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झारखंड : कौन बनेगा डिप्टी सीएम, कौन स्पीकर ? सत्ता में अधिक हिस्सेदारी के लिए कांग्रेस की प्रेशर पॉलिटिक्स

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नई दिल्ली। झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने वाली है। झामुमो के 30 विधायक हैं और उसने सात मंत्री पद के लिए दावा किया है। कांग्रेस दूसरी बड़ी सहयोगी पार्टी है। झामुमो ने कांग्रेस को स्पीकर के अलावा चार मंत्री पद देने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन कांग्रेस डिप्टी सीएम समेत पांच मंत्री पद के लिए अड़ी हुई है। हेमंत सोरेन अधिकतम 12 विधायकों को ही मंत्रिपरिषद में शामिल कर सकते हैं इसलिए उनकी अपनी सीमाएं हैं। कांग्रेस की मांग अगर मान भी जाएं तो राजद के लिए जगह नहीं बचती। हेमंत सोरेन राजद को भी एक मंत्री पद देना चाहते हैं। जब कि कांग्रेस झामुमो के हिस्से के बाद बची सभी पांच सीटें अपने लिए चाहती है। कांग्रेस के नेता राजद को निगम या बोर्ड में एडजस्ट करने की सलाह दे रहे हैं। सत्ता में अधिकतम भागीदारी के लिए कांग्रेस ने हेमंत सोरेन पर दबाव बढ़ा दिया है। डिप्टी सीएम जैसे पावरफुल पोस्ट के लिए कांग्रेस में कई दावेदार हैं। झारखंड में पहली बार किसी कांग्रेसी को डिप्टी सीएम बनने का मौका मिलने वाला है। इसलिए इस पद को लेकर होड़ लगी हुई है। किसी भी गठबंधन सरकार के लिए मंत्रिपरिषद का गठन आसान नहीं होता। 2014 में जब रघुवर दास ने आजसू के साथ मिल कर सरकार बनायी थी तब शुरू में सीएम समेत केवल चार मंत्रियों ने ही शपथ ली थी। पेंच फंसने की वजह से करीब डेढ़ महीने तक चार मंत्री ही सरकार चलाते रहे थे। हेमंत सोरेन के साथ कितने मंत्री शपथ लेंगे इस संबंध में अलग- अलग बातें कहीं जा रही हैं।

कौन बनेगा डिप्टी सीएम ?

कौन बनेगा डिप्टी सीएम ?

संयोग से इस बार कांग्रेस के तीन मजबूत नेता ही विधायक बने हैं बाकि अधिकतर नये चेहरे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, पूर्व स्पीकर आलमगीर आलाम और मजदूर संगठन के नेता राजेन्द्र सिंह डिप्टी सीएम पद के मजबूत दावेदार हैं। चूंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बन रहे हैं इसलिए डिप्टी सीएम के रूप में कोई गैरआदिवासी चेहरा ही आगे किया जाएगा। इस लिहाज से आदिवासी नेता रामेश्वर उरांव इस खांचे में फिट नहीं बैठ रहे। अगर कांग्रेस अल्पसंख्यक कार्ड खेलना पसंद करेगी तो आलमगीर आलम डिप्टी सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं। लेकिन उनके साथ भी एक समस्या है। आलमगीर पूर्व में स्पीकर रह चुके हैं। विधानसभा नियुक्ति घोटाला में उन पर सवाल उठे थे। ये बात उनके आड़े आ सकती है। राजेन्द्र सिंह कांग्रेस के जनाधार वाले नेता हैं। वे झारखंड इंटक के अध्यक्ष भी हैं। 2013 में वे कांग्रेस कोटा से सबसे पहले मंत्री बने थे। राजेन्द्र सिंह सवर्ण समुदाय से हैं। अब देखना है कांग्रेस किस सामाजिक समीकरण को ध्यान में रख कर डिप्टी सीएम पद पर फैसला लेती है।

कौन बनेगा स्पीकर ?

कौन बनेगा स्पीकर ?

माना जा रहा है कि संख्याबल के हिसाब से कांग्रेस ने स्पीकर पद के लिए भी मांग रखी है। इस पद के लिए कांग्रेस के किसी अनुभवी विधायक ने दिलचस्पी नहीं दिखायी है। सामाजिक समीकरण के हिसाब से रामेश्वर उरांव डिप्टी सीएम पद के लिए फिट नहीं बैठ रहे इसलिए हो सकता है कि उनके नाम को आगे किया जाए। लेकिन चर्चा है कि रामेश्वर उरांव ने इस पद पर जाने से इंकार कर दिया है। गठबंधन की सरकार में स्पीकर का पद बहुत महत्वपूर्ण माना जता है। यह पद संसदीय प्रक्रिया के अनुभवी विधायक को ही दिया जा सकता है। हालांकि अलमगीर आलम इस पद को पहले संभाल चुके हैं लेकिन विवादों की वजह से हेमंत उनके नाम पर किस हद तक राजी होंगे, ये अभी स्पष्ट नहीं है। अब कांग्रेस की तरफ से सरफराज अहमद का नाम उछाला जा रहा है। सरफराज अहमद 1994 और 1997 में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। उस समय झारखंड बिहार का ही हिस्सा था। 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने गांडेय से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी थी। लेकिन सीट बंटवारे में जब गांडेय झामुमो को मिल गया तो सरफराज के लिए मुश्किल हो गयी। अंत में उन्हें झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ना पड़ा। वे जीते भी। कांग्रेस के नेता उन्हें अभी भी अपना ही मान रहे हैं। कांग्रेस ने पांच मंत्री पद लेने के लिए झामुमो के सरफराज अहमद को स्पीकर बनाने की सलाह दी है।

जब पहली बार सीएम बने थे हेमंत

जब पहली बार सीएम बने थे हेमंत

जुलाई 2013 में हेमंत सोरेन ने कांग्रेस, राजद और निर्दलियों के समर्थन से पहली बार सरकार बनायी थी। तब उनकी उम्र सिर्फ 38 साल थी। जब उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब उनके साथ कांग्रेस के राजेन्द्र सिंह और राजद की अन्नपूर्णा देवी (अब भाजपा की सांसद) ने मंत्री पद की शपथ ली थी। 2013 में ही पहली बार कांग्रेस सीधे तौर पर झारखंड सरकार में शामिल हुई थी। हेमंत की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने एक डील की थी। डील के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 और झामुमो को चार सीटें मिलनी थीं। अगस्त 2013 में हेमंत ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था। तब कांग्रेस और राजद के एक-एक और झामुमो के पांच विधायकों को मंत्री बनाया गया था। इस तरह मंत्रिमंडल में सीएम सहित झामुमो के पांच, दो कांग्रेस और दो राजद के मंत्री थे। 2019 में परिस्थियां बदली हुई हैं। 30 विधायकों वाला झामुमो अब सबसे बड़ा दल बन चुका है। कांग्रेस भी 2009 की तुलना में मजबूत हो गयी है। हां, संख्याबल के हिसाब से राजद पहले की तुलना में कमजोर हुआ है।

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English summary
Jharkhand: Congress' pressure politics for stake in power
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