अभी सीटों की गुत्थियां सुलझा ही रहे हैं कांग्रेस-झामुमो कि लालू बांटने लगे टिकट !
नई दिल्ली। कांग्रेस और झामुमो अभी सीटों की गुत्थियां सुलझाने में ही परेशान हैं और लालू यादव ने सिम्बल बांटने शुरू भी कर दिये। मंगलवार को लालू यादव के खासमखास भोला यादव ने झारखंड कारा प्रशासन से विशेष अनुमति लेकर रिम्स में राजद सुप्रीमो से मुलाकात की थी। भोला यादव की यह मुलाकात इतनी गोपनीय थी कि झारखंड राजद प्रदेश कार्यालय को भी इसकी भनक नहीं लगी। वैसे तो लालू से मिलने के लिए शनिवार का दिन निर्धारित है लेकिन भोला यादव को कुछ ऐसी जरूरत आन पड़ी कि उन्हें मंगलवार को मिलना पड़ा। चर्चा है कि भोला यादव ने कुछ कागजातों पर लालू से दस्तखत कराये हैं। इसके बाद कहा जा रहा है कि लालू ने राजद के सिंबल एलॉटमेंट कागजों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। इस चर्चा के बाद महागठबंधन में उलझन और बढ़ गयी है। कांग्रेस और झामुमो ने लालू को रहनुमा मान कर चुनाव लड़ने की बात कही है। लेकिन अगर लालू पहले ही सिंबल बांट देंगे तो फिर गठबंधन का मतलब क्या रह जाएगा ?
लालू ने टिकट बांटने शुरू कर दिये !
झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो, कांग्रेस और राजद महागठबंधन बना कर चुनाव लड़ने की बात फाइनल कर चुके हैं। तीनों दलों को एक छतरी के नीचे आने में तो कोई दिक्कत नहीं हैं लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर इनमें खटपट है। राजद ने पहले ही 14 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह दी है। माना जा रहा है कि उसने कांग्रेस और झामुमो पर दबाव डालने के लिए ऐसा किया है। कोई माने या न माने, राजद के उम्मीदवार 14 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इसलिए लालू से पहले ही हस्ताक्षर ले लिये गये हैं ताकि मुनासिब वक्त पर पत्ते खोले जा सकें। एक महीने पहले ही राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने लालू से रिम्स में मुलाकात की थी। उस समय भी लालू से हरी झंडी मिलने के बाद अभय सिंह ने सिंह ने कहा था कि राजद 14 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। यह भी तय है कि लालू जेल (रिम्स) से ही चुनाव का संचालन करेंगे।
झामुमो और कांग्रेस में खींचतान
19 विधायकों वाला झामुमो बड़े भाई की भूमिका में है। वह 40 से अधिक सीटें चाहता है। 6 विधायकों वाली कांग्रेस भी 30 से अधिक सीटों की मांग कर रही है। दोनों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर गतिरोध बना हुआ है। हेमंत सोरेन दिल्ली से भी घूम आये हैं। बात बनी नहीं। इस बीच एक प्रस्ताव यह आया है कि कांग्रेस को 31 सीटें देकर झामुमो अपने पास 50 सीटें रखेगा। झामुमो ही अपने कोटे से राजद या वामदलों को सीट बांटेगा। अभी इस प्रस्ताव को कांग्रेस ने मंजूर नहीं किया है। इसके लिए दिल्ली से इजाजत लेनी होगी। दूसरी तरफ यह भी देखना होगा कि यह फार्मूला राजद को मंजूर है कि नहीं। इस मामले में राजद से कोई राय विचार नहीं किया गया है। फिलहाल इसे आधिकारिक फार्मूला नहीं माना जा रहा है।
राजद का दावा
2014 के चुनाव में राजद का खाता नहीं खुला था। राजद को आशंका है कि कमजोर दावेदारी आंक कर झामुमो- कांग्रेस कहीं उसे कम सीटें न ऑफर कर दें। इसलिए उसने पहले ही चाल चल दी है। बात बनी तो ठीक, नहीं बनी तो भी ठीक। 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद के 7 उम्मीदवार जीते थे। झारखंड में राजद का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। राजद के दो विधायक झारखंड की गैरभाजपा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। 2014 के चुनाव में राजद के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह गढ़वा सीट पर 53 हजार से अधिक वोट लाकर भी चुनाव हार गये थे। मनिका सीट पर भी राजद के रामचंद्र सिंह को 30 हजार से अधिक वोट मिले थे। हाल ही में कुछ बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने से राजद कमजोर हुआ है। लोकसभा चुनाव के समय लालू की विश्वस्त और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी भाजपा में चली गयीं। वे सांसद भी बन गयीं। मनोज भुइंया 2004 में पलामू से राजद के टिकट पर सांसद चुने गये थे। वे छतरपुर से दो बार विधायक भी चुने गये थे। लेकिन अब वे राजद से झाविमो में चले गये हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह भी राजद छोड़ कर भाजपा में चले गये हैं। गिरिनाथ सिंह चार बार विधायक रहे थे और 30 साल से राजद में सक्रिय थे। राजद इन झटकों से उबर कर झारखंड में एक बार फिर से जोर लगाने की कोशिश में है।
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