क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

झारखंड विधानसभा चुनाव: 14 साल बाद कद्दावर नेता सरयू राय के साथ दोहराई गई खुद की कहानी

Google Oneindia News

रांची। भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले कद्दावर नेता सरयू राय का टिकट आखिरकार कट ही गया। जमशेदपुर पश्चिम सीट पर भाजपा ने जिस तरह का सस्पेंस बनाये रखा था, उसका यही अंजाम होना था। गुस्से से लाल-पीले हुए सरयू राय अब मुख्यमंत्री रघुवर दास को चुनौती देंगे। रघुवर दास के साथ कड़वे रिश्ते की वजह से सरयू राय को पहले से अंदेशा था कि उनके साथ कुछ बुरा होने वाला है। इसलिए उन्होंने पहले से ही जमशेदपुर पश्चिम और जमशेदपुर पूर्वी सीट के लिए नामांकन पत्र खरीद लिया था। उन्होंने प्लान बी के तहत ही जमशेदपुर पूर्वी का नामांकन पत्र खरीदा था ताकि वक्त आये तो वे रघुवर दास के खिलाफ ताल ठोक सकें। रघुवर दास जमशेदपुर पूर्वी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। सरयू राय ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान किया है। अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो बगवात का नतीजा निराशाजनक ही रहा है। सरयू राय को जिस तरह 2005 में पहली बार टिकट मिला था 2019 में उसी तरह कट भी गया।

जैसे मिला था टिकट वैसे कट भी गया

जैसे मिला था टिकट वैसे कट भी गया

सरयू राय के साथ जो हुआ वह भाजपा की राजनीति का कॉमन फैक्टर है। 2005 में एक बड़े नेता का टिकट काट कर ही सरयू राय को दिया गया था। भाजपा ने तब सरयू राय के लिए वरिष्ठ नेता मृगेन्द्र प्रताप सिंह को बेटिकट कर दिया था। मृगेन्द्र प्रताप सिंह झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। वित्त विभाग भी संभाला था। इससे बावजूद भाजपा ने उनका टिकट काट कर सरयू राय को चुनाव लड़ने का मौका दिया था। उस समय सरयू राय बहुत खुश हुए थे। आज जब देवेन्द्र सिंह के लिए उनका टिकट काटा गया तो वे बागी बन गये। लेकिन इस सीट पर बगावत का इतिहास बहुत कड़वा रहा है। 2005 में जब भाजपा ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मृगेन्द्र प्रताप सिंह का टिकट काट दिया था तो उन्होंने भी बगवात कर दी थी। उन्होंने राजद के टिकट पर सरयू राय को चुनौती दी। रिजल्ट निकला तो पोलिटिकल हैवीवेट माने जाने वाले मृगेन्द्र प्रताप रिंग में नॉक आउट हो गये। उन्हें केवल 5 हजार 558 मत मिले और चौथे स्थान लुढ़क गये। सरयू राय भाजपा के इंटेलेक्चुअल फेस रहे हैं। वे बड़े नेता रहे लेकिन जननेता नहीं बन पाये। जबकि मृगेन्द्र प्रताप जमीन से जुड़े नेता थे फिर भी हार गये थे। अब सरयू की राय की बगावत का अंजाम देखना बाकी है।

दिग्गजों का टिकट काटती रही है भाजपा

दिग्गजों का टिकट काटती रही है भाजपा

मृगेन्द्र प्रताप सिंह तब से भाजपा के मजबूत नेता थे जब झारखंड बना भी नहीं था। उन्होंने जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर पांच चुनाव लड़े थे जिसमें तीन जीत और दो हार मिली थी। उन्होंने पहली बार 1980 के बिहार विधानसभा चुनाव में यहां से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गये थे। कांग्रेस के शमसुद्दीन खान ने उन्हें हराया था। 1985 के बिहार विधानसभा चुनाव में मृगेन्द्र प्रताप ने पहली जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के शमसुद्दीन खान से पिछला हिसाब बराबर किया था। 1990 में वे फिर हार गये। लेकिन 1995 और 2000 के बिहार विधानसभा के चुनाव में उन्होंने लगातार जीत हासिल की थी। बिहार के बंटवारे के बाद जब झारखंड में भाजपा की पहली सरकार बनी तो मृगेन्द्र प्रताप उसके मजबूत स्तंभ थे। जब कि सरयू राय ने इस सीट पर 2005 और 2014 में जीत हासिल की है। 2009 का चुनाव वे कांग्रेस के बन्ना गुप्ता से हार गये थे। 2019 में सरयू बेटिकट हो गये हैं। दिग्गजों का टिकट कटना भाजपा में कोई नयी बात नहीं है।

ये भी पढ़ें: झारखंड: हेमंत सोरेन ने बीजेपी को बताया 'डूबता जहाज', बोले- कई विधायक-सांसद संपर्क मेंये भी पढ़ें: झारखंड: हेमंत सोरेन ने बीजेपी को बताया 'डूबता जहाज', बोले- कई विधायक-सांसद संपर्क में

सरयू राय बनाम रघुवर दास

सरयू राय बनाम रघुवर दास

इस साल फरवरी में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को एक पत्र लिख रघुवर सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि भ्रष्टाचार के मामलों पर रघुवर सरकार की चुप्पी से वे आहत हैं और इस्तीफा देना चाहते हैं। यह पत्र मीडिया तक भी पहुंच गया था। सरयू राय ने पिछले दो साल में भ्रष्टाचार के कई मामलों पर रघुवर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था। लेकिन सरकार ने इनकी जांच कराने में दिलचस्पी नहीं दिखायी। सरयू राय बहुत पहले से भ्रष्टाचार का मामला उठाते रहे हैं। चारा घोटाला मामला को कोर्ट तक पहुंचाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका अदा की थी। उन्होंने 2018 में रघुवर दास को पत्र लिख कर कहा था कि पशुपाल घोटाला की तरह ही झारखंड में कंबल घोटाला हुआ है जिसकी सीबीआइ जांच करायी जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने रांची ड्रेनेज सिस्टम निर्माण में घपला, भवन निर्माण टेंडर में गड़बड़ी और प्रशासनिक भ्रष्टाचार के मामले उठाये थे। इन बातों को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास और खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय में अनबन थी तो अदावत में बदल गयी। इस सियासी अदावत का क्लाइमेक्स अब सबके सामने है।

Comments
English summary
jharkhand assembly elections 2019: denial of ticket to saryu rai, reminds the story of 14 years ago
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X