झारखंड : क्या कांग्रेस में टिकटों की खरीद-बिक्री हुई है ? कमजोर उम्मीदवारों का हो रहा विरोध
Jharkhand Assembly elections 2019 internal fight in Congress over ticket distribution
नई
दिल्ली।
झारखंड
विधानसभा
चुनाव
में
क्या
कांग्रेस
के
टिकटों
की
खरीद
बिक्री
हुई
है
?
क्या
कई
सीटों
पर
जानबूझ
कर
कांग्रेस
ने
कमजोर
प्रत्याशी
दिये
हैं
?
इन
सवालों
को
लेकर
झारखंड
कांग्रेस
में
बवाल
मचा
हुआ
है।
कई
नेताओं
ने
टिकट
बेचने
का
आरोप
लगाया
है
और
उन्होंने
चुनाव
प्रभारी
आरपीएन
सिंह
के
खिलाफ
मोर्चा
खोल
दिया
है।
आरपीएन
सिंह
की
शिकायत
करने
के
लिए
प्रदेश
कांग्रेस
के
कई
नेता
दिल्ली
पहुंच
गये।
कार्यकर्ताओं
और
नेताओं
के
भारी
विरोध
के
बाद
कांग्रेस
को
कांके
सीट
पर
उम्मीदवार
को
बदलना
पड़ा।
कांग्रेस
के
नाराज
कार्यकर्ताओं
ने
चुनाव
प्रभारी
आरपीएन
सिंह,
प्रदेश
अध्यक्ष
रामेश्वर
उरांव
और
विधायक
दल
के
नेता
आलमगीर
आलम
पर
टिकट
बेचने
का
आरोप
लगाया
है।
उन्होंने
पार्टी
कार्यालय
में
इन
नेताओं
के
खिलाफ
नारेबाजी
भी
की।
उन्होंने
इन
नेताओं
से
सवाल
पूछा
कि
आखिर
क्यों
वफादार
कार्यकर्ताओं
की
अनदेखी
कर
बाहरी
लोगों
को
टिकट
दिया
गया।
कांग्रेस
ने
9
सीटों
पर
बाहरी
लोगों
को
उम्मीदवार
बनाया
है।
कांग्रेस
को
महागठबंधन
में
31
सीटें
मिली
हैं
जिसमें
से
उसने
29
पर
उम्मीदवार
खड़े
कर
दिये
हैं।
फजीहत के बाद कांग्रेस ने कांके में बदला उम्मीदवार
कांग्रेस ने पहले झारखंड के पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को कांके से टिकट दिया। वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और उनका कांके में कोई जनाधार भी नहीं था। कांके के स्थानीय नेताओं ने जब उनके खिलाफ मुहिम छेड़ दी तो कांग्रेस को झुकना पड़ा। फजीहत होने के बाद कांग्रेस ने राजीव कुमार की जगह सुरेश बैठा को उम्मीदवार बना दिया। राजीव कुमार का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र उत्तर प्रदेश का बना हुआ था। झारखंड में चुनाव लड़ने के लिए स्थानीय जाति प्रमाण पत्र की जरूरत थी। जब ये बात उनके नॉमिनेशन में आड़े आने लगी तो उन्होंने झारखंड में जाति प्रमाण पत्र बनाने की कोशिश शुरू की। तब तक उनका प्रबल विरोध शुरू हो चुका था। कई नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशी एक तरह से भाजपा फायदा पहुंचा रहे हैं। कांग्रेस की अंदरुनी खींचतान की वजह से कई नेता नाराज हैं तो कुछ ने पार्टी ही छोड़ दी।
रांची सीट को लेकर कांग्रेस प्रभारी पर आरोप
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय रांची या हटिया से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रांची सीट झामुमो के पाले में जाने के लिए चुनाव प्रभारी आरपीएन सिंह को जिम्मवार ठहराया है। आरोप है कि आरपीएन सिंह महागठबंधन में कांग्रेस का पक्ष मजबूती से नहीं रखा। कार्यकर्ताओं का कहना है कि बेशक झमुमो की महुआ माजी 2014 में दूसरे स्थान पर रहीं थीं लेकिन सुबोधकांत सहाय की राजनीतिक योग्यता उनसे अधिक थी। अगर आरपीएन सिंह ने सुबोधकांत सहाय को जिताऊ उम्मीदवार के रूप में पेश किया होता तो झामुमो पर तर्क का असर पड़ सकता था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। सुबोधकांत सहाय जैसे अनुभवी नेता को जानबूझ कर साइडलाइन कर दिया गया है। हटिया में अजयनाथ शाहदेव की उम्मीदवारी का भी विरोध हो रहा है। कांग्रेस के नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे बाहरी नेताओं के साथ सहयोग नहीं करेंगे।
क्या 14 पार जाएगी कांग्रेस ?
झारखंड चुनाव में कांग्रेस अभी तक तीसरे या चौथे नम्बर की पार्टी ही रही है। उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2009 के चुनाव में रहा था। 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 54 स्थानों पर उम्मीदवार उतारे थे जिसमें 14 को जीत मिली थी। 2005 में कांग्रेस ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ कर 9 जीत पाय़ी थी। जब कि 2014 में 61 में से वह सिर्फ 5 पर ही विजयी रही थी। कांग्रेस इस बार 31 सीटों पर किस्मत आजमा रही है। उसका मानना है कि झमुमो और राजद से गठबंधन के कारण इस बार उसे अधिक फायदा मिलेगा। लेकिन नेताओं की आपसी खींचतान और गुटबाजी से कांग्रेस की चुनौती पर अभी से सवाल उठने शुरू हो गये हैं।