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झारखंड विधानसभा चुनाव : पहले चरण की 13 सीटों पर कहां किससे मुकाबला

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नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 13 सीटों पर 30 नवम्बर को चुनाव होगा। पहले चरण का नामांकन समाप्त होने के बाद 13 सीटों के प्रमुख उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो गयी है। 2014 में इन 13 सीटों में से 7 पर भाजपा विजयी हुई थी। 2014 के बाद दूसरे दलों के चार और विधायक भाजपा में आ गये हैं। इस तरह भाजपा पर 13 में से 11 सीटों को बचाने की चुनौती है। आजसू से गठबंधन टूटने की स्थिति में भाजपा के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा। इन 13 सीटों में महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस छह, राजद चार और झामुमो 3 सीटों पर मैदान में है। भाजपा 12 सीटों पर लड़ रही और हुसैनाबाद में उसने विनोद सिंह को समर्थन दिया है।

छतरपुर

छतरपुर

छतरपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की पुष्पा देवी, आजसू के राधकृष्ण किशोर और जदयू की सुधा चौधरी के बीच मुकाबला है। 2014 में इस सीट पर भाजपा के राधाकृष्ण किशोर जीते थे। उन्होंने राजद के मनोज कुमार को हराया था। 2019 में भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक राधाकृष्ण का टिकट काट कर राजद नेता रहे मनोज कुमार की पत्नी पुष्पा देवी को दिया है। भाजपा से टिकट कटने के बाद राधाकृष्ण आजसू में चले गये और अब पुष्पा देवी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। अलग-अलग दलों में रह कर राधाकृष्ण यहां से पांच बार (बिहार-झारखंड) चुनाव जीते हैं। जदयू की सुधा चौधरी 2009 में यहां से चुनाव जीत चुकी हैं। वे मंत्री भी रही हैं।

विश्रामपुर

विश्रामपुर सीट पर भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी, कांग्रेस के चंद्रेशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे और झाविमो की अंजू सिंह के बीच मुख्य मुकाबला है। 2014 में भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी ने कांग्रेस के ददई दुबे को हराया था। ददई दुबे कांग्रेस के परिष्ठ नेता हैं। वे 2009 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। रामचंद्र चंद्रवंशी पहले राजद में थे और वे 2005 में यहां से राजद के विधायक रहे थे।

डाल्टेनगंज

डाल्टेनगंज

डाल्टेनगंज सीट पर भाजपा से अलोक चौरसिया, कांग्रेस से केएन त्रिपाठी और झाविमो से राहुल अग्रवाल मैदान में हैं। 2014 के चुनाव में झाविमो के आलोक चौरसिया ने कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को हराया था। तब भाजपा के उम्मीदवार मनोज सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। 2019 में आलोक चौरसिया भाजपा से उम्मादवार बन गये हैं। 2009 में कांग्रेस के केएन त्रिपाठी ने भाजपा के दिलीप सिंह नामधारी को हराया था। दिलीप सिंह नामधारी भाजपा के पूर्व दिग्गज नेता इंदर सिंह नामधारी के पुत्र हैं। बाद में इंदर सिंह नामधारी जदयू में चले गये थे। 2005 में इंदर सिंह नामधारी ने निर्दलीय अनिल चौरसिया (आलोक चौरसिया के पिता) को हराया था।

मनिका

मनिका विधानसभा सीट पर भाजपा ने रघुपाल सिंह, कांग्रेस ने रामचंद्र सिंह और झाविमो ने राजपाल सिंह को उम्मीदार बनाया है। 2014 के चुनाव में भाजपा के हरिकृष्ण सिंह ने राजद के रामचंद्र सिंह को हराया था। रामचंद्र सिंह राजद के टिकट पर दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। वे हाल की में कांग्रेस में शामिल हो गये थे। अब वे मनिका सीट पर कांग्रेस प्रत्यासी बन कर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जिन 10 विधायकों का टिकट काटा था उसमें मनिका के विधायक हरिकृष्ण सिंह भी शामिल थे। भाजपा ने यहां से सीटिंग विधायक का टिकट काट कर एक साधारण कार्यकर्ता रघुपाल सिंह को मैदान में उतारा है। झाविमो के राजपाल सिंह मुकाबले को तिकोना बना रहे हैं।

पांकी

पांकी

पांकी सीट पर कांग्रेस ने देवेन्द्र सिंह, भाजपा ने शशिभूषण मेहता और झाविमो ने रूद्र शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। 2014 के चुनाव में कांग्रेस के विदेश सिंह ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगायी थी। 2005 में राजद से तो 2009 में वे निर्दलीय जीते थे। 2016 में विदेश सिंह का असामयिक निधन हो गया था। उपचुनाव हुआ तो विदेश सिंह के पुत्र देवेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीते भी। पहले चरण में भाजपा के लिए यह सबसे चुनौतीपूर्ण सीट है। पिछले तीन चुनावों में उसकी लगातार हार हुई है।

बिशुनपुर

बिशुनपुर सीट पर झामुमो ने चमरा लिंडा, भाजपा ने अशोक उरांव और झाविमो ने महात्मा उरांव को मैदान में उतारा है। 2014 के चुनाव में झामुमो के चमरा लिंडा ने भाजपा के समीर उरांव को हराया था। इस चुनाव में अशोक उरांव ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे। 2019 में भाजपा ने अपने पिछले उम्मीदवार समीर के बदले अशोक उरांव पर भरोसा जताया है। 2005 में भाजपा के चंद्रेश उरांव ने निर्दलीय चमरा लिंडा को हरा कर जीत हासिल की थी। 2009 में यहां से चमरा लिंडा को जीत मिली थी।

भवनाथपुर

भवनाथपुर

भवनाथपुर विधानसभा सीट पर इस बार सबकी निगाहें हैं। इस सीट भाजपा ने विवादास्पद नेता भानुप्रताप शाही को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के केपी यादव उनको चुनौती दे रहे हैं। लोजपा से अनंत प्रताप देव चुनाव लड़ रहे हैं जो पहले भाजपा में थे। 2014 के चुनाव में नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानुप्रताप शाही ने भाजपा के अनंत प्रताप देव को हरा कर चुनाव जीता था। भानु प्रताप जब स्वास्थ्य मंत्री थे तब उन पर दवा घोटाला का आरोप लगा था। ट्रायल अभी चल ही रहा है। 2019 विधानसभा के ठीक पहले भानु प्रताप शाही भाजपा में शामिल हो गये। भानु के भाजपा में आने से अनंत प्रताप ने विद्रोह कर दिया। अब अनंत लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। अनंत ने 2009 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था।

गढ़वा

गढ़वा सीट पर भाजपा के सत्येन्द्र नाथ तिवारी, झामुमो के मिथिलेश कुमार और झाविमो के सूरज प्रसाद गुप्ता के बीच मुख्य मुकाबला है। 2014 के चुनाव में भाजपा के सत्येन्द्रनाथ तिवारी ने राजद के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह को हराया था। 2009 के चुनाव में सत्येन्द्र नाथ ने झाविमो के टिकट पर जीत हासिल की थी और राजद के गिरिनाथ सिंह को ही हराया था। 2005 में राजद के गिरिनाथ सिंह ने इस सीट पर विजय प्राप्त की थी। गिरिनाथ सिंह अब भाजपा में आ गये हैं।

लोहरदगा

लोहरदगा

लोहरदगा ऐसी सीट बन गयी है जहां कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष की टक्कर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से हो रही है। यहां भाजपा से सुखदेव भगत, कांग्रेस से रामेश्वर उरांव और आजसू से नीरूशांति भगत चुनाव लड़ रहे हैं। सुखदेव भगत पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे। वे हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे। उनका टिकट पहले होल्ड पर रखा गया था लेकिन बाद में उन्हें भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिया। रामेश्वर उरांव कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष हैं। इस सीट पर आजसू ने नीरूशांति भगत को उम्मीदवार बना कर भाजपा की राह मुश्किल कर दी है। 2014 के चुनाव में इस सीट पर आजसू के कमलकिशोर भगत जीते थे। बाद में एक मामले में सजायाफ्ता होने पर कमलकिशोर की विधायकी समाप्त हो गयी। उपचुनाव हुआ तो कांग्रेस के सुखदेव भगत जीते थे। सुखदेव के भाजपा में आ जाने से आजसू के लिए मुश्किल हो गयी। अब आजसू ने कमलकिशोर की पत्नी नीरूशांति को यहां से उम्मीदवार बनाया है।


हुसैनाबाद

हुसैनाबाद से भाजपा ने प्रत्याशी तो नहीं दिया है लेकिन उसने विनोद सिंह को अपना समर्थन दिया है। इनके अलावा इस सीट पर आजसू से शिवपूजन मेहता, राजद से संजय सिंह यादव, झाविमो से वीरेन्द्र कुमार और एनसीपी से कमलेश सिंह चुनाव मैदान में हैं। 2014 के चुनाव में शिवपूजन मेहता बसपा के टिकट पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। उन्होंने एनसीपी के कमलेश सिंह को हराया था। भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। 2019 में शिवपूजन ने बसपा छोड़ कर आजसू का दामन थाम लिया है। अब वे आजसू उम्मीदवार बन कर चुनाव लड़ रहे हैं। राजद के संजय सिंह यादव 2009 में इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं। भाजपा और आजसू में खटपट से यहां नया समीकरण बनता दिख रहा है।

लातेहार

लातेहार

लातेहार में भाजपा के प्रकाश राम, झामुमो के वैद्यनाथ राम और झाविमो के अमन भोक्ता के बीच मुख्य मुकाबला है। 2014 में इस सीट पर झाविमो के प्रकाश राम जीते थे। बाद में वे भाजपा में आ गये। जब भाजपा ने प्रकाश राम को टिकट दे दिया तो वैद्यनाथ राम भाजपा छोड़ कर झामुमो में शामिल हो गये। झामुमो ने उन्हें टिकट देकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। झाविमो के अमन भोक्ता तीसरे प्रमुख उम्मीदवार हैं।

चतरा

भाजपा ने चतरा के सीटिंग विधायक जयप्रकाश भोक्ता का टिकट काट कर जनार्दन पासवान को उम्मीदवार बनाया है। राजद के सत्यानंद भोक्ता और झाविमो के तिलेश्वर राम भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश भोक्ता ने झाविमो के सत्यानंद भोक्ता को हराया था। 2019 में भाजपा ने राजद के पूर्व नेता जनार्दन पासवान को जिताऊ उम्मीदवार समझा और मैदान में उतार दिया। सत्यानंद भोक्ता 2005 में भाजपा के टिकट पर यहां जीत चुके हैं। लेकिन इस बार वे राजद के टिकट पर ताल टोक रहे हैं। भाजपा से लड़ रहे जनार्दन पासवान 2009 में राजद के टिकट पर यहां से चुनाव जीत चुके हैं।

गुमला

गुमला सीट पर भाजपा के मिसिर कुजूर, झामुमो के भूषण तिर्की और झाविमो के राजनील तिग्गा के बीच मुख्य मुकाबला है। 2014 में इस सीट पर भाजपा के शिवशंकर उरांव ने झामुमो के भूषण तिर्की के हराया था। भाजपा ने इस बार सीटिंग विधायक शिवशंकर का टिकट काट कर मिसिर कुजूर को उम्मीदवार बनाया है। जब कि झामुमो ने अपने पिछले उम्मीदवार पर ही भरोसा जताया है। उस सीट पर भाजपा तीसरी जीत की तलाश में है। 2009 में उसने ये सीट झामुमो से छिनी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इस क्षेत्र में 7 हजार वोटों से पिछड़ गयी थी। इसलिए उसने इस बार उम्मीदवार को बदल दिया।

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English summary
Jharkhand Assembly Election: Compete on 13 seats in the first phase
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