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जाट आरक्षण आंदोलन: हाईकोर्ट ने सभी मजिस्‍ट्रेटों को दिया निर्देश, वापस न लें कोई भी पंजीकृत केस

By Ankur Kumar Srivastava
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नई दिल्‍ली। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को हरियाणा के सभी मजिस्ट्रेटों को 2016 के जाट कोटा आंदोलन के दौरान पंजीकृत मामलों को वापस लेने के लिए आवेदनों पर कोई भी निर्णय लेने से रोक दिया है। हरियाणा सरकार ने अब तक 407 मामलों में आरोपी के अभियोजन पक्ष से वापसी के लिए अनुमति दे दी है। राज्य ने दावा किया है कि निर्णय "राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे, सद्भाव और शांति लाने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा और यह एक बड़े सार्वजनिक हित में होगा।"

जाट आरक्षण आंदोलन: हाईकोर्ट ने सभी मजिस्‍ट्रेटों को दिया निर्देश, वापस न लें कोई भी पंजीकृत केस

आपको बता दें कि फरवरी 2016 में, हरियाणा ने जाट समुदाय द्वारा नौकरी और शैक्षिक संस्थानों में कोटा मांगने के हिंसक विरोध प्रदर्शन देखा था। इस प्रद्रर्शन ने पूरे राज्‍य और उससे लगे सीमावर्ती राज्‍यों को लगभग-लगभग रोक सा दिया था। इस आंदोलन में कई लोगों की मौत हुई थी जबकि कई गंभीर रूप से जख्‍मी हुए थे। इसके अलावा सरकारी संपत्ति को खासा नुकसान पहुंचा था। , जो वास्तव में राज्य को रोक दिया गया था। आंदोलन ने कई मृतकों को छोड़ दिया था और कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

जाट आंदोलन के दौरान कुल 2,105 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले साल 137 मामलों की वापसी की सिफारिश की गई थी। सरकार ने अब 270 और मामलों को वापस लेने के लिए आवेदन करने का फैसला किया है।

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English summary
The Punjab and Haryana High Court on Wednesday restrained all the magistrates in Haryana from taking any decision on the applications for withdrawal of cases registered during the 2016 Jat quota agitation.
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