IAS- IPS भी MLA बनने को बेताब, किसी का टूट गया सपना तो किसी को मिल गया टिकट
नई दिल्ली। चुनाव का मौसम आता है तो कई नौकरशाहों को नेता बनने का शौक चर्राने लगता है। झारखंड के मौजूदा विधानसभा चुनाव में एक पूर्व आइएएस और चार पूर्व आइपीएस अफसरों ने किस्मत आजमाने की कोशिश। उन्होंने बड़े अरमानों से राजनीतिक दलों की सदस्यता ली। लेकिन इनमें केवल दो पूर्व अफसर को ही चुनावी टिकट मिल पाया। एक को टिकट तो मिल गया है लेकिन अब उनके चुनाल लड़ने पर पेंच फंसता दिख रहा है। वैसे झारखंड में नौकरशाहों के लिए राजनीति कोई नयी बात नहीं है। पलामू के मौजूदा भाजपा सांसद बीडी राम झारखंड के पूर्व डीजीपी रह चुके हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अब आप के नेता डॉ. अजय कुमार जमशेदपुर से झाविमो के सांसद रहे थे। अजय कुमार अपने समय के चर्चित आइपीएस अधिकारी थे। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव 1972 बैच के आइपीएस अफसर रहे हैं। वे लोहरदगा से सांसद भी चुने गये थे। उन्होंने 2004 में आइपीएस की नौकरी से इस्तीफा देकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। सांसद चुने जाने के बाद वे केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री बने थे। 2019 में वे विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
सुचित्रा सिन्हा- EX IAS
झारखंड की पूर्व आइएएस अधिकारी सुचित्रा सिन्हा रांची के प्रिंसिपल इनकम टैक्स कमिश्नर आर एन सहाय की पत्नी हैं। वे इसी साल सितम्बर में रजिस्ट्रार, कोऑपरेटिव के पद से रिटायर हुईं थीं। वे प्रमोटी आइएएस हैं। उन्होंने चुनाव से ठीक पहले अक्टूबर में भाजपा ज्वाइन की थी। ईचागढ़ से चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सरायकेला जिला भाजपा समिति को आवेदन दिया था। सुचित्रा सिन्हा ने अधिकारी के रूप में सबर जानजाति के बीच अच्छा काम किया था। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा उन्हें टिकट देगी। लेकिन उनकी राह आसान न थी। ईचागढ़ से भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक साधु चरण महतो का टिकट काटना मुनासिब नहीं समझा। साधु चरण को फिर टिकट मिला और सुचित्रा सिन्हा खाली हाथ रह गयीं। 2014 में साधुचरण महतो ने झामुमो के सविता महतो को हराया था।
अरुण उरांव - EX IPS
डॉ. अरुण उरांव 1992 बैच के पंजाब कैडर के आइपीएस अफसर रहे हैं। उन्होंने रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की। फिर रांची स्थित राजेन्द्र मेडिकल कॉलेज से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की। डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने 1992 में यूपीएससी की परीक्षा दी और आइपीएस के लिए चुने गये। वे जमशेदपुर के एसपी और दुमका में आइजी रहे थे। 2014 में सरकारी नौकरी से वीआरएस लेकर वे कांग्रेस में शामिल हुए थे। हाल ही में भाजपा में आये थे। उन्होंने गुमला या सिसई से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी थी। लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। गुमला में भाजपा ने अपने सीटिंग एमएलए शिवशंकर उरांव का टिकट काटा तो जरूर लेकिन उसने मिसिर कुजूर पर अधिक भरोसा किया। अरुण उरांव के चुनाव लड़ने की तमन्ना एक बार फिर पूरी नहीं हुई। अरुण उरांव ने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय नौकरी से स्वैच्छिक अवकाश लेकर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। वे कांग्रेस के टिकट पर झारखंड से चुनाव लड़ना चाहते थे। अरुण उरांव के पिता बंदी उरांव विधायक थे। जब कि उनके ससुर ललित उरांव कांग्रेस के सीनियर लीडर थे। ललित उरांव इंदिरा गांधी के कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। उनकी सास सुमति उरांव कांग्रेस से सांसद थीं। कांग्रेस की पृष्ठभूमि के कारण अरुण उरांव पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। लेकिन जब वहां टिकट नहीं मिला तो वे भाजपा में आ गये। भाजपा में भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
डी के पांडेय – EX DGP
डी के पांडेय इसी साल मई में झारखंड के डीजीपी के पद से रिटायर हुए थे। वे 1984 बैच के आइपीएस अफसर थे। वे बिहार के सीतमढ़ी समेत झारखंड के साहिबगंज में एसपी थे। फिर झारखंड में डीआइजी, आइजी और डीजीपी बने। सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद डी के पांडेय ने अक्टूबर में भाजपा की सदस्यता ली थी। वे विश्रामपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन भाजपा ने यहां से रामचंद्र चंद्रवंशी को टिकट दे दिया। जून 2019 में डी के पांडेय तब सुर्खियों में आ गये थे जब उनके मकान की जमीन को गैरमजरुआ पाया गया। उन्होंने डीजीपी रहते अपनी पत्नी पूनम पांडेय के नाम पर 51 डिसमिल जमीन खरीदी थी। यह जमीन रांची के कांके अंचल के चामा मौजा में है। जांच में पाया गया कि ये जमीन गैरमजरुआ है जिसकी खरीद गलत तरीके से की गयी। गैरकानूनी रूप से इस जमीन का म्यूटेशन करके रैयती बना दिया गया था। इस जमीन को पूनम पांडेय ने 38.91 लाख रुपये में खरीदा था। इस जमीन पर डीके पांडेय ने आलिशान मकान बना रखा है। माना जा रहा है कि इस विवाद के चलते भाजपा ने उनकी राजनीतिक संभावनाओं पर विचार नहीं किया।
रेजी डुंगडुंग – EX IPS
1987 बैच के आइपीएस रेजी डुंगडुंग ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही वॉलंटरी रिटायरमेंट ले लिया था। वीआरएस लेने के समय वे एडीजे, वायरलेस के पद पर तैनात थे। वे विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे इसलिए बहुत पहले ही उन्होंने वीआरएस के लिए अर्जी दे रखी थी। उनका आवेदन 15 अक्टूबर 2019 को स्वीकार हुआ था। पहले उन्होंने भाजपा से टिकट के लिए कोशिश की। वे अपने गृहक्षेत्र सिमडेगा से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन भाजपा ने लोकप्रिय नेता रहे निर्मल बेसरा के पुत्र सदानंद बेसरा को सिमडेगा से टिकट दे दिया। जब डुंगडुंग को भाजपा से टिकट नहीं मिला तो वे झारखंड पार्टी में चले गये। झारखंड पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष एनोस एक्का ने डुंगडुंग को सिमडेगा से उम्मीदवार बना दिया।
इसे भी पढ़ें:- झारखंड: 14 सीटों पर आजसू का भाजपा से 36 का आंकड़ा, बिन सुदेश कैसे होगी रघुवर की वापसी?