नीतीश की पार्टी झारखंड में भाजपा को भ्रष्ट बता कर मांग रही वोट, 65 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
नीतीश की पार्टी झारखंड में भाजपा को भ्रष्ट बता कर मांग रही वोट, 65 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार झारखंड में भाजपा से अलग, अकेले चुनाव लड़ रहे हैं। जदयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू के मुताबिक पार्टी 80 फीसदी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसका मतलब जदयू 65 सीटों पर ताल ठोकेगा। नीतीश कुमार ने 2014 में भी झारखंड में जोर आजमाइश की थी लेकिन खाता भी नहीं खुला था। इस बार वे विकास के बिहार मॉडल और शराबबंदी के नाम पर चुनावी मैदान में कूद रहे हैं। आदिवासी वोटों के साधने के लिए सालखन मुर्मू को झारखंड की कमान दी गय़ी है। नीतीश के खासमखास प्रशांत किशोर झारखंड चुनाव के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। लेकिन इस बीच बाबूलाल मरांडी के अलग चुनाव लड़ने से नीतीश के मिशन झारखंड को झटका लगा है। जदयू ने अभी भी उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ा है। बाबूलाल मरांडी को मनाने की कोशिश जारी है। नीतीश के लिए एक परेशानी ये है कि झारखंड में उन्हें नये सिंबल पर चुनाव लड़ना है। इस चुनाव में जदयू को तीर की जगह ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान चुनाव चिह्न मिला है। नयी परिस्थितियों में जदयू को झाविमो के साथ की सख्त जरूरत है। सबसे अनोखी बात ये है कि नीतीश की पार्टी भाजपा को भ्रष्ट बता कर झारखंड में वोट मांग रही है।
झारखंड
में
जदयू
जदयू की ताकत नीतीश कुमार हैं। नीतीश करीब 13 साल (जीतन राम मांझी 9 महीने तक सीएम थे) से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। बिहार में उनका जनाधार है। इसलिए बिहार से सटे झारखंड के पलामू, गढ़वा और लातेहार में जदयू का कुछ प्रभाव रहा है। 2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने झारखंड में 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें छह को जीत मिली थी। वह भाजपा की सरकार में शामिल भी थे। 2009 में नीतीश ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। जदयू के हिस्से में 14 सीटें आयी थीं जिसमें केवल 2 पर ही जीत मिली थी। 2014 में नीतीश ने अकेले चुनाव लड़ा था जिसमें उनका सफाया हो गया था। 11 सीटों पर लड़ने वाला जदयू खाली हाथ रहा था। 2019 के चुनाव में नीतीश को अपने नये प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू से बहुत उम्मीदें हैं। सालखन मुर्मू झारखंड के जुझारू आदिवासी नेता हैं। वे ओडिशा के मयूरभंज लोकसभा क्षेत्र से 1998 और 1999 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गये थे। सालखन इसी साल मार्च में जदयू में शामिल हुए थे। उनको प्रदेश अध्यक्ष बना कर जदयू ने आदिवासी कार्ड खेला है। 2014 के चुनाव के समय जलेश्वर महतो जदयू के अध्यक्ष थे। सालखान मुर्मू अपने दम पर झारखंड में जदयू को ताकत देने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा सरकार को भ्रष्ट बता कर वोट मांग रहा जदयू
जदयू बिहार में भाजपा के साथ सरकार चला रहा है लेकिन वह झारखंड में भाजपा को भ्रष्ट बता रहा है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू रघुवर सरकार को भ्रष्ट बता कर अपने दल के लिए वोट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि विकास का रघुवर मॉडल भ्रष्ट है। नीतीश मॉडल ही झारखंड का विकास कर सकता है। भाजपा उद्योगपतियों की पार्टी है इसलिए वह कभी गरीब आदिवासियों की भलाई नहीं कर सकती। भाजपा के लोग झारखंड के जल, जंगल, जमीन को लूटना चाहते हैं लेकिन अब जदयू उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे। चुनाव की घोषणा के पहले नीतीश कुमार रांची में कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुके हैं। उन्होंने ने भी भाजपा के विकास मॉडल को फेल बताया था। उनका कहना था कि झारखंड में भाजपा को ही अधिकांश शासन का मौका फिर भी राज्य का विकास नहीं हुआ। जब कि उनके 15 साल के शासन में बिहार बहुत तरक्की कर चुका है। नीतीश के इस बयान पर बिहार में बवाल भी हुआ था। भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश पर जम प्रहार किया था।
पहले चरण की तैयारी
पहले चरण का चुनाव 30 नवम्बर को होगा। इसमें पलामू प्रमंडल की 9 सीटों समेत कुल 13 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होना है। सीटवाइज कैंडिडेट की समीक्षा की जा रही है। जाहिर है जदयू के लिए जिताऊ उम्मीदवारों को खोजना एक मुश्किल काम है। वैसे माना ये जा रहा है कि नीतीश को चुनाव में जीत से अधिक इस बात में दिलचस्पी है कि कैसे जदयू को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता दिलायी जाए। वे अधिक से अधिक सीटों पर लड़ कर कम से कम 6 फीसदी वोट हासिल करना चाहते हैं। राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता के लिए किसी दल को कम से कम चार राज्यों में 6 फीसदी वोट लाना जरूरी है। सालखन मुर्मू अचानक पार्टी का संगठन खड़ा तो कर सकते हैं लेकिन यह कितना मजबूत और टिकाऊ होगा, कुछ यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता। फिलहाल जदयू ने 65 सीटों पर उम्मीदवार देने की बात कही है। जदयू के लिए इतने उम्मीदवारों को खोजना भी एक चुनौती है। उसकी नजर अन्य दलों के बागियों पर भी रहेगी। इसीलिए जदयू ने फेजवाइज कैंडिडेट देने की बात कही है। हर चरण के लिए अलग-अलग सूची जारी की जाएगी।
झारखंड में जदयू
जदयू की ताकत नीतीश कुमार हैं। नीतीश करीब 13 साल (जीतन राम मांझी 9 महीने तक सीएम थे) से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। बिहार में उनका जनाधार है। इसलिए बिहार से सटे झारखंड के पलामू, गढ़वा और लातेहार में जदयू का कुछ प्रभाव रहा है। 2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश ने झारखंड में 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें छह को जीत मिली थी। वह भाजपा की सरकार में शामिल भी थे। 2009 में नीतीश ने भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। जदयू के हिस्से में 14 सीटें आयी थीं जिसमें केवल 2 पर ही जीत मिली थी। 2014 में नीतीश ने अकेले चुनाव लड़ा था जिसमें उनका सफाया हो गया था। 11 सीटों पर लड़ने वाला जदयू खाली हाथ रहा था। 2019 के चुनाव में नीतीश को अपने नये प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू से बहुत उम्मीदें हैं। सालखन मुर्मू झारखंड के जुझारू आदिवासी नेता हैं। वे ओडिशा के मयूरभंज लोकसभा क्षेत्र से 1998 और 1999 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गये थे। सालखन इसी साल मार्च में जदयू में शामिल हुए थे। उनको प्रदेश अध्यक्ष बना कर जदयू ने आदिवासी कार्ड खेला है। 2014 के चुनाव के समय जलेश्वर महतो जदयू के अध्यक्ष थे। सालखान मुर्मू अपने दम पर झारखंड में जदयू को ताकत देने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा सरकार को भ्रष्ट बता कर वोट मांग रहा जदयू
जदयू बिहार में भाजपा के साथ सरकार चला रहा है लेकिन वह झारखंड में भाजपा को भ्रष्ट बता रहा है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू रघुवर सरकार को भ्रष्ट बता कर अपने दल के लिए वोट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि विकास का रघुवर मॉडल भ्रष्ट है। नीतीश मॉडल ही झारखंड का विकास कर सकता है। भाजपा उद्योगपतियों की पार्टी है इसलिए वह कभी गरीब आदिवासियों की भलाई नहीं कर सकती। भाजपा के लोग झारखंड के जल, जंगल, जमीन को लूटना चाहते हैं लेकिन अब जदयू उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे। चुनाव की घोषणा के पहले नीतीश कुमार रांची में कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुके हैं। उन्होंने ने भी भाजपा के विकास मॉडल को फेल बताया था। उनका कहना था कि झारखंड में भाजपा को ही अधिकांश शासन का मौका फिर भी राज्य का विकास नहीं हुआ। जब कि उनके 15 साल के शासन में बिहार बहुत तरक्की कर चुका है। नीतीश के इस बयान पर बिहार में बवाल भी हुआ था। भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश पर जम प्रहार किया था।
पहले चरण की तैयारी
पहले चरण का चुनाव 30 नवम्बर को होगा। इसमें पलामू प्रमंडल की 9 सीटों समेत कुल 13 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होना है। सीटवाइज कैंडिडेट की समीक्षा की जा रही है। जाहिर है जदयू के लिए जिताऊ उम्मीदवारों को खोजना एक मुश्किल काम है। वैसे माना ये जा रहा है कि नीतीश को चुनाव में जीत से अधिक इस बात में दिलचस्पी है कि कैसे जदयू को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता दिलायी जाए। वे अधिक से अधिक सीटों पर लड़ कर कम से कम 6 फीसदी वोट हासिल करना चाहते हैं। राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता के लिए किसी दल को कम से कम चार राज्यों में 6 फीसदी वोट लाना जरूरी है। सालखन मुर्मू अचानक पार्टी का संगठन खड़ा तो कर सकते हैं लेकिन यह कितना मजबूत और टिकाऊ होगा, कुछ यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता। फिलहाल जदयू ने 65 सीटों पर उम्मीदवार देने की बात कही है। जदयू के लिए इतने उम्मीदवारों को खोजना भी एक चुनौती है। उसकी नजर अन्य दलों के बागियों पर भी रहेगी। इसीलिए जदयू ने फेजवाइज कैंडिडेट देने की बात कही है। हर चरण के लिए अलग-अलग सूची जारी की जाएगी।