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नागरिकता संशोधन बिल पर JDU के रुख से प्रशांत किशोर नाराज, कही ये बात

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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में ये बिल पेश किया था, जिसपर चर्चा के बाद सदन में वोटिंग हुई जहां बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। बीजेपी ने अपने सांसदों को 10 और 11 दिसंबर को राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। इसके पहले, सोमवार को नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने नागरिकता संशोधन बिल का लोकसभा में समर्थन किया। लेकिन इसपर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने निराशा जाहिर की।

प्रशांत किशोर- पार्टी के रुख से निराशा हुई

प्रशांत किशोर- पार्टी के रुख से निराशा हुई

जदयू के समर्थन करने पर प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया, 'जदयू के नागरिकता संशोधन विधेयक को समर्थन देने से निराश हुआ, ये बिल नागरिकता के अधिकार से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। ये पार्टी के संविधान से मेल नहीं खाता जिसमें पहले पन्ने पर धर्मनिरपेक्ष शब्द तीन बार आता है। पार्टी का नेतृत्व गांधी के सिद्धांतों को मानने वाला है।' लोकसभा में नागरिकता बिल पर चर्चा के दौरान जदयू सांसद राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी बिल का समर्थन इसलिए कर रही है क्योंकि ये धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है।

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जदयू ने किया लोकसभा में बिल का समर्थन

लोकसभा में पारित होने के बाद अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रावधान है। जेडीयू और एलजेपी जैसी सहयोगी पार्टियों ने बिल के पक्ष में वोट किया वहीं शिवसेना, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस जैसी गैर-एनडीए पार्टियों ने भी बिल के पक्ष में ही वोट दिया।

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मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है बिल- शाह

मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है बिल- शाह

लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने इसका विरोध किया और कहा कि इस बिल में मुस्लिमों से भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये संविधान के आर्टिकल 14 का सीधा उल्लंघन है। सदन में इसपर अमित शाह ने विपक्ष के सवालों का जवाब दिया और कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, इन देशों में राज्य का धर्म इस्लाम है और वे बहुतायत में हैं। इसलिए मुस्लिमों को इस बिल में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बिल का देश में रहने वाले मुस्लिमों से कोई संबंध नहीं हैं और ना ये बिल उनके खिलाफ है।

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English summary
JDU supports citizenship amendment bill prashant kishor disappointed
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