लातेहार में दल-बदल की बहार, पाला बदल के चौका लगाने वाले विधायक का क्या होगा अंजाम?
नई दिल्ली। झारखंड में दल बदल की बहार रही है। नेता कपड़े की तरह दल बदलते रहे हैं और जनता उन्हें स्वीकार भी करती रही है। झारखंड में लातेहार विधानसभा क्षेत्र का इस मामले में अनोखा रिकॉर्ड है। लातेहार सिड्यूल्ड कास्ट के लिए रिजर्व सीट है। 2014 में इस सीट पर झारखंड विकास मोर्चा के प्रकाश राम जीते थे। बाद में पाला बदल कर वे भाजपा में शामिल हो गये। 2005 में वे राजद के टिकट पर लातेहार से पहली बार विधायक बने थे। 2019 के चुनाव में प्रकाश टिकट के तगड़े दावेदार हैं। लातेहार सीट पर दलबदलू नेताओं की तभी से बहार है जब यह संयुक्त बिहार का विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था। झाविमो विधायक प्रकाश राम के भाजपाई बनने से यहां के भाजपा कार्यकर्ता भ्रम की स्थिति में हैं। पिछले चुनाव में प्रकाश राम ने भाजपा के ब्रजमोहन राम को हरा कर ही चुनाव जीता था। अब सवाल ये है कि प्रकाश राम का अंजाम क्या होगा ?
लातेहार में दल-बदल की बहार
1985 में लातेहार बिहार विधानसभा का चुनाव क्षेत्र हुआ करता था। उस समय कांग्रेस का बोलबाला था। 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हरिदर्शन राम ने भाजपा के रामदेव राम को हरा कर चुनाव जीता था। 1990 के चुनाव में कांग्रेस के सितारे गर्दिश में थे। भाजपा के रामदेव राम ने पिछला हिसाब चुकता करते हुए कांग्रेस के विधायक हरिदर्शन राम को हरा दिया था। फिर लालू यादव का जमाना आया। 1995 के चुनाव में लालू यादव का जलवा था। इस सीट पर जनता दल के बालजीत राम जीते। उन्होंने कांग्रेस के हरिदर्शन राम को हराया था। इसके बाद यहां दल बदल की रेस शुरू हो गयी। 2000 के विधानसभा चुनाव में तो यहां गजब हुआ। इस चुनाव में वैद्यनाथ राम भाजपा से टिकट के दावेदार थे। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस बीच राजद विधायक बालजीत राम ने भाजपा का दामन थाम लिया और टिकट भी ले उड़े। तब वैद्यनाथ राम ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। इस दौरान जदयू ने वैद्यनाथ राम को टिकट दे कर चुनाव मैदान में उतार दिया। मतदाताओं ने वैद्यनाथ राम को समर्थन दिया। वैद्यनाथ राम ने चुनाव जीत कर भाजपा को करारा जवाब दिया था।
दल-बदल के ‘प्रकाश’ स्तंभ
2000 के चुनाव में राजद के प्रकाश राम चुनाव हार गये थे। यह चुनाव झारखंड के बंटवारे के पहले हुआ था। 2005 में पहली बार झारखंड विधानसभा का चुनाव हुआ। राजद ने फिर प्रकाश राम को मैदान में उतारा। इस बार प्रकाश को जीत मिली। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के रामदेव गंझू को हराया था। सीटिंग विधायक और जदयू के उम्मीदवार वैद्यनाथ राम तीसरे स्थान पर लुढ़क गये। 2009 के विधानसभा चुनाव में फिर दलबदल का खेल हुआ। वैद्यनाथ राम जदयू छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये। दल बदलना उनके हक में गया। इस बार भाजपा ने उन्हें निराश नहीं किया। 2009 में वे भाजपा के विधायक चुन लिये गये। राजद के प्रकाश राम दूसरे स्थान पर रहे। 2014 में प्रकाश राम ने भी अपने पूर्ववर्ती नेताओं से सीख लेते हुए ठिकाना बदल लिया। वे राजद से झाविमो में चले गये। दल बदल से उनकी बंजर पड़ी राजनीति जमीन फिर हरीभरी हो गयी। प्रकाश राम 2014 में झाविमो के विधायक तो बन गये लेकिन वहां भी उनका मन नहीं लगा। वे भाजपा में शामिल हो गये। राजद और झाविमो का सियासी भोज खाने के बाद अब प्रकाश राम भाजपा की पंगत में बैठे हैं।
प्रकाश ने चौथी बार बदला दल
प्रकाश राम की राजनीतिक यात्रा सीपीएम से शुरू हुई थी। अब वे भाजपा में हैं। लाल से भगवा हुए प्रकाश राजनीति के सफल मौसम वैज्ञानिक हैं। जीत के लिए उन्हें कहां जाना पड़ेगा, इसका वे सटीक अनुमान लगा लेते हैं। राजद में जाने से पहले उन्होंने 1990 और 1995 का विधानसभा चुनाव सीपीएम के टिकट पर लड़ा था। वे 1988 से ही एक जुझारू कम्युनिस्ट थे। लेकिन दो चुनाव हारने के बाद कॉमरेड ने अपनी कोट बदल दी और राजद में चले गये थे। आखिरकार 2005 में वे पहली बार विधायक (राजद) बनने में कामयाब हुए थे।
इसे भी पढ़ें:- जिस नक्सली नेता ने नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री संग ली थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग अब झारखंड में लड़ेगा चुनाव