झारखंड: कौन हैं सरयू राय, जिन्होंने सीएम रघुबर दास समेत कई सीटों पर बिगाड़ा BJP का खेल
झारखंड :
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा चुनाव की 81 सीटों पर हुए चुनाव के आज नतीजे आ रहे हैं। रुझानों में झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं भाजपा के हाथ से सत्ता जाती दिख रही है। वहीं क्षेत्रीय दल आजसू और जेवीएम भी ठीक-ठाक करते दिख रहे हैं। चुनाव के जो नतीजे आ रहे हैं, उनमें कई बड़े चेहरों की सीट संकट में दिख रही है। इनमें सबसे बड़ा नाम सीएम रघुबर दास का है। रघुबर दास जमशेद पूर्व सीट पर सरयू राय से पीछे चल रहे हैं। लंबे समय तक भाजपा के साथ रहे राय टिकट ना मिलने पर बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।
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निर्दलीय सरयू राय से पिछड़े रघुबर दास
जमशेद पूर्व सीट पर रघुबर दास के सामने कांग्रेस ने गौरव वल्लभ और जेवीएम ने अभय सिंह को उतारा है लेकिन उन्हें मुकाबला सरयू राय दे रहे हैं। जमशेद पूर्व सीट पर 1995 से लगातार विधायक चुने जाते रहे दास राय से पिछड़ रहे हैं। सीट पर 90 हजार वोटों की गिनती हो चुकी है। इसमें निर्दलीय सरयू राय को 36,148 और रघुबर दास को 28,292 वोट मिले हैं। यानी राय ने दास पर करीब आठ हजार वोटों से बढ़त बनाई हुई है।
टिकट कटने पर की भाजपा से बगावत
सरयू राय का टिकट इस चुनाव में भाजपा ने काट दिया था। इसके बाद उन्होंने विधायक और मंत्रीपद से इस्तीफा देकर रघुबर दास के खिलाफ लड़ने का फैसला किया था। सरयू का कहना है कि वो युवा अवस्था से आरएसएस और फिर भाजपा से जुड़े लेकिन पार्टी ने मेरा अपमान किया है। पार्टी नेतृत्व ने भी मेरी बात नहीं सुनी, ऐसे में मैंने रघुबर दास के खिलाफ लड़ने का फैसला किया है।
कई सीटों पर किया भाजपा को नुकसान
सरयू राय 1962 में आरएसएस से जुड़े रहे हैं। वहा विधायक, एमएलसी और मंत्री रहे हैं। ऐसे में उनका क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि जमशेद पूर्व सीट से तो वो खुद लड़ ही रहे हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई सीटों पर भाजपा को नुकसान किया है। इसकी बड़ी वजह उनका बार-बार ये कहना भी है कि पुराना कार्यकर्ता होने पर आलाकमान ने उनका अपमान किया।
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