Jharkhand Assembly Election Result 2019:19 सालों से हर बार हारा है झारखंड का मुख्यमंत्री, क्या रघुवर दास तोड़ पाएंगे ये तिलिस्म
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे थोड़ी देर में सामने आ जाएंगे। थोड़ी देर में पता चल जाएगा कि झारखंड की जनता ने किसके सिर पर ताज सजाया है? कौन झारखंड का अगला मुख्यमंत्री बनेगा? वहीं थोड़ी देर में ये भी पता चल जाएगा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास 19 साल से चले आ रहे तिलिस्म को तोड़ पाएं है या नहीं? 'अबकी बार 65 पार' के नारे के साथ रघुवार दास ने जी-जान लगाकर चुनाव प्रचार किया, लेकिन क्या वो झारखंड के उस मिथक को तोड़ पाने में कामियाब होंगे, जिसे आजतक कोई नहीं तोड़ पाया है? क्या रघुवर दास एक बार फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री पद पर बैठ पाएंगे?
झारखंड में अबकी बार किसकी सरकार, एक नजर साल 2014 के चुनावी नतीजे पर
क्या रघुवार दास तोड़ पाएंगे 19 सालों का तिलिस्म
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के सामने 19 साल से चले आ रहे तिलिस्म या यूं कहें कि चुनौती को तोड़ने का मौका है। इस चुनौती को पिछले 19 सालों में झारखंड का कोई पूर्व मुख्यमंत्री नहीं तोड़ सका है। दरअसल झारखंड का इतिहास रहा है कि यहां कि जनता ने जिसे एक बार सत्ता की चाबी दी और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया उसे अगली बार नीचे उतार फेंका है। ये झारखंड के लोगों को मिजाज है कि अब तक जो नेता सीएम की कुर्सी पर बैठा है उसे जनता ने चुनाव में हार का स्वाद चखाया है। मतलब ये कि झारखंड में जो एक बार मुख्यमंत्री बना उसे जनता ने हार का सामना करवाया है।
झारखंड में 19 सालों में 6 मुख्यमंत्री, 3 बार विधानसभा चुनाव
झारखंड के गठन को 19 साल बीत चुके हैं और अब तक तीन विधानसभा चुनाव गुजर चुके हैं। 3 बार विधानसभा चुनावों के बाद झारखंड में अब तक 6 मुख्यमंत्री हो चुके हैं। झारखंड में बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधू कोड़ा, हेमंत सोरेन और रघुवर दास ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है। खास बात ये है कि झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले सभी नेता बारी-बारी से हार चुके हैं।
2014 के चुनाव में 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों की हार
झारखंड की जनता ऐसे चुनावी नतीजें देती रही हैं। साल 2014 विधानसभा चुनाव के नतीजें हैरान करने वाले थे। ये नतीजे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सुनामी साबित हुआ और इस चुनाव में 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन 2014 में खरसावां सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को भी 2014 में हार का सामना करना पड़ा। इनके साथ-साथ साल 2014 के चुनाव में जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष को झारखंड का मुख्यमंत्री रहते हुए हार का मुंह देखना पड़ा।
क्या रघुवर दास तोड़ पाएंगे मिथक?
झारखंड का इतिहास मुख्यमंत्रियों के लिए खास नहीं रहा है। अब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे नेता को हार का सामना करना ही पड़ा है। हालांकि रघुवर दास ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है। अब उनके सामने चुनौती है कि क्या वो 19 साल से चले आ रहे इस मिथक को तोड़ पाएंगे। जमशेदपुर पूर्व सीट से उनके अपने ही मंत्रिमंडल के बागी नेता सरयू राय खड़े हैं, वहीं कांग्रेस ने इस सीट से अपने तेज तर्रार नेता गोपाल बल्लभ को मैदान में उतारा है। हालांकि ये सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है, ऐसे में देखना होगा कि रघुवर दास जीत हासिल कर इस मिथक को तोड़ पाते हैं कि नहीं। बीजेपी ने उनपर एक बार फिर से भरोसा जताया है, ऐसे में उनपर जीत हासिल कर बीजेपी को सत्ता में वापस लाने का दवाब है।