कांग्रेस के पूर्व सांसद और मंत्री अब MLA बनने के लिए बेकरार, टिकट नहीं मिला तो हो जाएंगे बागी
रांची। झारखंड के चुनावी मौसम में कांग्रेस की सेहत नासाज चल रही है। नाराजगी के बादल छाये हुए हैं। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू ने बगावत की आवाज बुलंद कर दी है। उन्होंने ने धमकी दी है कि अगर घाटशिला सीट से उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो वे निर्दलीय भी ताल ठोकेंगे। उन्होंने कांग्रेस को मंगलवार शाम तक का अल्टीमेटम दिया है। अगर पार्टी ने बात नहीं मानी तो वे बागी बन कर चुनाव लड़ेंगे। बलमुचू के इस फैसले से कांग्रेस में हलचल मच गयी है। कांग्रेस ने अभी तक 25 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में असंतोष है। पश्चिनी सिंहभूम जिला कांग्रेस कमेटी ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। गुमला में भी कांग्रेस के कई नेता नाराजगी की वजह से पार्टी छोड़ने लगे हैं। 2019 में कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बगावती सुर
महागठबंधन में घाटशिला सीट झामुमो को मिली है। 2014 के चुनाव में झामुमो यहां दूसरे स्थान पर रहा था। इस लिहाज से उसके दावे को माना गया। जबकि कांग्रेस यहां तीसरे स्थान पर रही थी उसलिए उसका दावा खारिज हो गया। 2014 में घाटशिला सीट पर प्रदीप बलमुचू की बेटी सिंड्रेला बलमुचू कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ी थीं और तीसरे नम्बर पर रही थीं। अब कांग्रेस का कहना है कि प्रदीप बलमुचू स्थिति को समझ कर गठबंधन धर्म का पालन करें। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने बलमुचू को आत्ममंथन की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया था, प्रदेश अध्यक्ष की अहम जिम्मेवारी भी उन्हें मिली थी। वे मंत्री भी रहे। पार्टी ने उनके लिए क्या कुछ नहीं किया। लेकिन अब टिकट नहीं मिलने पर बगावत की धमकी देना अच्छी बात नहीं है।
ये नहीं तो वो सही
प्रदीप बलमुचू ने दो टूक कह दिया है कि अगर कांग्रेस ने बात नहीं मानी तो कई दल उनके इंतजार में खड़े हैं। बलमुचू के मुताबिक, उन्हें झारखंड विकास मोर्चा, आजसू और तृणमूल कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए ऑफर मिल चुका है। उनके समर्थक चुनाव लड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं। पश्चिमी सिंहभूम जिले की छह विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के पाले में केवल जगन्नाथपुर की सीट आयी है। इससे नाराज हो कर यहां कि जिला कांग्रेस कमेटी ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। अपने समर्थकों के उत्साह को देख कर उन्होंने हर हाल में यहां से चुनाव लड़ने का मन बनाया है। प्रदीप बलमुचू घाटशिला से लगातार तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। वे 1995 से 2005 तक कांग्रेस के विधायक रहे हैं। 2014 के चुनाव के समय प्रदीप राज्यसभा सांसद थे इसलिए कांग्रेस ने उनकी बेटी डॉ. सिंड्रेला बलमुचू को यहां से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वे अपने पिता की सीट नहीं बचा पायीं और तीसरे स्थान पर फिसल गयीं थीं। लेकिन इसबार प्रदीप अपनी पुरानी सीट को वापस पाना चाहते हैं।
झारखंड में कांग्रेस
झारखंड राज्य बनने के बाद यहां काग्रेस की राजनीति सहयोगी दलों पर निर्भर रही है। उसने अकेले चुनाव लड़ कर अपनी हैसियत देख ली है। इसलिए वह किसी न किसी दल को बैसाखी बना कर बी आगे बढ़ती रही है। 2005 के पहले चुनाव में कांग्रेस ने कुल 81 में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था। एकला चलो की नीति बुरी तरह नाकाम रही। 41 में से कांग्रेस के केवल 9 उम्मीदवार ही जीते। 2009 में कांग्रेस ने बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा के साथ समझौता किया। गठबंधन में कांग्रेस ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया। उसके 14 उम्मीदवार जीतने में कामयाब हुए। यह कांग्रेस का झारखंड में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। 2014 में कांग्रेस ने झारखंड विकास मोर्चा का साथ छोड़ कर राजद के साथ गठबंधन किया। 62 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला बिल्कुल गलत साबित हुआ। कांग्रेस 14 से घट कर छह पर पहुंच गयी। राजद ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसका खाता भी नहीं खुला था। 2019 में कांग्रेस ने झामुमो और राजद के साथ समझौता किया है। वह 31 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस इस बार झामुमो पर अधिक भरोसा कर रही है। वह भविष्य में झामुमो को स्थायी सहयोगी बनाना चाहती है। इसलिए कांग्रेस झामुमो की सीटों में कोई छेड़छाड़ करना नहीं चाहती। कांग्रेस की यह नीति बलमुचू के हितों के आड़े आ रही जिसकी वजह से टकराव पैदा हो गया है।