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झारखंड विधानसभा चुनाव : सेकेंड फेज में BJP और JMM में बराबर की टक्कर

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नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 20 सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर थम गया। यहां 7 दिसम्बर को वोटिंग होगी। दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा और झामुमो का शक्ति संतुलन लगभग बराबर है। इस फेज के चुनाव में जो बाजी मारेगा सत्ता की बागडोर उसी के हाथ में होगी। इन 20 सीटों में से भाजपा और झामुमो आठ-आठ पर काबिज हैं। दोनों के सामने अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है। 2014 के चुनाव में इन 20 में से जुगसलाई और तमाड़ सीट पर आजसू को जीत मिली थी। जगन्नाथपुर सीट पर मधुकोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जीती थीं जो अब सिंहभूम से कांग्रेस की संसद बन चुकी हैं। कोलेबिरा सीट पर झारखंड पार्टी के एनोस एक्का जीते थे। सजायाफ्ता होने के बाद एनोस की विधायकी खत्म हो गयी थी। उपचुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल कोगांड़ी जीते थे। भाजपा सभी 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जब कि झामुमो 14 और कांग्रेस 6 सीटों पर मैदान में है।

झामुमो की स्थिति

झामुमो की स्थिति

सबसे पहले उन सीटों के मुकाबले पर नजर डालते हैं जिन पर झामुमो का कब्जा है। ये आदिवासी बहुल सीटें हैं। यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा का पुराना आधार है। झामुमो ने इस बार अपने आठ में से तीन सीटिंग विधायकों का टिकट काट दिया है। इसकी वजह से स्थानीय स्तर पर कुछ असंतोष है।

बहरागोड़ा

पिछले चुनाव में झामुमो के कुणाल षाड़ंगी जीते थे। उनके भाजपा में चले जाने की वजह से झामुमो को यहां समीर मोहंती के रूप में नया उम्मीदवार उतारना पड़ा। कुणाल के पाला बदलने से झामुमो को धक्का लगा है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी भी यहां से टिकट के दावेदार थे। उनकी बजाय बाहरी को टिकट दिये जाने से भाजपा में स्थानीय स्तर पर नाराजगी है। दोनों दल आंतरिक असंतोष से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद इस सीट पर झामुमो और भाजपा के बीच जोरदार मुकाबला रहेगा।

सरायकेला

सरायकेला झामुमो का गढ़ माना जाता है। यहां से उसके उम्मीदवार चंपई सोरेन लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने भाजपा के गणेश महाली को केवल बारह सौ वोटों से हराया था। इस बार भी चंपई सोरेन और गणेश महाली के बीच ही मुख्य मुकाबला है।

चाईबासा

इस सीट झामुमो के दीपक बिरुआ का मुकाबला भाजपा के जेबी तुबिद से है। तुबिद पूर्व आइएएस अधिकारी रहे हैं पिछले चुनाव में वे दीपक से हार चुके हैं। लेकिन इस बार अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की सभाओं से उनके पक्ष में कुछ माहौल बना है। चुनाव हारने का बाद भी तुबिद चाईबासा में पिछले पांच से लगातार सक्रिय हैं। इस बार दोनों के बीच जोरदार मुकाबला होने की संभावना है। झाविमो की चांदमनी बलमुचू के चुनाव लड़ने से झामुमो के आधार मतों में बिखराव हो सकता है।

मझगांव

इस सीट पर झामुमो के सीटिंग विधायक निरल पूर्ति का मुकाबला भाजपा के भूपेन्द्र पिंगुआ से है। 2014 में निरल पूर्ति वे भाजपा के तत्कालीन विधायक बड़कुंवर गगराई को हरा कर इस सीट पर फिर अपना कब्जा जमाया था। इस बार भी इन दोनों के बीच ही मुख्य मुकाबला है। झाविमो के जोसेफ पूर्ति भी यहां से चुनाव मैदान में हैं जो मुकाबले को तिकोना बना रहे हैं।

हेमंत और सोरेन प्रचार में जुटे

हेमंत और सोरेन प्रचार में जुटे

मनोहरपुर

मनोहरपुर सीट पर झामुमो की मौजूदा विधायक जोबा मांझी का मुकाबला भाजपा के गुरुचरण नायक से है। ग्रामीण इलाके में झामुमो की पकड़ काफी मजबूत है। दूसरी तरफ गुरुचरण नायक इस क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं। जोबा मांझी इस बार कठिन मुकाबले में फंसी हुईं हैं। गुरुचऱण ने झामुमो के परम्परागत वोटरों तक अपनी पहुंच बनायी है।

चक्रधरपुर

चक्रधारपुर ही सह सीट है जिसकी वजह से आजपा का आजसू से विवाद शुरू हुआ था। इस सीट पर भाजपा के प्रदेश लक्ष्मण गिलुआ चुनाव लड़ रहे हैं। आजसू ने यहां से रामलाल मुंडा को खड़ा किया है। लक्ष्मण गिलुआ का मुकाबला झामुमो के सुखराम उरांव से हैं। झामुमो ने यहां से अपने सीटिंग विधाय़क शशिभूषण सामड़ का टिकट काट कर बहुबली सुखराम उरांव को मैदान में उतारा है। भाजपा को जहां आजसू से परेशानी है तो झामुमो को भितरघात का डर है।

खरसांवा

2014 के चुनाव में झामुमो ने खरसांवा सीट पर भाजपा को 440 वोल्ट का झटका दिया था। झामुमो के दशरथ गगराई ने भाजपा के सीएम पद के उम्मीदवार माने जाने वाले अर्जुन मुंडा को हरा कर तहलका मचा दिया था। अर्जुन मंडा अब सांसद बन कर केन्द्र में मंत्री बन चुके हैं। इस बार दशऱथ गगराई का मुकाबला भाजपा के जवाहर लाल बानरा से हैं। जवाहर को अपनी जगह बनाने में परेशानी हो रही है। वे भाजपा और मोदी की ताकत पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। झामुमो यहां बेहतर स्थिति में दिख रहा है।

तोरपा

2014 के चुनाव में पौलुस सुरीन यहां से जीते थे। इस बार उनका टिकट काट कर हेमंत सोरेन ने सुदीप गुड़िया को मैदान में उतारा है। पौलुस निर्दलीय लड़ रहे हैं। सुदीप गुड़िया का मुकाहबला भाजपा के कोचे मुंडा से है। 2014 का चुनाव कोचे मुंडा केवल 46 वोटों से हारे थे। विधायक का टिकट कटने और निर्दलीय लड़ने से झामुमो को नुकसान की आशंका है। इस सीट पर भाजपा की स्थिति बेहतर दिख रही है।

भाजपा की स्थिति

भाजपा की स्थिति

अब नजर डालते हैं उन सीटों पर जो भाजपा के कब्जे में हैं। भाजपा ने अपने आठ सीटिंग विधायकों में चार के टिकट काट कर नये उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

जमशेदपुर पूर्वी

झारखंड विधानसभा चुनाव की यह सबसे हॉट सीट बन गयी है। यहां से राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। वे पिछले तीन बार से यहां के विधायक चुने जाते रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के बागी सरयू राय से है। सरयू राय उनकी सरकार में मंत्री थे। सरयू राय ने अपने टिकट कटने का इल्जाम रघुवर दास पर लगाया था। अब वे उन्हें निर्दलीय चुनौती दे रहे हैं। कांग्रेस के गौरव वल्ल्भ मुकाबले को त्रिकेणीय बना रहे हैं। अभी तक जो राजनीतिक तस्वीर है उसके हिसाब से रघुवर दास की स्थिति बेहतर दिखायी पड़ रही है।

जमशेदपुर पश्चिमी

पिछले चुनाव में इस सीट भाजपा के सरयू राय जीते थे। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काट कर देवेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के बन्ना गुप्ता से हैं। सरयू राय प्रकरण के बाद यहां भाजपा के लिए ये प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है। नरेन्द्र मोदी की सभा के बाद यहां भाजपा के लिए अनुकूल माहौल दिख रहा है। झाविमो के पंकज साव भी अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं।

नीलकंठ सिंह मुंडा पर खूंटी सीट बचाने की जिम्मेदारी

नीलकंठ सिंह मुंडा पर खूंटी सीट बचाने की जिम्मेदारी

घाटशिला

इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक लक्ष्मण टूडू का टिकट काट कर लखन मार्डी को उम्मदीवार बनाया है। लखन का मुकाबला झामुमो के रामदास सोरेन से है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू यहां से आजसू के किकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बलमुचू यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। विधायक का टिकट काटे जाने से भाजपा को स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी झेलनी पड़ रही है। यहां प्रदीप बलमुचू चौंकाने वाला नतीजा दे सकते हैं।

पोटका

इस सीट पर भाजपा की मौजूदा विधायक मेनका सरदार का मुकाबला झामुमो के संजीव सरदार से है। मेनका यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुकी हैं। लेकिन इस बार भाजपा की पूर्व नेता और जिला परिषद की अध्यक्ष बुलुरानी सिंह आजसू के टिकट पर मैदान में कूद गयी हैं। इससे भाजपा की स्थिति कमजोर दिख रही है। बुलुरानी और मेनका की लड़ाई में संजीव सरदार को फायदा मिल सकता है।

खूंटी

खूंटी भाजपा का सबसे मजबूत किला है। नीलकंठ सिंह मुंडा यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुके हैं। वे रघुवर सरकार में मंत्री हैं। नीलकंठ सिंह मुंडा का मुकाबला झामुमो के सुशील पाहन से है।

मांडर

इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक गंगोत्री कुजूर का टिकट काट कर देव कुमार धान के मैदान में उतारा है। देव कुमार धान का मुकाबला कांग्रेस के सन्नी टोप्पो से हैं। इस सीट पर झाविमो से बंधु तिर्की चुनाव लड़ रहे हैं। यहां तीनों के बीच जोरदार टक्कर होने की संभावना है।

सिमडेगा

भाजपा ने सिमडेगा में भी सीटिंग विधायक विमला प्रधान के बदले श्रद्धानंद बेसरा पर दांव खेला है। श्रद्धानंद का मुकाबला कांग्रेस के भूषण बारा से है। भाजपा में विधायक का टिकट कटने से खींचतान चल रही है। दूसरी तरफ सिमडेगा में राहुल गांधी की सभा के बाद कांग्रेस में काफी उत्साह देखा जा रहा है। विमला प्रधान यहां दो चुनाव जीत चुकीं थीं लेकिन इस बार उनका टिकट काट दिया गया। कांग्रेस को झामुमो का समर्थन हासिल है। ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर चौंका सकती है।

सिसई से विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव उम्मीदवार

सिसई से विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव उम्मीदवार

सिसई

सिसई भाजपा के लिए प्रतिष्ठा वाली सीट है। यहां से भाजपा के उम्मीदवार और विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन झारखंड में धारणा बन गयी है कि कोई विधानसभा अध्यक्ष चुनाव नहीं जीत पाता। इस लिए दिनेश उरांव पर पर इस मिथक को तोड़ने की चुनौती है। उनका मुकाबला झामुमो के जिगा मुंडा से है।

तमाड़

तमाड़ सीट 15 लाख के इनामी नक्सली रहे कुंदन पाहन के चुनाव लड़ने की वजह से चर्चा में है। 2014 में इस सीट पर आजसू के विकास सिंह मुंडा को विजय मिली थी। वे इस बार झामुमो के टिकट पर लड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री राजा पीटर भी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। विकास पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा के पुत्र हैं। कुंदन पाहन पर पूर्व मंत्री रमेश सिंह सिंह मुंडा की हत्या का आरोप है जब कि राजा पीटर पर इस हत्या की साजिश का आरोप है। भाजपा ने यहां से रीता देवी मुंडा को मैदान में उतारा है। आजसू ने इस सीट दुर्लभ सिंह मुंडा पर दांव खेला है। कुंदन पाहन के चुनाव लड़ने से यहां के वोटरों ने खामोशी ओढ़ रखी है। यहां कोई भी जीत सकता है।

जुगसलाई

ये सीट आजसू की है। पिछले चुनाव में आजसू के रामचंद्र सहिस जीते थे। इस बार रामचंद्र का मुकाबला भाजपा के मुचीराम बाउरी से है। चूंकि भाजपा और आजसू यहां एक दूसरे खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं इस लिए दोनों को नुकसान की आशंका है। झामुमो के मंगल कालिंदी इस क्षेत्र में काफी सक्रिय रहे हैं। चूंकि ये शहरी सीट है इस लिए यहां भाजपा के पक्ष में गोलबंदी होती दिख रही है।

जगन्नाथपुर

जगन्नाथपुर सीट पर कांग्रेस के सोनाराम सिंकू का मुकाबला भाजपा के सुधीर सुंडी से है। 2014 के चुनाव में मधु कोड़ा की पत्नी यहां से जीती थीं। बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गयीं और अब सांसद हैं। झाविमो के मंगल सिंह बोबोंगा मुकाबले के त्रिकोणीय बना रहे हैं।

कोलेबिरा

कोलेबिरा सीट पर झारखंड पार्टी के एनोस एक्का का दबदबा रहा है। लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद उनकी जमीन कमजोर हो गयी। 2014 में जीते एनोस की विधायकी जब सजा की वजह से खत्म हो गयी तो उपचुनाव में कांग्रेस के नमन विक्सल यहां से जीते थे। इस बार एनोस ने अपनी बेटी आयरिन एक्का को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला मौजूदा विधायक नमन विक्सल से है। भाजपा यहां कभी जीत नहीं पायी है। भाजपा के टिकट पर सुजन जोजो मैदान में हैं।

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English summary
jharkhand assembly elections 2019 second phase jmm bjp
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