महागठबंधन में फिर शामिल होगा जदयू?, CM नीतीश कुमार की चुप्पी के क्या हैं मायने?
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजों से पहले बिहार के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किए जा रहे राजद और महागठबंधन नेता तेजस्वी यादव की बांछे एक बार खिली हुई नज़र आ रही हैं। वजह एनडीए के दो प्रमुख घटक दल बीजेपी और जदयू के बीच शुरू हुई अंदरूनी खटपट है। यह खटपट अरुणाचल प्रदेश में जदयू के 7 में 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद अधिक मुखर हो गई है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन जदयू नेताओं ने अपने बयानों के जरिए पार्टी की नाराजगी सतह पर रख दी है।
NDA में खटपट के बीच बिहार में राजनीतिक उठापटक की कवायद शुरू
यही वजह है कि बिहार में महागठबंधन सरकार का सपना पाले बैठी राजद एनडीए में शुरू हुई खटपट के बीच बिहार में राजनीतिक उठापटक की कवायद शुरू कर दी है। इसी क्रम में आरजेडी सीएम नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री उम्मीदवार को सपना बेचने से भी नहीं चूकी। राजद ने बिहार सीएम नीतीश कुमार को एक बार पुनः महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी पर राजद ने जदयू के 17 विधायकों के राजद में शामिल होने का शिगूफा छोड़कर बिहार में राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा दिया है।
सीएम नीतीश को विपक्ष का पीएम पद का चेहरा बनाने का ऑफर दिया
गौरतलब है हाल ही में आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय प्रताप चौधरी ने सीएम नीतीश कुमार को ऑफर दिया था कि अगर वो प्रदेश में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दें, तो बदले में आरजेडी उन्हें विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाने को तैयार है। जब इस पर सीएम नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया नहीं आई, तो आरजेडी ने असंतुष्ट जदयू विधायकों का हवाला देकर नीतीश पर दवाब बनाने की कोशिश की। पार्टी के मुताबिक 16-17 जदयू विधायक आरजेडी में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
पूर्व महागठबंधन सहयोगी जदयू पर लगातार डोरे डाल रही है आरजेडी
जानकारों की मानें तो बिहार में संभावित राजनीतिक संकट को सत्ता तक पहुंचने की कुंजी बनाने के लिए राजद ने पूर्व महागठबंधन सहयोगी सीएम नीतीश कुमार पर डोरे डालने भी शुरू कर दिए हैं। चर्चा के मुताबिक राजद सीएम नीतीश कुमार से संपर्क साधने और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए उनके पूर्व सहयोगी रहे लगभग सभी नेताओं को इस काम में लगा दिया है। इनमें उदय नारायण चौधरी, श्याम रजक और शिवानंद तिवारी प्रमुख नेता हैं।
आरजेडी नेताओं के लिए जेल से लालू यादव ने जारी किया विशेष हिदायत
इसी क्रम में पार्टी की ओर से आरजेडी नेताओं को रांची के होटवार जेल में चारा घोटाला केस में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की ओर विशेष हिदायत दी गई है। राजद नेताओं को लालू प्रसाद यादव द्वारा जारी हिदायत में प्रमुख रूप से कहा गया है कि वो सीधे सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी करने से बाज आएं। यानी जब तक बिहार में जदयू के सहयोग से महागठबंधन सरकार बनने की संभावना है तब तक आरजेडी नेता सीएम नीतीश के खिलाफ जुबान कम खोलते नजर आएंगे।
अरुणाचल प्रदेश में 6 जदयू विधायकों की टूट के बाद बढ़ी है खटपट
दरअसल, आरजेडी जदयू-बीजेपी के बीच जारी खटपट का सियासी फायदा उठाना चाहती है, जो अरुणाचल प्रदेश में जदयू विधायकों में हुई टूट के बाद और बढ़ गई है, क्योंकि जदयू के अरुणाचल प्रदेश के 6 विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद लगातार जदयू नेता बीजेपी पर हमलावर हैं। इसी को देखते हुए बीते दिनों आरजेडी नेता श्याम रजक ने दावा किया था कि बीजेपी की कार्यशैली से नाराज जदयू के विधायक बिहार की एनडीए सरकार को गिराना चाहते हैं और करीब 17 विधायक उनके संपर्क में हैं।
बीजेपी की कार्यशैली से जदयू के 17 विधायकों के नाराज होने का दावा
एक मीडिया चैनल से बातचीत में श्याम रजक ने दावा किया था कि बीजेपी की कार्यशैली से नाराज जदयू के 17 विधायकों को दल-बदल कानून के अंतर्गत सदस्यता रद्द करने के खतरे से बचाने के लिए फिलहाल रोककर रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि नाराज 17 जदयू विधायको को कहा गया है कि अगर जदयू के 25-26 विधायक पार्टी छोड़कर आरजेडी में शामिल होने को तैयार होंगे, तो दल-बदल कानून के तहत उनकी सदस्यता पर आंच नहीं आएगी।
सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी बीजेपी के लिए खतरनाक संकेत हैं
माना जा रहा है कि अगर आरजेडी के दावों में जरा भी सच्चाई है तो महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी एनडीए सरकार पर खतरा बढ़ सकता है। इस सब के बीच में सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी बीजेपी के लिए खतरनाक संकेत हैं। भले ही, नीतीश कुमार चुप हैं, लेकिन जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने अरुणाचल प्रदेश की घटना पर दुख जताकर पहले दिन ही जदयू के दर्द को सार्वजनिक कर एनडीए सरकार पर आसन्न खतरे को सतह पर ला दिया था। वशिष्ठ सिंह ने कहा था कि ऐसी घटनाओं का दिल और दिमाग पर असर तो पड़ता ही है।
बिहार में सत्तासीन होने के लिए तेजस्वी यादव के लिए एक अच्छा मौका
संभवतः बिहार में सत्तासीन होने का सपना पाले तेजस्वी यादव के लिए यह एक अच्छा मौका है, जो जदयू और बीजेपी के बीच संभावित कलह की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश की घटना के बाद तेजस्वी यादव को वह मौका मिल गया है, जिससे सीएम नीतीश को एक बार अपने पाले में कर सकते हैं। इससे पहले भी, नीतीश कुमार 2015 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़कर महागठबंधन का दामन थाम चुके हैं। अरुणाचल प्रदेश की घटना के बाद अगर सीएम नीतीश दोबारा यह कदम उठा ले तो आश्चर्य नहीं होगा।
नीतीश को पाले में लाने के लिए साम, दाम, दंड व भेद नीति का इस्तेमाल
यही कारण है कि आरजेडी सीएम नीतीश कुमार को अपने पाले में लाने के लिए साम, दाम, दंड और भेद सभी रणनीतियों को अपनाने से नहीं चूक रही है। पहले आरजेडी ने जदयू को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का लोभ दिया और जब उस पर बात बनती नहीं दिखी, तो आरजेडी ने पार्टी के 17 विधायकों के टूटने का डर दिखाया, लेकिन नीतीश की इस पर भी चुप्पी के बाद शुक्रवार को पार्टी ने पोस्टर वार शुरू कर दिया, जिसमें सीएम की कुर्सी पर बैठे नीतीश की कुर्सी को बीजेपी नेताओं द्वारा काटते हुए दिखाया गया है।
पटना स्थित आरजेडी के प्रदेश कार्यालय के बाहर लगाए गए पोस्टर
उल्लेखनीय है पटना स्थित आरजेडी के प्रदेश कार्यालय के बाहर लगाए गए इस पोस्टर में सीएम की कुर्सी पर बैठे नीतीश कुमार को बीजेपी नेताओं से खुद को बचाने के लिए हेल्प पी की गुहार लगाते हुए प्रदर्शित किया गया है। पोस्टर में सीएम नीतीश कुमार की कुर्सी को काटने वाले नेताओं में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिखाया गया है। वहीं, पीएम मोदी को बीजेपी नेताओं को शाबासी देते हुए हुए प्रदर्शित किया गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए में कम हुआ है नीतीश का कद
हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे के बाद नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि वो मुख्यमंत्री पद स्वीकार नहीं करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने बीजेपी के दवाब में यह पद स्वीकार किया है, तो माना जा रहा है कि पांचवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ ले चुके सीएम नीतीश हालिया घटनाक्रम के चलते बीजेपी को झटका देकर सरकार से अलग भी हो सकते हैं और महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
RCP सिंह को JDU राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनकर नीतीश ने उत्तराधिकारी बनाया
सीएम नीतीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण के चुनावी कैंपेन में अपने आखिरी चुनाव लड़ने की बात कहकर अपनी राजनीतिक करियर को लेकर भी संकेत दे चुके हैं और हाल में आरसीपी सिंह को पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनकर अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर चुके नीतीश कुमार प्रदेश की राजनीति में नफे और नुकसान की राजनीति से ऊपर उठते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में जदयू का अगला कदम क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।