झारखंड चुनाव : दीदी, चाची, मईया क्या रघुवर की पार लगाएंगी नैया ?
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आधी आबादी पर खास फोकस किया है। भाजपा ने महिलाओं को सरकारी नौकरी में 33 फीसदी आरक्षण देने का वायदा किया है। इसका जिक्र उसने अपने घोषणा पत्र में लिखित रूप से किया है। दादी, चाची मईया ने अगर सिर पर हाथ रख दिया तो रघुवर की चुनावी नैया पार लग सकती है। सबसे बड़े मतदाता समूह को अपने पाले में करने के लिए भाजपा ने बहुत पहले से तैयारी कर रखी है। इस साल सितम्बर में करमा पूजा (भाई-बहन का पर्व) के दिन भाजपा की महिला मोर्चा ने रांची के हरमू मैदान में कमल सखी सम्मान समारोह आयोजित किया था। इस समारोह में राज्य भर से सात लाख राखियां आयीं थी जो सीएम रघुवर दास को भेंट की गयीं। तब रघुवर दास ने कहा था कि मैं अपनी सात लाख बहनों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहूंगा। झारखंड की 1.04 करोड़ महिला वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने कल्याणकारी योजनाओं के अलावा भावनात्मक प्रतीकों का भी सहारा लिया है।
जेंडर बजट से महिलाओं को फायदा
चुनावी साल को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस साल जेंडर बजट में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। जनवरी में पेश जेंडर बजट के लिए 8898.47 करोड़ रुपये का प्रवाधान था। सीएम रघुवर दास ने कहा था कि झारखंड की महिलाएं बहुत मेहनती हैं। उन्हें सशक्त बनाना हमारा मकसद है। उद्यमी सखी मंडल के जरिये हर बीपीएल परिवार तक रोजगार पहुंचाने की कोशिश रंग दिखा रही है। 2.15 लाख सखी मंडल के सहयोग से महिलाएं खुद अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। सम्पत्ति में महिलाओं के मालिकाना हक के लिए सिर्फ एक रुपये में रजिस्ट्री की सुविधा दी गयी। इस रियायत का अभी तक 1.75 लाख महिलाओं ने फायदा उठाया है। अब सखी मंडलों की संख्या डेढ़ लाख की जाएगी। मिड डे मील, सैनिटरी नैपकिन और ड्रेस सिलाई से महिला रोजगार का सृजन किया गया है। सुकन्या योजना के तहत बच्चियों को 70 हजार रुपये तक की सालान मदद दी जा रही है। उज्ज्वला योजना के तहत राज्य की लगभग 40 लाख महिलाओं ने फ्री गैस कनेक्शन का लाभ उठाया है। विधवा महिलाओं के लिए एक हजार रुपये की पेंशन शुरू की गयी है।
रानी मिस्त्री बना रहीं मकान
झारखंड
में
55
हजार
महिलाओं
को
भवन
निर्माण
का
प्रशिक्षण
दे
कर
उन्हें
रानी
मिस्त्री
बनाया
गया
है।
रोजगार
के
नये
साधन
मुहैया
कराये
जाने
से
महिलाओं
का
आत्मविश्वास
बढ़ा
है।
अब
तक
माना
जाता
था
कि
ईंट
जोड़ने
का
काम
केवल
पुरुष
ही
कर
सकते
हैं
लेकिन
इस
क्षेत्र
में
भी
महिलाओं
का
प्रवेश
हो
चुका
है।
वे
भी
किसी
दक्ष
राज
मिस्त्री
की
तरह
ईंट
जोड़
कर
दीवार
खड़ी
कर
रही
हैं।
किशोरियों
और
युवतियों
के
सामाजिक
आर्थिक
विकास
के
लिए
तेजस्विनी
योजना
लागू
की
गयी
है।
इसके
जरिये
14
साल
से
लेकर
24
तक
की
लड़कियों
को
न
केवल
शिक्षित
बनाया
जा
रहा
है
बल्कि
कौशल
विकास
का
प्रशिक्षण
दे
कर
उन्हें
सामाजिक
और
आर्थिक
रूप
से
आत्मनिर्भर
बनाया
जा
रहा
है।
इसके
लिए
17
जिलों
में
12
हजार
तेजस्विनी
केन्द्रों
का
गठन
किया
जा
रहा
है।
इससे
आमदनी
के
स्रोत
पैदा
हो
रहे
हैं।
सरकार
ने
युवा
महिला
वोटरों
को
रिझाने
के
लिए
कोई
कसर
बाकी
नहीं
छोड़
रखी
है।
आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका का मानदेय बढ़ा
झारखंड में 73 हजार 313 आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका कार्यरत हैं। चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर 2019 में रघुवर सरकार ने सेविका के मानदेय में पांच सौ रुपये प्रतिमाह और सहायिका के मानदेय में 250 रुपये प्रतिमाह का इजाफा किया था। आंगनबाड़ी सेविका को अब प्रतिमाह 6400 रुपये और सहायिका को प्रतिमाह 3200 रुपये मिलेंगे। इस चुनावी तोहफे से भाजपा ने एक बड़े समूह को खुश करने की कोशिश की थी। चुनाव प्रचार में भाजपा इस बात को भुना रही है। इसके अलावा जल सहिया बहनों को प्रतिमाह एक हजार रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। इनके जरिये सरकार गांवों में पेयजल और स्वच्छता के लिए जागरुकता पैदा कर रही है। पानी के मोर्चे पर अगर सरकार समर्थन जुटाने में कामयाब रही तो उसकी राह आसान हो जाएगी। लेकिन सवाल ये है कि क्या आंगनबाड़ी सेविकाएं और जल सहिया बहनें सरकार के फैसलों से खुश हैं ? क्या मानदेय में इस बढ़ोतरी को वे पर्याप्त मान रही हैं ?