जेसिका लाल मर्डर केस: जानिए उस रात का सच, जब शराब से इनकार पर खूबसूरत मॉडल का हुआ था कत्ल
नई दिल्ली। चर्चित मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड में की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे मनु शर्मा को सोमवार को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल ने सजा समीक्षा बोर्ड की सिफारिश के बाद रिहाई की अनुमति दी है। साल 1999 में मनु शर्मा को जेसिका लाल की हत्या का दोषी करार दिया गया था। मनु शर्मा हरियाणा की राजनीति में रसूख रखने वाले कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बेटा है। 20 साल बाद आज फिर जेसिका लाल मर्डर केस सुर्खियों में आ गया है। तो आइए विस्तार से जानते कि उस रात क्या हुआ था?
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जेसिका ने शराब परोसने से मना किया, मार दी गोली
29 अप्रैल 1999 की रात दिल्ली के टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वजह सिर्फ इतनी थी टाइम ओवर हो चुका था और जेसिका ने शराब सर्व करने से मना कर दिया था। जेसिका की जब हत्या की गई तब वो सिर्फ 34 साल की थी। टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में उस रात जेसिका लाल एक पार्टी में बतौर बार टेंडर काम करने के लिए बुलाई गई थी।
ब्रिटिश पासपोर्ट होल्डर बीना रमानी की थी वो पार्टी
टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में जो पार्टी चल रही थी वो रेस्टोरेंट की मालकिन, जानीमानी सोशलाइट और ब्रिटिश पासपोर्ट होल्डर बीना रमानी की थी। बीना के पति जॉर्ज मेलहोट कनाडा के रहने वाले थे और 6 महीने के लिए वापस कनाडा जा रहे थे। इसी मौके पर बीना ने ये पार्टी रखी थी। इस पार्टी में बीना रमानी की बेटी मालिनी रमानी ने मॉडल जेसिका लाल और शायन मुंशी को बार टेंडर के काम के लिए बुलाया था।
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मनु शर्मा ने जेसिका से मांगी शराब, पार्टी खत्म होने के चलते जेसिका ने किया था इंकार
हत्या के बाद जांच एजेंसियों ने जो फाइनल चार्जशीट दाखिल की थी उसके मुताबिक जेसिका लाल और शायन मुंशी पार्टी में मौजूद गेस्ट को ड्रिंक सर्व कर रहे थे। रात 12 बजे के बाद का वक्त था और पार्टी ओवर हो चुकी थी। इसी बीच मनु शर्मा ने जेसिका लाल से और ड्रिंक सर्व करने को कहा। जेसिका ने ये कहते हुए इंकार कर दिया कि पार्टी खत्म हो चुकी है और वो शराब नहीं सर्व कर सकती हैं। जेसिका की इसी इंकार को सत्ता और शराब के नशे में चूर मनु शर्मा हजम नहीं कर सका और सबके बीच गोली मारकर हत्या कर दी। गोली चलने से वहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया और इसी का फायदा उठाकर मनु शर्मा और उसके दोस्त वहां से निकल गए। इसके बाद जेसिका को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे डेड बता दिया गया। 2 मई, 1999 को मनु शर्मा की टाटा सफारी को दिल्ली पुलिस ने यूपी के नोएडा से बरामद किया। उसके बाद 6 मई को चंडीगढ़ की एक अदालत के सामने मनु शर्मा का सरेंडर कर दिया।
राजनीतिक रसूख के चलते साल 2006 में रिहा हो गया मनु शर्मा
7 साल तक चले मुकदमे के बाद फरवरी, 2006 में मनु शर्मा बरी हो गया। इसके साथ अन्य आरोपित भी बरी हो गए। मनु शर्मा और अन्य आरोपियों को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया गया था। कोर्ट के इस फैसले ने जेसिका लाल के परिवार को झटका दिया। परिवार निराश हो गया। बहन सबरीना ने मोर्चा खोला और मीडिया ने भी साथ दिया। इसके बाद हत्या का यह केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला और आखिरकार सुप्रीम ने भी मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई।
भरे बार में चली गोली, लेकिन देखने वालों ने देखकर भी मना कर दिया
गिरफ्तारी के बाद जब कोर्ट में गवाह पेश होने शुरू हुए, एक-एक करके वो सभी लोग जो विटनेस थे, अपने बयान से मुकरते गए। मतलब पहले कहा कुछ और फिर कोर्ट में उसी बात से इंकार कर दिया। आप जानकर सन्न रह जाएंगे कि उसी बार काउंटर पर जेसिका के साथ ड्रिंक सर्व कर रही शायन मुंशी ने भी कोर्ट में गवाही नहीं दी। तीन-चार लोगों को छोड़कर सबने मनु को पहचानने से भी इनकार कर दिया था। बीना रमानी, उनकी बेटी मालिनी रमानी और पति जॉर्ज मेलहॉट।
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केस पर बनी फिल्म 'नो वन किल्ड जेसिका'
2011 में जेसिका लाल मर्डर केस से प्रभावित होकर फिल्म 'नो वन किल्ड जेसिका' बनाई गई। इसमें फिल्म अभिनेत्री रानी मुखर्जी और विद्या बालान प्रमुख भूमिका थे। सच्ची घटना पर आधारित फिल्म नो वन किल्ड जेसिका ने बॉक्स ऑफिस पर भी खूब धमाल मचाया था। इसके अलावा फिल्म हल्ला बोल की कहानी भी जेसिका मर्डर केस से प्रभावित थी। दोनों फिल्मों में आम आदमी और मीडिया की ताकत को दर्शाया गया था।
जेसिका लाल हत्याकांड की पूरी टाइमलाइन जानिए
- 29-30 अप्रैल 1999 की रात साउथ दिल्ली के टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में पार्टी में जेसिका की गोली मारकर हत्या।
- 30 अप्रैल 1999- अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों ने घोषित किया कि जेसिका को अस्पताल में मृत लाया गया था।
- 2 मई 1999- मनु शर्मा की टाटा सफारी को दिल्ली पुलिस ने यूपी के नोएडा से बरामद किया।
- 6 मई, 1999- चंडीगढ़ की एक अदालत के सामने मनु शर्मा का सरेंडर। इसके बाद यूपी के नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव सहित 10 सह अभियुक्तों की गिरफ्तारी।
- 3 अगस्त 1999- आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जेसिका मर्डर केस में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट।
- 31 जनवरी 2000- मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस केस को सेशन कोर्ट को सुपुर्द किया।
- 23 नवंबर, 2000- सेशन कोर्ट ने हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ आरोप तय किए। एक आरोपी अमित झिंगन बरी और रविंदर उर्फ टीटू को भगोड़ा घोषित किया।
- 2 मई 2001- कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।
- 3 मई 2001- चश्मदीद गवाह श्यान मुंशी अपने बयान से मुकरा, कोर्ट में उसने मनु की शिनाख्त नहीं की।
- 5 मई, 2001- कुतुब कोलोनेड में इलेक्ट्रिशियन एक अन्य चश्मदीद शिव दास भी अपने बयान से मुकरा ।
- 16 मई 2001- तीसरा प्रमुख गवाह करन राजपूत भी अपने बयान से मुकरा!
- 6 जुलाई 2001- एक गवाह मालिनी रमानी ने मनु शर्मा की शिनाख्त की।
- 12 अक्तूबर 2001- रेस्टोरेंट और बार मालकिन बीना रमानी ने भी मनु की शिनाख्त की।
- 17 अक्तूबर 2001- बीना के कनाडाई पति जार्ज मेलहोत ने गवाही दी और मनु शर्मा की शिनाख्त की।
- 20 जुलाई 2004- विवादास्पद जांच अधिकारी सुरिंदर शर्मा ने गवाही दी।
- 21 फरवरी 2006- लोअर कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी नौ अभियुक्तों को बरी किया।
- 13 मार्च 2006- दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।
- 3 अक्तूबर 2006- हाईकोर्ट ने इस अपील पर नियमित आधार पर सुनवाई शुरू की।
- 29 नवंबर 2006- हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
- 18 दिसंबर 2006- हाईकोर्ट ने मनु शर्मा, विकास यादव और अमरदीप सिंह गिल उर्फ टोनी को दोषी करार दिया। आलोक खन्ना, विकास गिल, हरविंदर सिंह चोपड़ा, राजा चोपड़ा, श्याम सुंदर शर्मा और योगराज सिंह बरी हुए।
- 20 दिसंबर 2006- हाईकोर्ट ने मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। सह अभियुक्त अमरदीप सिंह गिल और विकास यादव को चार साल की जेल की सजा और तीन हजार का जुर्माना।
- 2 फरवरी 2007- मनु शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।
- 8 मार्च 2007- सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की अपील स्वीकार की।
- 27 नवंबर 2007- सुप्रीम कोर्ट ने मनु की जमानत की दलील खारिज की।
- 12 मई 2008- सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की जमानत याचिका फिर से खारिज की।
- 19 अप्रैल 2010- फिर से ने मनु शर्मा की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।
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