जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ सख्त सुप्रीम कोर्ट, कंपनी खाड़ी में डूबती है डूब जाए
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदने वालों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है कि खरीददारों की हितों की रक्षा होना चाहिए। इस मामले की 13 नवंबर को सुनवाई होगी। साथ ही कोर्ट ने का है कि मैनेजमेंट पर इंसॉलवेंसी रिजोल्यूशन प्रोफेशनल यानि आईआरपी का नियंत्रण होना चाहिए। कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक को 27 अक्टूबर तक 2000 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा है।
जेपी कंपनी के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कोर्ट ने कहा कि कंपनी अगर बंगाल की खाड़ी में डूबती है तो डूब जाए, हमें खरीददारों की फिक्र है। वहीं जिन लोगों ने जेपी के फ्लैट्स खरीदे हैं उनकी मुश्किलों को देखते हुए कोर्ट ने बैंकों से कहा है कि जिन लोगों ने जेपी के फ्लैट्स खरीदने के लिए होम लोन लिया है उनके साथ नरमी बरतें। वहीं कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा गठित संस्था अंतरिम रिजोल्यूशन प्रोफेशनल्स को निर्देश दिया है कि वह जेपी इंफ्राटेक के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाले। कोर्ट ने आईआरपी को निर्देश दिया है कि जिन लोगों ने फ्लैट खरीदा है और उनपर कर्ज है उनके हितों की रक्षा के लिए 45 दिन के भीतर एक रिपोर्ट सौंपे और इस मुश्किल से कैसे निपटा जाए इसका समाधान भी दिया जाए।
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लोगों
को
नहीं
मिले
हैं
फ्लैट
गौरतलब
है
कि
जेपी
इंफ्रा
अपने
खरीददारों
को
फ्लैट
देने
में
विफल
रहा
है,
जिसके
बाद
उसे
दिवालिया
घोषित
किया
गया
था,
जिसके
खिलाफ
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
की
गई
थी,
जिसमें
कहा
गया
था
कि
अभी
तक
लोगों
को
उनके
घर
का
कब्जा
नहीं
मिला
है,
ऐसे
में
अगर
कंपनी
को
दिवालिया
घोषित
किया
जाता
है
तो
लोगों
को
कोई
राहत
नहीं
मिलेगी
और
वह
अधर
में
लटके
रहेंगे।
याचिका
में
कहा
गया
था
कि
जेपी
के
30
हजार
फ्लैट्स
को
खरीदने
के
लिए
लोगों
ने
27
अलग-अलग
कंपनियों
में
अपनी
मेहनत
की
कमाई
लगाई
थी,
लिहाजा
उनके
हितों
की
रक्षा
की
जाए।