्य के बाकी 75 फीसदी परिवार दो वक्त की रोटी के लिए पेड़ों की कटाई के लिए ही मजबूर थे। इसके कारण जंगल तो घट ही रहे थे, महिलाओं और बच्चे के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ रहा था। ऊपर से लकड़ी कटाई से लेकर खाना बनाने में ज्यादा समय अलग लगता था, जिससे महिलाएं किसी दूसरे उत्पाद कार्यों में योगदान ही नहीं दे पा रही थीं।
3 साल में बदल गया महिलाओं का जीवन
रघुबर दास सरकार ने इन्हीं कमियों को अवसरों में बदलने का दावा किया है। उसके प्रयासों से झारखंड में अब उज्ज्वला सिर्फ एक योजना नहीं है, बल्कि इसने जन-आंदोलन का रूप धारण कर लिया है। रसोई गैस जो पहले आमतौर पर समाज के संपन्न वर्गों तक ही सीमित था, अब जन-जन को सुलभ हो चुका है। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी सिलेंडरों के साथ चूल्हा, रेग्यूलेटर और पाईप घर-घर पहुंचाना एक मुहिम बन गई है। इस समय झारखंड के करीब 56 लाख परिवारों के पास एलपीजी कनेक्शन है, जिनमें 33 लाख से ज्यादा परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन दिया गया है।
झारखंड में उज्ज्वला योजना की सफलता
राज्य
में
अब
तक
33
लाख
से
ज्यादा
महिलाओं
को
मिल
चुका
है
मुफ्त
गैस
कनेक्शन।
झारखंड
देश
का
पहला
राज्य
है,
जहां
कनेक्शन
के
साथ-साथ
चूल्हा
और
पहली
रिफिल
फ्री
दी
जा
रही
थी।
राज्य
सरकार
ने
महिलाओं
की
मांग
और
जरूरतों
को
ध्यान
में
रखकर
दूसरी
रिफिल
भी
फ्री
कर
दिया
है।
इन
चूल्हों
की
वजह
से
महिलाओं
और
बच्चों
को
धुएं
और
बीमारियों
से
मिली
मुक्ति
है।
खाना
पकाने
में
महिलाओं
का
समय
बच
रहा
है,
जिसका
उपयोग
वह
दूसरे
कामों
में
कर
रही
हैं।
राज्य
भर
में
35
हजार
उज्ज्वला
दीदी
बनायी
गयी
हैं,
जो
महिलाओं
को
कनेक्शन
दिलाने
से
लेकर
इसके
उपयोग
करने
का
उन्हें
प्रशिक्षण
भी
दे
रही
हैं।
स्वच्छ
ईंधन
के
प्रति
जागरुकता
लाने
और
उज्ज्वला
योजना
से
लोगों
को
जोड़ने
के
लिए
1,000
से
ज्यादा
उज्ज्वला
पंचायतों
का
आयोजन
भी
किया
गया
है।