झारखंड में हार के बाद JDU ने भी दिखाईं BJP को आंखें, कहा- सहयोगियों को...
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रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव में हार के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के हाथ से एक और राज्य निकल गया है। इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कई कद्दावर मंत्री हार गए। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी अपनी सीट नहीं बचा सके और जमशेदपुर ईस्ट से निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय के हाथों उनको करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं, झारखंड में हार के बाद अब एनडीए के घटक दल भी बीजेपी को नसीहत दे रहे हैं।
सहयोगियों को साथ लेकर नहीं चली बीजेपी- जदयू प्रवक्ता
जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने हार के लिए बीजेपी के रवैए को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बीजेपी आजसू, एलजेपी, जदयू जैसे सहयोगी दलों को साध नहीं पाई। जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाला गठबंधन एकजुट था और इसी कारण उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की। जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी अगर अपने सहयोगियों को साथ लेकर चली होती तो झारखंड में हार नहीं मिलती।
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उम्मीद है बीजेपी बिहार में झारखंड वाली गलती नहीं दोहराएगी- जदयू
संजय सिंह ने आगे कहा कि उम्मीद है इसके बाद बीजेपी चुनाव नतीजों की समीक्षा करेगी और बिहार चुनाव में झारखंड वाली गलती नहीं दोहराएगी। बता दें कि इस चुनाव में भाजपा अकेले चुनाव लड़ी थी जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और रामविलास पासवान की एलजेपी ने झारखंड में अपने-अपने प्रत्याशी उतारे थे। वहीं, सीटों के बंटवारे पर आजसू के साथ भी बीजेपी की बात नहीं बनी थी, इसके बाद आजसू ने प्रदेश की 81 में से 56 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
जदयू-लोजपा का नहीं खुला खाता
बीजेपी से अलग होकर लड़ने वाले इन तीन दलों को कोई खास सफलता नहीं मिल सकी। आजसू को जहां 2 सीटों से संतोष करना पड़ा वहीं, जदयू और लोजपा का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। दोनों दलों को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली। जेडीयू का वोट शेयर 0.70 फीसदी और एलजेपी का वोट शेयर 0.27 फीसदी रहा। इन दोनों दलों से ज्यादा वोट नोटा के पक्ष में गए। नोटा का वोट शेयर 1.5 फीसदी रहा। वहीं, बीजेपी की बात करें तो पार्टी केवल 25 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। बीजेपी ने राज्य की 79 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।