जम्मू कश्मीरः विदेशी राजदूतों का दौरा, मोदी सरकार पर आरोप और सफ़ाई
जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म होने के बाद से ये तीसरा मौक़ा है जब केंद्र सरकार विदेशी राजदूतों को वहाँ का दौरा करा रही है.
विदेशी राजदूतों का एक प्रतिनिधि मंडल बुधवार को जम्मू और कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचा.
कुल 22 राजदूतों के इस प्रतिनिधि मंडल में यूरोप और अफ्रीका के राजदूत भी शामिल हैं. अपनी यात्रा के दौरान यह दल जम्मू कश्मीर में मौजूदा हालात का जायज़ा लेगा.
यह प्रतिमंडल ऐसे समय में जम्मू कश्मीर के दौरे पर है, जब हाल ही में केंद्र प्रशासित शासन में ज़िला विकास परिषद के चुनाव कराए गए हैं. साथ ही डेढ़ साल के बाद जम्मू कश्मीर में 4-G इंटरनेट सेवा बहाल की गई है.
बुधवार को प्रतिनिधि मंडल को बडगाम ज़िले के मागम इलाके में पंचायती राज की ख़ासियतों के बारे में बताया गया कि इसकी मदद से लोगों की मुश्कलें कैसे दूर की जाती है. मागम में प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने डीडीसी के नुमाइंदों से मिलने के अलावा कुछ स्थानीय लोगों से भी मिले.
इसके बाद इन लोगों ने श्रीनगर का रुख किया. इन लोगों ने श्रीनगर के मेयर जुनैद माटो से मुलाकात की और इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पंचायती प्रतिनिधियों से भी मिले.
विदेशी प्रतिनिधि मंडल के श्रीनगर और बडगाम के दौरे के दौरान कई जगहों पर दुकानें बंद थीं.
गुरुवार को यह दल जम्मू के लिए रवाना होगा, जहाँ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अलावा डीडीसी के प्रतिनिधियों से मिलने का कार्यक्रम है. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में हालात और सुरक्षा से जुड़े मामलों को लेकर सुरक्षा के बड़े अधिकारी भी प्रतिनिधि मंडल को जानकारी देंगे.
5 अगस्त 2019 के बाद से तीसरी बार ऐसा हुआ है जब विदेशी राजदूतों को जम्मू कश्मीर लाया गया है. 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुछेद 370 को जम्मू कश्मीर से हटाया था और जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करके लद्दाख और जम्मू कश्मीर को दो अलग- अलग केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया था.
370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में लम्बे समय तक कर्फ़्यू और प्रतिबंध लगाए गये और संचार सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं. इस दौरान हज़ारों लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. हिरासत में लिए गए लोगों और नेताओं में तीन पूर्व मख्यमंत्री भी शामिल थे.
विदेशी प्रतिनिधि मंडल के दौरे कश्मीर के राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
राजनीतिक दलों ने क्या कहा?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर सैफुद्दीन सोज़ ने कहा है कि भारत सरकार ऐसे प्रतिनिधि मंडलों को यहाँ लाकर दुनिया को झूठ बताती है कि जम्मू - कश्मीर में सब ठीक है.
सैफुद्दीन सोज़ ने कहा, "भारत सरकार और जम्मू कश्मीर में उसके मातहत शासन ने अपनी ग़लतियों से सबक़ नहीं सीखा है. यहाँ सब ठीक नहीं है. जम्मू- कश्मीर के लोग बहुत नाराज़ हैं. अनुछेद 370 ख़त्म करने के बाद यहाँ का बच्चा, बूढ़ा, महिला, जवान सब नाराज़ हैं. 370 तो भारत के साथ विलय की बुनियाद था. भारत सरकार इन विदेशी राजदूतों को यहाँ जमा करके दुनिया को झूठ बताती है."
वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव और पूर्व विधायक यूसुफ़ तारिगामी बताते हैं कि अगर विदेशी राजदूत कश्मीर के हालात जानना चाहते हैं तो कश्मीर के आम लोगों से उन्हें क्यों नहीं मिलाया जाता है?
यूसुफ़ तारिगामी ने बताया, "2019 में पांच अगस्त के बाद भारत के प्रतिनिधि मंडल को यहाँ नहीं आने दिया गया और उस समय भी विदेशी राजदूतों को यहाँ बुलाया गया था. आज भी वो यहाँ आए और कई जगहों पर गये. क्या जानना चाहते हैं वो? अगर वो यहाँ की अर्थव्यवस्था को देखना चाहते हैं तो वो बर्बाद हो चुकी है. 5 अगस्त, 2019 से यहाँ टूरिज्म नहीं है. वो या तो दुकानदारों से मिलें, छात्रों से मिलें, पत्रकारों से मिलें, कारोबारी तबके से मिलें, तो उनको यहाँ का हाल पता चलेगा. ऐसे दौरों से जम्मू कश्मीर की तस्वीर न तो देश के सामने सही से आ सकती है और न दुनिया के सामने."
पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने बताया है कि कि ऐसे प्रतिमंडल आते हैं और जाते हैं, लेकिन कश्मीर के हालात ठीक नहीं हैं.
''जम्मू कश्मीर की असल तस्वीर दिखाना ज़रूरी''
वहीं बीजेपी का कहना है कि जो प्रोपगैंडा जम्मू कश्मीर के हवाले से चलाया जाता है, उसका तोड़ निकालने के लिए प्रतिनिधि मंडल को जम्मू कश्मीर लाकर यहाँ की असल तस्वीर दिखाना ज़रूरी है.
जम्मू कश्मीर बीजेपी यूनिट के प्रवक्ता अनिल गुप्ता ने कहा, "मीडिया कश्मीर के बारे में ग़लत तस्वीर पेश करता है. वो बाहर बहुत बिकता है. जो पाकिस्तानी समर्थक बैठे हैं वो इस को बहुत उछालते हैं. जो सूचना बाहर जाती है, उस सूचना के पीछे एजेंडा होता है. तो ज़रूरी है कि लोग यहाँ खुद आकर देखे कि सच्चाई क्या है. ऐसे प्रतिनिधि मंडल को यहाँ लेकर उस एजेंडा को खुद हारना पड़ता है, जो यहाँ की ग़लत तस्वीर पेश करते हैं."