झारखंड: हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी..पहले आती प्रियंका तो अलग होती तस्वीर
नई दिल्ली। बहुत देर से दर पर आंखें लगी थीं, हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी... झारखंड में कांग्रेस के नेता अपने दर्द-ए-दिल के इजहार के लिए इस गाने को सिद्दत से गुनगुना रहे हैं। प्रियंका गांधी अगर चुनाव प्रचार के लिए पहले आतीं तो झारखंड चुनाव की तस्वीर बिल्कुल अलग होती। ना-ना करते करते प्रियंका झारखंड में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आयीं। भीड़ ऐसी जुटी कि विरोधी भी हैरान हो गये। लेकिन क्या फायदा, एक दिन का मेला था खत्म हो गया। पाकुड़ के कांग्रेस उम्मीदवार आलमगीर आलम खुशकिस्मत थे कि प्रियंका उनके प्रचार में आयीं। लेकिन कांग्रेस के बाकी तीस उम्मीदवारों को अगर ये संजीवनी मिली होती तो महागठबंधन का जोश हाई रहता। पाकुड की भीड़ देख कर लोग कह रहे हैं कि मोदी का जवाब प्रियंका दे सकती हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी की क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रही है।
प्रियंका पहले स्टार प्रचारकों की सूची में भी नहीं थीं
कांग्रेस ने सीट बंटवारे में जो तेजी और सक्रियता दिखायी थी वह चुनाव प्रचार में बिल्कुल नहीं दिखा। पहले चरण के चुनाव में तो कांग्रेस के बड़े नेताओं ने झारखंड में झांका तक नहीं। स्टार प्रचारों की पहली सूची जारी हुई तो प्रियंका का नाम उसमें नदारत था। राहुल गांधी की देर से नींद खुली तो वे दूसरे और तीसरे चरण में सक्रिय हुए। प्रियंका ने शुरू में झारखंड आने से ही मना कर दिया। झारखंड कांग्रेस के नेता सोनिया के दरबार में गुहार लगाने के लिए रांची दिल्ली एक करते रहे। चुनावी साभाओं के लिए प्रियंका की जबर्दस्त मांग थी। दबाव के बाद कांग्रेस के स्टार प्रचाकों की दूसरी सूची में प्रियंका का नाम जोड़ा गया। इसके बाद भी प्रियंका ने चुनाव प्रचार में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी। सोनिया गांधी का नाम भी स्टार प्रचारकों की सूची में था लेकिन वे एक दिन भी झारखंड नहीं आयीं। प्रियंका गांधी तब झारखंड आयीं जब चुनावी जलसे के तंबू-कनात उखड़ने लगे थे। पांचवें चरण के चुनाव प्रचार की अंतिम तारीख 18 दिसम्बर थी। प्रियंका ने झारखंड आने की ये तारीख क्यों चुनी ? क्या कोई मजबूरी थी ?
लेने के देने पड़ गये राहुल गांधी को
कांग्रेस राहुल गांधी को नरेन्द्र मोदी के विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहती है। पार्टी के नजरिये से उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जाता है। लेकिन बेइंतहां जोश में वे कुछ ऐसा कर बैठते हैं कि कांग्रेस को बैकफुट पर जाना पड़ता है। कुछ देर से ही सही, राहुल गांधी ने झारखंड में एक के बाद एक पांच धुआंधार सभाएं कर के समां बांध दिया था। लेकिन गोड्डा के महागामा में दिया गया राहुल का भाषण कांग्रेस के लिए बबाल-ए-जान बन गया। इसी सभा में राहुल गांधी ने रेप इन इंडिया वाला भाषण दिया था। फिर तो संसद से लेकर सड़क तक हंगामा मच गया। राहुल गांधी ने भले इस बयान के लिए माफी नहीं मांगी लेकिन इससे कांग्रेस की फजीहत हो गयी। कांग्रेस को चुनावी नुकसान का डर सताने लगा। महिला विरोधी बयान से कांग्रेस का खेल बिगड़ सकता था। इसलिए राहुल गांधी को झारखंड चुनाव प्रचार से हटा लिया गया। आखिरी चरण में न चाहते हुए भी प्रियंका को प्रचार के लिए झारखंड आना पड़ा। राहुल गांधी की भरपायी के लिए और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था। प्रियंका ने पाकुड़ के कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सभा की। जोरदार भाषण भी दिया।
क्या प्रियंका में इंदिरा गांधी की झलक है ?
प्रियंका गांधी ने 18 दिसम्बर को बड़हरवा (पाकुड़) के श्रीकुंड में चुनावी सभा की थी। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार आलमगीर आलम के पक्ष में मतदान की अपील की थी। प्रियंका गांधी ने अपने भाषणों में इंदिरा गांधी का बार-बार जिक्र किया। इंदिरा गांधी के मार्फत उन्होंने लोगों के दिलों में अपने लिए भी जगह बनाने की कोशिश की। प्रियंका ने कहा, इंदिरा जी ने आजीवन आप लोगों ( अदिवासी समुदाय) के लिए काम किया। उन्होंने आप लोगों के लिए जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित बनाया। जंगल और जमीन आदिवासियों की पहचान हैं। इसको कोई हीं छीन सकता। प्रियंका ने महिला उत्पीड़न के मुद्दे पर नरेन्द्र मोदी की धज्जियां पड़ा दीं। मोदी की भाषा में ही मोदी को चुनौती दी... हिम्मत है तो दुष्कर्म पर बोलिये, गायब रोजगार पर बोलिये...। इस भाषण को सुनने वाले कुछ बुजुर्ग लोगों का कहना था कि प्रियंका में इंदिरा गांधी की झलक है। विनम्र लेकिन मजबूत। मोदी पर हमला किया लेकिन नापतौल कर बोलीं। वे राहुल गांधी से बेहतर वक्ता दिखीं। प्रियंका का भाषण संयत था जब कि राहुल जोश में कई बार होश खो देते हैं। माना जा रहा है कि पाकुड़ में प्रियंका का एक नया अवतार हुआ है।
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