झारखंड चुनाव: सुदेश महतो की चुनावी तान-आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा.. अब तक 49
रांची। आजसू की सराय में सियासी मुसाफिरों का तांता लगा हुआ है। थके-मांदे मुसाफिरों को जब कहीं ठौक-ठिकाना नहीं मिलता तो वे आजसू की चौखट पर पहुंच जाते हैं। दिल को दरिया बना चुका आजसू उन्हें निराश नहीं करता। भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष और झामुमो के एक पूर्व विधायक टिकट के लिए व्याकुल भटक रहे थे। टिकट पाने की मियाद खत्म होने के करीब थी। उससे पहले रैनबसेरा खोजना जरूरी था। आखिरकार आजसू ने इन दोनों की मुराद पूरी की। जिस आजसू ने भाजपा से केवल 19 सीटें मांगी थी अब वह 49 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है।
आजसू नाम केवलम्
अब भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा विधायक ताला मरांडी की ही बात लीजिए। पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। बड़ी उम्मीदों के साथ वे झामुमो में गये। हेमंत के साथ गलबहियां कर बहुत जोश में घर वापसी की बात कही। जब हेमंत सोरेन ने भी ताला मरांडी को बेटिकट कर दिया तो उनका झामुमो प्रेम काफूर हो गया। आखिरी लम्हों में अब जाते तो कहां जाते। आजसू की सराय खुली थी सो जा पहुंचे सुदेश के मुसाफिरखाने में। बुधवार को ताला ने नये डेरे में बोरिया-विस्तर डाल दिया। अब वे आजसू के टिकट पर बोरियो से चुनाव लडेंगे। एक विधायक हो कर भी ताला को दर-दर भटकना पड़ा। सियासी मैच के आखिरी ओवरों में झामुमो के पूर्व विधायक भी अकील अख्तर भी अब आजसू की टीम में शामिल हो गये। वे पाकुड़ से बल्लेबाजी करेंगे।
आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा
जब आजसू का भाजपा से गठबंधन था तब उसने केवल 19 सीटें मांगी थी। भाजपा को ये मांग अधिक लगी। बात बिगड़ गयी। 19 सीटें मांगने वाला आजसू अब तक 49 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुका है। जैसे जैसे उनका कुनबा बढ़ रहा है वैसे-वैसे सीटों की घोषणा कर रहे हैं। फेज वाइज अब तक वे उम्मीदवारों की सात सूचियां जारी कर चुके हैं। जल्द ही आठवीं सूची जारी करने वाले हैं। हालत ये है कि कोई नेता शाम को आजसू ज्वाइन करता है और अगले दिन उसको टिकट मिल जाता है। ऐसी सदाबहार व्यवस्था शायद ही किसी दूसरे दल में है। गेस्ट एपियरेंस में आने वाले इन नेताओं को आजसू का ‘उदार लोकतांत्रिक' ढांचा बेहद भा रहा है। सुदेश की चुनावी गड्डी निकल पड़ी है। उन्होंने चुनावी तान छेड़ रखी है- आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा...। सवारियों से उनकी गाड़ी भरती जा रही है।
पहले चरण में आजसू के तीन उम्मीदवार
पहले चरण की 13 सीटों पर दो दिन बाद ही वोटिंग है। 13 में तीन सीटों (लोहरदगा, हुसैनाबाद और छतरपुर) पर आजसू के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। हुसैनाबाद से चुनाव लड़ रहे शिवपूजन मेहता भी नये मुसाफिर हैं। 2014 में बसपा के टिकट पर जीते थे। 2019 में आजसू के हो गये। छतरपुर से चुनाव लड़ रहे राधाकृष्ण किशोर भी परिवार के नये सदस्य ही हैं। 2014 में वे भाजपा से जीते थे। भाजपा ने टिकट काट दिया तो आजसू के आशियाने में आ गये। लोहरदगा की सीट आजसू की जीती हुई है। 2014 में इस सीट पर आजसू के कमल किशोर भगत चुनाव जीत् थे। लेकिन 2015 में कोर्ट ने मारपीट के एक मामले में उन्हें सात साल की सजा सुना दी जिससे उनकी विधायकी खत्म हो गयी। उपचुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के सुखदेव भगत जीते। 2019 में सुखदेव भगत भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव मैदान में हैं तो दूसरी तरफ आजसू ने यहां से नीरूशांति भगत (कमल किशोर भगत की पत्नी) को फिर प्रत्याशी बनाया है।