जेल से 17 साल बाद निकला मनु शर्मा, जेसिका लाल के परिवार के बारे में कही ये बात
नई दिल्ली। मॉडल जेसिका लाल की हत्या (Jessic lal murder case) के मामले में आजीवन कारावास की सजा काटने वाला मनु शर्मा (Manu sharma) अब जेल से बाहर आ गया है। 43 साल के मनु शर्मा को इसी हफ्ते तिहाड़ जेल से रिहा किया गया है। जेल से बाहर आने के बाद मनु शर्मा ने कहा कि जेल जाना उसके लिए सबसे डरावना और मुश्किल था। बता दें साल 1999 में दिल्ली में जेसिका की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के आरोपी मनु शर्मा को 'अच्छे बर्ताव' के कारण जेल से रिहा किया गया है। हालांकि इस फैसले पर कई लोगों ने नाराजगी भी जताई है।
'पानी से भरी एक बालटी लग्जरी थी'
हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में मनु शर्मा से पूछा गया कि वो इन 17 साल को कैसे देखता है? तो उसने कहा, 'जेल जाना उन मुश्किल और डरावनी चीजों में से है, जो किसी के साथ भी हो सकती है। मैं 23 साल का था और अपने काम और जिंदगी के बारे में सोच रहा था। और एक दिन, अचानक सुबह 5 बजे रोल कॉल के लिए लोहे की फाटकों के बजने की आवाज से उठ गया। मैंने खुद को परेशान पाया। सबसे मुश्किल काम दिन का जो होता था, वो था शौचालय का इस्तेमाल करना। वहां 500 से ज्यादा कैदियों के लिए केवल 5 टॉयलेट थे। पानी से भरी एक बालटी भी लग्जरी थी। तिहाड़ में आपको कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन समय के साथ आप उनके साथ रहना सीख जाते हैं। लेकिन इन चीजों का आदि होने पर जो कठिन है, वो है अलगाव और परिवार के बारे में जानकारी की कमी होना।'
'रचनात्मक तरीके से समय बिताना शुरू किया'
उसने कहा, 'जेल के अंदर काफी सतर्क रहना होता था, खासतौर पर गुंडों से। जो जेल के अंदर थे। वो कभी भी किसी भी समय आपके पास आ सकते थे। जब आप बैरक में हों, तब भी। जैसा मैंने शुरू के वर्षों में किया.. आपको सतर्क रहना होता है, यहां तक कि रात में भी। जो उनके लिए हमला करने का आसान समय होता है। हालांकि बाद के वर्षों में जब मुझे वहां रहने की आदत हो गई, तो मैंने अपना समय रचनात्मक तरीके से बिताना शुरू किया। मेरा पहला काम बगीचों में था, जिससे मुझे शांति मिलती थी। इसके बाद मुझे तिहाड़ जेल की फैक्ट्री में काम करने को कहा गया और मैं ये कह सकता हूं कि फैक्ट्री में बिताए मेरे 10 साल में मुझे सुकून मिला। मैं खुद को काम में डुबोए रखता था ताकि जेल के वातावरण की नकारात्मकता से बचा रहूं। मैंने अधिक से अधिक पढ़ने की कोशिश की और मानवाधिकार की अपनी डिग्री पूरी की। मैंने कानून का भी अध्ययन किया।'
'बहुत दुखी हूं जो कुछ हुआ'
मनु शर्मा से जब पूछा गया कि उस रात और उसके बाद की घटनाओं को वो कैसे देखते हैं। तब उसने कहा, 'मैं 23 साल का युवा लड़का था। मैंने किसी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की और मैं उसके लिए बहुत दुखी हूं जो कुछ हुआ। उस समय सबसे मुश्किल अपने माता-पिता को दुखी देखना था। मुझे ऐसा लगता है कि मैंने जो कष्ट झेले हैं, उनकी तुलना में जो देखा वो कुछ भी नहीं। मैं उनके लिए बहुत दुखी हूं कि उन्हें बिना किसी गलती के ये सब झेलना पड़ा। मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि 21 साल बाद ये सिलसिला खत्म हुआ।'
'जेल फैक्ट्री का काम मिला'
मनु शर्मा से पूछा गया कि उस रात हुई गलती के बाद क्या सीखा? तो इसपर उसने कहा, 'मैं इस दूसरे मौके लिए भगवान और मेरे साथ खड़े रहने के लिए परिवार और दोस्तों का आभारी हूं। जब आप जेल में होते हैं तो आपको काम दिया जाता है। मुझे जेल फैक्ट्री का काम मिला। जो भी काम मुझे दिया जाता, मैं उसे लगन से करने की कोशिश करता। मुझे ये कहने में गर्व हो रहा है कि हम जेल फैक्ट्री के टर्नओवर को लेने में सक्षम थे और इसे एक करोड़ से बढ़ाकर 32 करोड़ तक ले गए। 70 के बाद अब 600 कैदियों को काम देने में सक्षम थे।'
जेसिका के परिवार के लिए क्या कहा?
मनु शर्मा से पूछा गया कि 21 साल बाद अब वो आजाद है, तो आगे की क्या योजना है। इसपर उसने कहा, 'मैं ये आशा और विश्वास करता हूं कि शांतिपूर्ण जीवन जीऊंगा। अपने परिवार का तो समर्थन करूंगा ही, साथ ही जेल कैदियों के बच्चों की भी मदद करूंगा। जिन्हें कोई सहायता या फिर साधन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं।' इसके बाद मनु शर्मा से पूछा गया कि जेसिका लाल की बहन ने तिहाड़ प्रशासन को लिखा था कि उसने आपको माफ कर दिया है, इसपर क्या कहना है? तो उसने कहा, 'सबरीना और उनके परिवार के प्रति मेरी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। मैंने उन्हें जो दर्द दिया, उसके लिए मुझे गहरा खेद है। उनकी महानता के लिए मैं सदा आभारी हूं।' इसके अलावा मनु शर्मा ने 1999 के युवा मनु शर्मा के लिए कहा, 'एक पल में जिंदगी बदल सकती है, मिली हुई किसी भी चीज को हल्के में न लें।'
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