झारखंड के चुनावी नतीजों से डरे नीतीश ने चलाया अनुशासन का चाबुक
नई दिल्ली। महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनावी संकेतों ने नीतीश कुमार की चिंता बढ़ा दी है। अब जीत के लिए नाम नहीं काम की जरूरत है। इन तीन राज्यों में जनता ने वायदे पूरा नहीं करने वाली सरकारों को सबक सिखाया है। आठ महीने बाद नीतीश कुमार को भी जनता की अदालत में पेश होना है। इस लिए उन्होंने अपनी सरकार के कील-कांटे दुरुस्त करने शुरू कर दिये हैं। उन्होंने लापरवाह और भ्रष्ट लोगों को सुधर जाने की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने अपने एक मंत्री को इस तरह हड़काया कि लोग हैरत में पड़ गये।
ऐसे-वैसे पैसा नहीं कमाइए, कुछ काम कीजिए
रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुनानक देव जी के 550 वें प्रकाश पर्व समारोह में शामिल होने राजगीर गये थे। कार्यक्रम में एक मंत्री को जम्हाई (उबासी) लेते देखा तो वे भड़क गये। देश-विदेश से आये अतिथियों के सामने एक मंत्री की शिथिलता और लापरवाही देख कर उनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। नाराज नीतीश ने मंत्रीजी की स्रार्वजनिक रूप से क्लास लगा दी। उन्होंने मंत्री को लक्ष्य कर कहा, ऐसे-वैसे पैसे नहीं कमाइए। पद मिला है तो कुछ कर के दिखाइए। कुछ ऐसा कर के जाइए कि लोग याद करें। यानी नीतीश को भी मालूम है कि कौन-कौन मंत्री कमाने-खाने में लगे हुए हैं। नीतीश कुमार ने पिछले तीन चुनावों में गुड गवर्नेंस के नाम पर जीत हासिल की है। चौथी बार जीत हासिल करने के लिए पहले से अधिक मेहनत करनी होगी। उन्होंने एक मंत्री को सार्वजनिक फटकार लगा कर वैसे लोगों को चेतावनी दी है जो सेवा के बदले मेवा खाने वाले में लगे हैं।
जब अफसरों पर भड़के थे नीतीश
नीतीश कुमार गंभीर चर्चा के दौरान किसी की लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते। जुलाई 2019 में विधानसभा सत्र सम्पन्न होने के बाद उन्होंने बाढ़ और सुखाड़ की समीक्षा के लिए जिलाधिकारियों की बैठक बुलायी थी। ये बैठक करीब सात घंटे तक चली थी। इस मिटिंग में सभी जिलों की स्थिति की समीक्षा हो रही थी। इस दौरान कई जिलाधिकारी आपस में बात करते रहे। कुछ मोबाइल पर व्यस्त रहे। नीतीश कुमार ने ऐसे जिलाधिकारियों को जबर्दस्त डांट पिलायी। उन्होंने कहा कि आप सभी लोगों पर एक जिले के कल्याण की जिम्मेवारी है। अगर आप गंभीरता नहीं दिखाएंगे तो काम कैसे पूरा होगा। 2018 में भी नीतीश ने पुलिस अफसरों को हड़काते हुए कहा था कि गड़बड़ करने वालों को वे कभी नहीं बख्शेंगे। काम कीजिए नहीं तो गंभीर नतीजों के लिए तैयार रहिए। 2013 में एक बार नीतीश कुमार अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश कर रहे थे। वे अपनी बात रख रहे थे लेकिन तत्कालीन कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह झपकी ले रहे थे। नीतीश कुमार ने एक बार उनकी तरफ देखा और रौ में सरकार की अपलब्धियां गिनाते रहे। इस बीच मंत्री नरेन्द्र सिंह को नींद से जगाने के लिए मुख्य सचिव को पहल करनी पड़ी। यह सब देख कर लोग हंसने लगे। बाद में नीतीश ने मंत्री को अपनी नाराजगी से अवगत करा दिया था। अब नरेन्द्र सिंह नीतीश कुमार के साथ नहीं हैं।
अनुशासन का चाबुक
बिहार की राजनीति में शक्ति के तीन केन्द्र हैं। भाजपा, नीतीश कुमार और लालू यादव। चुनावी नतीजों से ये बात साबित हो चुकी है कि इनमें से किसी एक को अकेले सत्ता नहीं मिल सकती। सत्ता के सिंहासन पर बैठना है तो किसी दो का मिलना जरूरी है। अभी नीतीश और भाजपा एक साथ हैं। जीत का सबसे जरूरी फार्मूला एनडीए के पक्ष में है। लेकिन नीतीश केवल सामाजिक समीकरण पर ही निर्भर रहना नहीं चाहते। राष्ट्रीय राजनीति में उनका कद इसलिए बढ़ा क्यों कि उन्हें एक काम करने वाला मुख्यमंत्री माना जाता है। गुड गवर्नेंस उनकी यूएसपी है। नीतीश अपनी इस छवि को बरकरार रखना चाहते हैं। पिछले कुछ समय से बिहार में अपराध बढ़ा है। नीतीश-1 और नीतीश-2 की तुलना में नीतीश-3 का शासन कुछ ढीला पड़ा है। अपराधियों में पहले की तरह खौफ नहीं है। झारखंड चुनाव के बाद नीतीश जैसे नींद से जगे हैं। वे अनुशासन का चाबुक चला कर फिर सख्त प्रशासक की भूमिका में लौटना चाहते हैं।