दो पत्नियों के विवाद में भाजपा ने जिस नेता को कभी किया था निलंबित झामुमो ने उसे टिकट से नवाजा
दो पत्नियों के विवाद में भाजपा से निलंबित नेता झामुमो से टिकट
नई दिल्ली। झारखंड की राजनीति में जो जितना विवादित है वह उतना ही मशहूर है। विधानसभा चुनाव मौके पर झारखंड अभी दल बदल की राजनीति प्रयोगशाला बन चुका है। विवादित नेताओं की यहां नहीं तो वहां पूछ है। भाजपा ने अपने एक पूर्व मंत्री को दो पत्नियों के विवाद में छह साल पहले निलबिंत कर दिया था। भाजपा की महिला नेता ने उनकी दूसरी पत्नी होने का दावा किया था। दिल्ली से रांची तक खूब हंगामा हुआ था। बाद में जरूरत पड़ी तो भाजपा ने निलंबन वापस भी ले लिया। 2019 में वे टिकट के तलबगार थे लेकिन नहीं मिला। भाजपा में दाल नहीं गली तो झटपट झामुमो में चले गये। झामुमो ने इतनी दरियादिली दिखायी कि अगले दिन ही उन्हें टिकट से पुरस्कृत भी कर दिया। इस निराले नेता का नाम है वैद्यनाथ राम। भाजपा के पूर्व मंत्री वैद्यनाथ राम को झामुमो ने लातेहार से उम्मीदवार बनाया है। अब लातेहार में भाजपा के प्रकाश राम और झामुमो के वैद्यनाथ राम के बीच मुकाबला होगा।
वैद्यनाथ राम मंत्री के रूप में
2009 के विधानसभा चुनाव में वैद्यनाथ राम लातेहार से भाजपा के टिकट पर जीते थे। इस साल किसी दल को बहुमत नहीं मिला था। पहले शिबू सोरेन ने मिली जुली सरकार बनायी लेकिन मई 2010 में उनकी सरकार का पतन हो गया। करीब साढ़े तीन महीने तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा। फिर सितम्बर 2010 में भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी जो बिल्कुल अनोखी थी। जब मुंडा ने सीएम पद की शपथ ली तो उनके साथ झामुमो के हेमंत सोरेन और आजसू के सुदेश महतो ने भी डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली थी। भाजपा और झामुमो ने अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार बनायी जो कि झारखंड में एक नया प्रयोग था। वैचारिक मतभिन्नता वाली ये अजीबोगरीब सरकार थी। खींचतान की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार टलता रहा। राज्यपाल ने हस्तक्षेप किया तो मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को एक महीने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार करना पड़ा। मंत्रिपरिषद में झामुमो के चार, भाजपा के तीन, जदयू और आजसू के एक-एक विधायकों को शामिल किया गया। इसी समय भाजपा के वैद्यनाथ राम भी मंत्री बनने में कामयाब हुए थे।
शिक्षा मंत्री के बेटा-बेटी दो बार फेल
अर्जुन मुंडा सरकार में वैद्यनाथ राम शिक्षा मंत्री थे। इस दरम्यान एक ऐसा वाकया हुआ कि वैद्यनाथ राम और सरकार की फजीहत हो गयी। वैद्यनाथ राम के पुत्र प्रभात और पुत्री पूनम कुमारी डोरंडा कॉलेज में इंटर कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे थे। 2012 में उन्होंने इंटर की परीक्षा दी थी। जब रिजल्ट निकला तो प्रभात और पूनम, दोनों फेल हो गये। हद तो ये थी कि दोनों भाई-बहन 2011 की परीक्षा में भी फेल हो गये थे। यानी वे इंटर की परीक्षा में लगातार दूसरी बार फेल हुए थे। शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम को इंटर का रिजल्ट जारी करने के लिए सरकारी कार्यक्रम में आना था। लेकिन इस हकीकत को जानकार उन्होंने अंतिम समय में इससे किनारा कर लिया। अफसरों को बहाना बनाना पड़ा कि मंत्री जी तबियत खराब होने की वजह से कार्यक्रम में नहीं आ पाये। इसके बाद ये खबर सुर्खियों में छा गयी। लोग तंज कसने लगे कि जिस राज्य में शिक्षा मंत्री के बेटा-बेटी दो-दो बार फेल हो जाते हैं वहां पढ़ाई की क्या स्थिति होगी।
दो पत्नियों का विवाद
अर्जुन मुंडा की अनोखी सरकार जनवरी 2013 में गिर चुकी थी। वैद्यनाथ राम भूतपूर्व मंत्री बन चुके थे। अप्रैल 2013 में भाजपा की अनुसूचित मोर्चा की उपाध्यक्ष सीमा राय ने सनसनीखेज खुलासा किया था कि वह पूर्व शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम की पत्नी हैं। वे पिछले कई वर्षों से पूर्व मंत्री के साथ पत्नी के रूप में रह रही हैं। सीमा राय ने तब कहा था, 28 अप्रैल को मैं अपने पति वैद्यनाथ राम के साथ दिल्ली आयी हुई थी। वैद्यनाथ राम उन्हें साउथ एक्सटेंशन में अचानक छोड़ कर गायब हो गये। सीमा ने आरोप लगाया था कि पूर्व मंत्री दिल्ली से एक अन्य महिला के साथ मुम्बई चले गये थे। ये महिला उनके पूर्व पीए की पत्नी थी। सीमा राय वैद्यनाथ राम की तलाश में दिल्ली के झारखंड भवन पहुंच गयी थीं। वहां जम कर हंगामा किया था। पहले से शादीशुदा वैद्यनाथ राम का मूल घर लातेहार में है। उस समय उनकी पहली पत्नी दो बेटे और दो बेटियों के साथ लातेहार के घऱ में रहती थीं। इस घटना के कुछ महीना पहले वैद्यनाथ राम की पहली पत्नी को सीमा राय के बारे में जानकारी मिली थी। तब उन्होंने पूर्व मंत्री के रांची स्थिति घर पहुंच कर भारी बवाल काटा था। सीमा राय के मुताबिक वैद्यनाथ राम ने उन्हें रहने के लिए एक फ्लैट दिया था।
भाजपा ने किया था निलंबित, झामुमो से टिकट
सीमा राय और वैद्यनाथ राम प्रकरण चूंकि दिल्ली में हुआ था इसलिए पूरे देश में भाजपा की भद्द पिट गयी थी। भाजपा के शीर्ष नेता इससे बहुत नाराज हुए। झारखंड भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय के निर्देश पर महासचिव बालमुकुंद सहाय ने वैद्यनाथ राम और सीमा राय को भाजपा से निलंबित कर दिया। लेकिन साढ़े तीन महीने बाद ही भाजपा को ऐसी जरूरत आन पड़ी कि उसे वैद्यनाथ राम के खिलाफ निलंबन का आदेश वापस लेना पड़ा। 18 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन सरकार को विश्वास मत हासिल करना था। अल्पमत सरकारों के दौर में एक विधायक की बहुत अहमियत थी। भाजपा ने अपना संख्याबल बढ़ाने के लिए वैद्यनाथ राम को निलंबन से मुक्त कर दिया। वे 2019 में लातेहार से भाजपा का टिकट चाहते थे। लेकिन लातेहार के विधायक प्रकाश राम जब जेविएम से भाजपा में चले आये तो उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। भाजपा ने प्रकाश राम को लातेहार से जब टिकट दे दिया तो वे झामुमो में चले गये।