वाह रे झारखंड सरकार! तेजप्रताप को फ्री में छोड़ा, भाजपा सांसद को फिल्मी अंदाज में किया क्वारंटाइन, जानें पूरा मामला
वाह रे झारखंड सरकार ! तेजप्रताप को फ्री में छोड़ा और भाजपा सांसद साक्षी महाराज को फिल्मी अंदाज में घेर कर डाल दिया क्वारेंटाइन में
नई दिल्ली। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार कितनी निष्पक्ष और कार्यकुशल है, उसकी एक बानगी देखिए। बुधवार की रात विधायक तेजप्रताप अपने पिता लालू यादव से मिलने रांची आये थे। उनके साथ गाड़ियों का काफिला था। रांची के सर्किल अफसर प्रकाश कुमार ने तेजप्रताप को होटल में रुका पाया। लेकिन कोरोना मानक संचालन प्रक्रिया को तोड़ने को लेकर तेज प्रताप पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्हें फ्री छोड़ दिया गया और वे आराम से पटना लौट गये। दूसरी तरफ शनिवार को भाजपा सांसद साक्षी महाराज एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने गिरिडीह आये। साक्षी महाराज कार से जब धनबाद लौट रहे थे तब गिरिडीह की एसडीएम प्रेरणा दीक्षित ने अपनी सरकारी गाड़ी से सांसद का कुछ दूर पीछा किया। फिर उन्होंने पुलिस को इत्तला की। पुलिस ने बैरिकेटिंग लगा कर सांसद की गाड़ी को अवरटेक कर लिया। एसडीएम ने कोरोना एसओपी का हवाला देकर सांसद को बलपूर्वक क्वरेंटाइन में भेज दिया। झारखंड सरकार के दो चेहरे दिखे- एक तरफ लालू यादव के बेटे पर मेहरबान तो दूसरी तरफ भाजपा सांसद पर कानून का प्रावधान।
सख्त IAS अधिकारी ने घेरा भाजपा सांसद को
प्रेरणा दीक्षित 2016 बैच की IAS अधिकारी हैं और अभी गिरिडीह की एसडीएम हैं। स्वामी साक्षी महाराज उत्तर प्रदेश के उन्नाव से भाजपा के सांसद हैं। वे गिरिडीह में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आये थे। वे दिल्ली से धनबाद पहुंचे थे और वहां से सड़क मार्ग से गिरिडीह आये थे। कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वे वापस धनबाद लौट रहे थे। इस बीच गिरिडीह की एसडीएम प्रेरणा दीक्षित को इस बात की सूचना मिली। प्रेरणा दीक्षित की छवि एक सख्त अफसर की है। उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ी से सांसद साक्षी महाराज का पीछा शुरू किया। फिल्मी अंदाज में मोटर चेजिंग शुरू हुई। कहीं सांसद की गाड़ी आगे ने निकल जाए इसलिए IAS अधिकारी प्रेरणा दीक्षित ने नजदीक के पीरटांड थाना पुलिस को इत्तला दे कर घेराबंदी के लिए कहा। पुलिस ने सड़क पर बैरिकेटिंग लगा दी। सांसद की गाड़ी को अवरटेक कर रोक लिया गया। सांसद साक्षी महाराज ने बीच सड़क पर इस तरह रोके जाने पर एतराज जताया। तब एसडीएम दीक्षित ने सांसद को बताया कि चूंकि आपने कोरोना एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) को तोड़ा है इसलिए आपको 14 दिनों के क्वारेंटाइन में रहना होगा। सांसद ने दलील दी, क्यों कि मैं सड़क मार्ग से आया हूं इसलिए क्वारेंटाइन में जाने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन प्रेरणा दीक्षित ने उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा, चूंकि यह सरकार का निर्देश है और मुख्य सचिव का आदेश है, इसलिए उन्हें हर हाल में क्वारेंटाइन में जाना होगा। इस तरह सांसद को घेर कर 14 दिनों के क्वारेंटाइन में डाल दिया गया।
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एक ये भी हैं झारखंड के अफसर
प्रकाश कुमार झारखंड राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। दो साल पहले ही वे रांची के सर्किल ऑफिसर बने थे। उन्हें 28 अगस्त को सूचना मिली की बिहार के विधायक तेज प्रताप यादव को रांची के कैपिटल रेजिडेंसी होटल में ठहराया गया है। इस बात के सत्यापन के लिए वे चुटिया थाना की पुलिस के साथ होटल गये। होटल में छापा मारा गया तो तेजप्रताप को कमरा नम्बर 507 में ठहरा पाया गया। सरकार ने कोरोना गाइडलाइंस के तहत शहर के सभी होटलों को बंद रखने का सख्त आदेश दिया था। लेकिन नियम को तोड़ कर होटल खोला गया। सीओ प्रकाश कुमार के बयान पर पुलिस ने होटल के मालिक और मैनेजर दुष्यंत कुमार सामंत रे के खिलाफ FIR दर्ज कर लिया। अगर होटल प्रबंधन ने कोरोना एसओपी का उल्लंघन किया था तो क्या तेजप्रताप निर्दोष थे ? लेकिन सीओ साहब ने तेजप्रताप पर उस समय कोई एक्शन नहीं लिया। जब इस मुद्दे पर झारखंड की हेमंत सरकार की फजीहत होने लगी तो एक दिन बाद तेजप्रताप के खिलाफ खानापूर्ति के लिए FIR दर्ज की गयी। सीओ साहब को एक दिन बाद याद आया कि विधायक तेजप्रताप यादव ने भी कोरोना मानक संचालन प्रक्रिया को तोड़ा है। लेकिन उनके इस देर से समझने की वजह से तेजप्रताप 14 दिनों के क्वारेंटाइन से बच गये। तेजप्रताप लाव-लश्कर के साथ रांची गये और आराम से पटना लौट भी आये। एक अफसर प्रेरणा दीक्षित हैं और एक अफसर हैं प्रकाश कुमार। कानून एक लेकिन उसका पालन दो तरीके से किया गया।
क्या क्वारेंटाइन राजनीतिक हथियार है ?
क्वारेंटाइन यानी पृथक आवासीय व्यवस्था कोरोना संक्रमण को रोकने का एक उपाय है। लेकिन हाल के दिनों में यह राजनीति हथियार भी बन गया है। एक्टर सुशांत सिंह मौत मामले में जिस तरह बिहार के IPS अधिकारी विनय तिवारी को मुम्बई में क्वारेंटाइन किया था उस पर बहुत विवाद हुआ था। आरोप लगा था कि बिहार पुलिस की जांच प्रक्रिया को रोकने के लिए विनय तिवारी को जबरन 14 दिनों के आइसोलेशन में डाल दिया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी महाराष्ट्र सरकार की कार्रवाई पर नाखुशी जाहिर की थी। कानून सबके लिए समान होता है। लेकिन अगर आदमी का चेहरा देख कर कानून लागू किया जाए तो इसे अन्याय ही कहा जाएगा। वही महाराष्ट्र सरकार तब क्वारेंटाइन की सख्ती भूल गयी जब सीबीआइ ने सुशांत मामले की जांच शुरू की। झारखंड में गिरिडीह की अफसर प्रेरणा दीक्षित ने अगर कानून का राज कायम किया को रांची में प्रकाश कुमार ने क्या किया ? प्रेरणा दीक्षित की कर्तव्यनिष्ठता प्रशंसनीय है। उन्होंने एक चर्चित और दबदबे वाले सांसद को कानून का पाठ पढ़ाया लेकिन रांची में हुआ ? राजधानी में सरकार की नाक के नीचे से कानून तोड़ने वाले एक नेता आराम से चलते बने। बाद में मामला दर्ज करने का कोई मतलब है?
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